खराब मिनी हार्वेस्टर और उसे चलाने नए ट्रैक्टर खरीदवाकर अन्नदाता को बना दिया कर्जदार - Web India Live

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खराब मिनी हार्वेस्टर और उसे चलाने नए ट्रैक्टर खरीदवाकर अन्नदाता को बना दिया कर्जदार

भोपाल. खेती से लाभ कमाने का झांसा देकर पंजाब की चार कृषि यंत्र निर्माता कंपनियों ने मप्र के किसानों को लाखों रुपए का कर्जदार बना दिया। कंपनियों ने ऐसी मशीन मुहैया कराई, जो भारत सरकार के कृषि अभियांत्रिकी विभाग से अपू्रव नहीं थी। किसानों से ये बात न केवल छिपाई गई, बल्कि ये कहा गया कि मशीनों की टेस्टिंग का प्रपोजल भेजा गया है। इधर, 5.60 लाख रुपए प्रति मशीन के हिसाब से मप्र के 50 से अधिक किसानों को अक्टूबर 2019 से मई 2020 तक बेची गईं। इतना ही नहीं कंपनियों की ओर से किसानों से कहा गया कि इस कंबाइन हावेस्टर को चलाने के लिए कम से कम 60 एचपी की क्षमता वाला ट्रैक्टर जरूरी है। ऐसे में किसानों ने 8 से 10 लाख रुपए का ट्रैक्टर अलग से खरीदा। जब इस मशीन को खेतों में उतारा गया तो ये फेल हो गईं। किसानों के मुताबिक मशीन से गेहूं के दाने खराब और कटे हुए निकले, वहीं भूसा भी आकार में बढ़ा था, जो किसी काम का नहीं है। इसके अलावा कंपनी के दावे के उलट कंबाइन हार्वेस्टर से एक घंटे में बमुश्किल आधा बीघा की भी कटाई नहीं हो सकी। इधर, ट्रैक्टर की भी सांसें फूल गई। कंपनियों में शिकायत करने पर इंजीनियर भी आए, पर समस्या का हल नहीं निकला। अब ये मशीनें खेतों में रखी कबाड़ हो रही हैं, वहीं टै्रक्टर और इन मशीनों को खरीदने के लिए लिया गया कर्ज किसानों के गले की फांस बन गया है। फिलहाल देवास, सीहोर, धार और शाजापुर के किसानों ने इसकी शिकायत सीएम हेल्पलाइन, समेत पुलिस अधिकारियों से की है, पर मामला अधर में अटका हुआ है।
इन कंपनियों ने बेचे कंबाइन हार्वेस्टर
पंजाब स्थित बरनाला की चार कंपनियों पनेसर एग्रोटेक, सुपर स्टेंडर्ड, विकास एग्रोटेक और सतनाम कंपनी ने अलग-अलग मॉडल के नाम से कंबाइन हार्वेस्टर बेचे हैं। किसानों के मुताबिक कंपनियों के प्रतिनिधि गांवों में आए थे। इन्होंने मशीन से गेहूं की फसल कटाई के साथ ही बेहतर भूसा मिलने का दावा किया था। किसानों ने एक मुश्त या दो किश्तों में मशीन के लिए तय राशि 5.60 लाख रुपए का भुगतान किया।
शिकायत पर नहीं हुई सुनवाई
शाजापुर जिले के पोलयकला गांव के किसान अर्जुन मंठूडिया ने बताया कि उन्होंने पनेसर कंपनी का मिनी हार्वेस्टर 5.60 लाख रुपए में खरीदा था। उन्हें मवेशियों के लिए भूसे की जरूरत रहती थी। मशीन नहीं चली तो कंपनी के अधिकारियों ने 60 एचपी का ट्रैक्टर लेने को कहा। इस पर अर्जुन ने 10 लाख 60 हजार रुपए का नया ट्रैक्टर खरीदा। इससे भी ये मशीन नहीं चली। अर्जुन के मुताबिक मिनी हार्वेस्टर के चक्कर में वे 15 लाख से अधिक के कर्जदार हो गए हैं। किसानों ने इस ठगी की शिकायत सीएम हेल्पलाइन समेत सीएम हाउस, स्थानीय जनप्रतिनिधियों, थाने और कलेक्ट्रेट में की, पर कहीं सुनवाई नहीं हुई।

ठगी की दास्तां किसानों की जुबानी
दो एकड़ में से एक एकड़ जमीन बेचना पड़ी
सीहोर जिले के आष्टा ब्लॉक के ग्राम चितावलिया निवासी नितिन जायसवाल के पास महज दो एकड़ जमीन थी। उन्होंने मार्च 2020 में पनेसर कंपनी का मिनी कंबाइन हार्वेस्टर 5.60 लाख रुपए में खरीदा। इसके लिए उन्होंने कर्ज लिया। कंपनी ने 60 एचपी का ट्रैक्टर खरीदने की जरूरत बताई तो 7.50 लाख् रुपए का नया ट्रैक्टर खरीदा। जब इस मशीन को खेत में उतारा तो ये फेल हो गई। इसके बाद से कंपनी ने हाथ खींच लिए। नितिन बताते हैं कि मशीन खरीदने के बाद से वे 13 लाख रुपए से अधिक के कर्जदार हो गए। कर्ज चुकाने के लिए उन्हें एक एकड़ जमीन बेचना पड़ी। बैंक ने ट्रैक्टर भी खींच लिया। ये मशीन खेत में कबाड़ हो रही है।

कंपनी कह रही बड़ा हार्वेस्टर ले लो
देवास जिले के बागली ब्लॉक के किसान गोपाल सेंधव ने बताया कि उन्होंने यूट्यूब चैनल पर पनेसर कंपनी के मिनी कंबाइन हार्वेस्टर को देखा था। गांव के ही एक व्यक्ति ने पंजाब स्थित बरनाला जाकर मशीन देखी। उन्हें बताया गया कि ये मशीन एक घंटे में डेढ़ से दो एकड़ में गेहूं की कटाई करेगी, पर ऐसा नहीं हुआ। मशीन पूरी तरह फेल है। इसके लिए 10 लाख रुपए का टै्रक्टर अलग से खरीदा। अब इसकी किश्त भरना मुश्किल हो रहा है। कंपनी में बात की तो उन्होंने साफ कहा कि इस मशीन के बदले बड़ा हार्वेस्टर खरीदना पड़ेगा।

कृषि अभियांत्रिकी विभाग से ये मिला जवाब
किसानों ने जब इन चारों कंपनियों के मिनी कंबाइन हार्वेस्टर मशीन के संबंध में भोपाल स्थित कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय से जानकारी निकाली तो पता चला कि इन कंपनियों के कृषि यंत्र भारत सरकार द्वारा अधिकृत नहीं है। ये सभी यंत्र संचालनालय के डीबीटी पोर्टल पर भी पंजीकृत नहीं है। यानी इन यंत्रों की टेस्टिंग नहीं हुई है। इसके बावजूद इन्हें किसानों को बेचा गया।

कलेक्टर ने लिखा था एफआइआर के लिए पत्र
किसानों से की गई ठगी के मामले में सीहोर कलेक्टर ने 12 जनवरी 2021 को एसपी को पत्र लिखकर कंपनियों के खिलाफ एफआइआर करने के लिए पत्र लिखा था। इसमें उल्लेख किया गया था कि किसानों को बेचे गए कृषि यंत्र खराब हैं और कंपनी इसमें सुधार कार्य नहीं कर रही है। इसके बावजूद एफआइआर दर्ज नहीं की गई।



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