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नहीं निकलेगा जुलूस, होगी दुआ

भोपाल. बुराई के खिलाफ लड़ते हुए अगर अपनी जान का बलिदान भी देना पड़े तो पीछे नहीं हटना चाहिए। मोहर्रम में हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए ये सीख लोगों को दी जा रही है। यौमे आशूरा शुक्रवार को है। इस बार शहर में जुलूस नहीं निकाला जाएगा। सकलैनी समाज सहित कुछ संगठनों के मुताबिक लोगों का जमावड़ा न हो इसलिए फेसबुक सहित अन्य माध्यमों से लाइव जुडऩे की व्यवस्था की जा रही है।

मोहर्रम का महीना शुरू होते ही शहर में कई जगह ताजिए बनाए जाते थे। राजधानी के अलग-अलग हिस्सों में करीब 500 ताजिए बनाए जाते हैं। मंगलवारा में गाइडलाइन के तहत चार फीट के ताजिए बनाए गए जबकि हर साल दस से पंद्रह फीट के ताजिए बनाए जाते थे। इसके अलावा करोद, बुधवारा, सहित कई स्थानों पर घरों में बनने वाले ताजिओं की संख्या कोरोना के चलते बहुत कम हो गई। जिन लोगों ने ताजिए बनाए हैं उनके लिए करबला में इंतजाम किए गए। मोहर्रम के जुलूस के आयोजन में भागीदारी निभाने वाले मोहम्मद नफीस ने बताया कि घरेलू स्तर पर ही आयोजन होंगे।

रातभर इमामबाड़ों में हुई तकरीरें, शहादत को किया याद
मुस्लिम त्योहार कमेटी के शाहमीरी खुर्रम के मुताबिक अकीदत के साथ मुहर्रम के आयोजन होंगे। सकलैनी मस्जिद के सदर सूफी नूर उद्दीन सकलैनी ने बताया शुक्रवार सुबह अमनो आमान और मुल्क की खुशहाली के लिए यहां दुआएं कराई जाएंगी। हजरत शाह सकलैन अकादमी की ओर से सकलैनी जामा मस्जिद में लंगर का मुफ्ती रियान साहब दुआ कराएंगे। सकलैनी समाज के मुबीनउद्दीन ने बताया कि शहादत के पर्व मोहर्रम पर गुरुवार को शहादत की रात थी। सवारियों ने गश्त किया। इस बीच इमामबाड़ों पर मजलिस और तकरीरें चल रही हैं। लेकिन लोगों की संख्या बहुत कम हैं।

बोहरा समाज
दाउदी बोहरा समाज के शेख मुर्तजा के मुताबिक बुधवार को यौमे आशूरा था। समाज के शेख मुर्तजा के मुताबिक इमामबाड़ों में मजलिसे हुईं। सामूहिक आयोजन नहीं हुए।



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