दो दिवसीय आदिवासी लोक नृत्य-संगीत कार्यक्रम में कलाकारों ने दी सुंदर प्रस्तुतियां
- कुंजल वेलफेयर सोसायटी द्वारा दो दिवसीय
आदिवासी लोक नृत्य, लोक संगीत कार्यक्रम का जनजातीय मंत्री मरकाम
ने किया उदघाटन
भोपाल। घने जंगलों के बीच, अपनी
मूल संस्कृति को समेटे-सहेजे, भौतिकतावाद से कोंसो दूर रहने वाले
आदिवासी लोक कलाकार भोपालवासियों के बीच अपनी लोक कलाओं, लोक नृत्य एवं
लोक संगीत का प्रदर्शन करने पहुंचे तो गांधी भवन का सभागृह तालियों से गुंजायमान
हो उठा। यह अवसर था कुंजल वेलफेयर सोसायटी के द्वारा दो दिवसीय आदिवासी लोक नृत्य,
लोक
संगीत एवं लोक कलाओं के प्रदर्शन के प्रथम दिवस का।
इस कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के सुदूर अंचलों
से बांस शिल्पध् काष्ठ शिल्प, वर्ली पेंटिग्स, ट्राइबल होम
डेकोर, गोंड़ पेंटिग्स, ट्राइबल ज्वेलरी, मुखौटा
कला की बेहतरीन कलाकृतियां प्रदर्शित की गई हैं। ग्रामीण लोक चित्रकारी के
डिजाइनों को बहुत ही सुंदरता से सजाया गया हैं जिसमें धार्मिक और आध्यात्मिक
चित्रों को उभारा गया है। संक्रंति के लिए छोटे-छोटे आइटम उपहारों के लिए भी
उपलब्ध हैं।
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विशिष्ठ अतिथि
ओमकार सिंह मरकाम मंत्री जनजातीय कार्य विभाग, विमुक्त घुमक्कड़
एवं अर्द्धघुमक्कड़ जनजाति कल्याण विभाग ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का विधिवत
शुभारम्भ किया। कार्यक्रम में विशेष अतिथि धर्मेन्द चैधरी डीआईजी उपस्थित रहे।
अतिथियों ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया और आदिवासी लोक कलाकारों को प्रोत्साहित
किया। अध्यक्ष आर.एन.पाटिल ने अतिथियों का स्वागत किया और संस्था की संक्षिप्त
जानकारी दी। संस्था ने बच्चों और महिलाओं के बीच कार्य करते हुए अपनी एक अलग पहचान
स्थापित की है। भारतीय कला एवं संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए समय समय पर इस तरह
के बेहतरीन आयोजन किए जातें हैं। बड़वानी की लोक कलाकार श्रीमति शालिनी एंव ग्रुप
ने मालवी लोक गीतों से समॉ बांधा। बैतूल से आए बालकृष्ण आदिवासी घाटिया ग्रुप के
कलाकारों ने दर्षकों थिरकने पर मजबूर कर दिया। श्री अर्जुन वाघमारे के इस समूह
द्वारा एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां दी गई। अतिथियों द्वारा उद्बोधन से पहले ही
कार्यक्रम अपने चरम पर पहुॅच गया। नवर्निवाचित मंत्रियों को अपने बीच पाकर लोक
कलाकार भी अत्यन्त उत्साहित नजर आए। अध्यक्ष
आर.एन.पाटिल और शैलेष गौर ने
अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट कर अभिनंदन किया। श्रीमति प्रभा गौर द्वारा धन्यवाद
प्रस्ताव पेशकर अतिथियों को कार्यक्रम में शिरकत करने हेतु धन्यवाद दिया। बलकृश्ण ठाट्या नृत्य टोली बैतूल ने रंगारंग
प्रस्तुति दी। बेटी बचाओं बेटी पढाओं पर गीत पढना बढना ता स्कूल खुल माता, आदिवासी
भाई निकुन बाडी नींद बाता।।
श्रे हम तो आदिवासी मेरे भैया बैतूल जिला झलक
रई
टो मक्का की रोटी से कर ले गुजारा मेरे भैया।
रेे हम तरे अरइिपराी मेरे भैया
प्रस्तुत किया।
वहीं कमरा गोंडी नृत्य गु्रप जिला मंडल ने केडे
नबे माता तारो भैया
केंजा माबो गोंडी ता पाटा रे भैया पर मनमोहक
प्रस्तुति दी।
आदिवासी समाज में बेटियों का जन्म अनुपात बेटों
से ज्यादाः मरकाम
ओमकार सिंह मरकार मंत्री जनजातीय कार्य विभाग
ने कहा कि आदिवासी समाज ही ऐसी समाज है जहां बेटियों का अनुपात बेटों से ज्यादा
है। आदिवासी समाज में दहेज प्रथा का कोई स्थान नहीं है। आज के भौतिक युग में कई
चुनौतियां भी हैं। जैसे पानी, रोटी, कपडा, और
मकान। आदिवासियों की संस्कृति मनुश्य को खुश रहने की राह दिखाती है।
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