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डेढ़ साल बाद भी उच्च स्तरीय बैठक के निर्णय पर अमल नहीं

भोपाल। प्रमोशन के इंतजार कर रहे राज्य के अधिकारी-कर्मचारियों को चार साल बाद भी निराशा ही हाथ लगी है। प्रमोशन के 35 हजार से अधिक कर्मचारी रिटायर हो गए हैं, इस बीच सरकारी स्तर पर कई प्रयास हुए, वादे भी किए गए लेकिन सब कागजी ही रहा। डेढ़ साल पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में लिए गए निर्णय पर भी अमल नहीं हो सका। यह मामला फाइलों में ही उलझा है।

8 फरवरी 2020 को तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में निर्णय लिया गया था कि जब तक पदोन्नति का प्रकरण उच्च न्यायालय में विचाराधीन है तब क आईएएस आईपीएस तथा राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की तरह उच्च पदों पर दी जाने वाली क्रमोन्नति सभी विभागों में लागू की जाए। इससे कर्मचारियों को उम्मीद बनी थी कि प्रमोशन के अभाव में उन्हें क्रमोन्नति मिल जाएगी। इससे उन्हें आर्थिक लाभ के साथ उच्च पद की जिम्मेदारी भी मिल जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। हाल ही में विधानसभा समाप्त हुए विधानसभा के मानसून सत्र में तत्कालीन सामान्य प्रशासन मंत्री डॉ. गोविंद ङ्क्षसह को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लिखित जवाब में 8 फरवरी 2020 को हुई बैठक और उसमें क्र्रमोन्नति दिए जाने के निर्णय की बात तो स्वीकार की, यह भी बताया कि सामान्य प्रशासन विभाग ने इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिए, लेकिन भर्ती नियमों में संशोधन और कितने लोगों को इसका लाभ मिला, इस सवाल पर यही कहा गया जानकारी एकत्रित की जा रही है। वहीं कर्मचारी संगठनों का कहना है कि सभी के लिए एक समान होना चाहिए। जब आईएएस, आईपीएस, राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों के प्रमोशन मिल सकता है तो वही नियम अन्य कर्मचारियों के लिए भी लागू होना चाहिए।

वर्ष 2016 नहीं हो रहे हैं प्रमोशन -

राज्य में वर्ष 2016 से प्रमोशन बंद हैं। हाईकोर्ट ने द्वारा राज्य के प्रमोशन नियम निरस्त किए जाने के कारण ऐसी स्थिति बनी है। इसके पीछे तर्क यह था कि आरक्षण का लाभ सेवाकाल में सिर्फ एक बार ही मिलना चाहिए। जबकि आरक्षित वर्ग के लिए नियुक्ति के समय इसका लाभ मिलता है और प्रमोशन में भी आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है।



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