जन अभियान परिषद ने एकात्म यात्रा और नर्मदा यात्रा पर खर्च किए 50 करोड़
भोपाल। मध्य प्रदेश जन अभियान परिषद की जांच में कई सामने आई हैं। उद्देश्यों के विपरीत जाकर परिषद ने भाजपा सरकार के एजेंडे पर काम किया। इससे सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लगा है।
इस मामले का खुलासा परिषद की आडिट रिपोर्ट में सामने आया है। जन अभियान परिषद की स्थापना स्थानीय समाजसेवी संगठनों को मजबूत बनाने और सरकार के योजनाओं का प्रचार प्रसार तथा अंतिम व्यक्ति तक सरकारी योजनाओं के लाभ पहुंचाने के लिए किया गया था।
लेकिन इस दस साल में परिषद इन कामों को छोड़कर वो काम करने लगा जो उसके प्रावधानों में ही नहीं था।
परिषद एकात्म यात्रा, नर्मदा यात्रा और पौधरोपण का कम करना शुरू कर दिया है। और तो और, परिषद अपने स्तर पर ही मुख्यमंत्री बैचलर ऑफ सोशल वर्क की डिग्री भी देने लगा था।
इन सभी कार्यों में परिषद ने करीब 50 करोड़ से अधिक राशि फूंक दिए। आडिट की आपत्ति के बाद जन अभियान परिषद ने इस संबंध में कोई सफाई नहीं दी। जब इस मामले में कमलनाथ सरकार ने परिषद के अधिकारियों से जवाब सवाल किया तो अधिकारियों ने इसका जिम्मेदार तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, मंत्रियों और उपाध्यक्ष को ठहरा दिया।
अधिकारियों का कहना था कि इसमें संचालक मंडल के निर्णय के अनुरूप ही काम किया गया है। इस मामले में अधिकारियों की कोई भूमिका नहीं थी।
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सीएम ने लिया था नियमित करने का निर्णय
परिषद में कर्मचारियों की नियमित भर्ती करने का कोई उद्देश्य नहीं था। चुनाव से पहले संविदा पर रखे गए कर्मचारियों को नियमित भर्ती करने का निर्णय संचालक मंडल का ही था। चूंकि परिषद के अध्यक्ष खुद सीएम थे, इससे इस मामले में वित्त तथा अन्य विभागों की तरफ से कोई जवाब सवाल नहीं किया गया था।
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बदलेगी भूमिका
कमलनाथ सरकार जन अभियान परिषद की नए सिरे से भूमिका तय करेगी। इसकी जिम्मेदारी आर्थिक सांख्यकीय विभाग को दी गई है। जिला एवं ब्लाक स्तर पर काम कर रहे समन्वयकों के स्थानांतरण की भी प्रक्रिया तय की जाएगी।
अब जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों के अधीन ब्लाक स्तर के समन्वयकों को काम करना पड़ेगा। हालांकि परिषद की नई भूमिका तय होने के बाद उसे कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा।
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परिषद के कार्यों की होगी समीक्षा
परिषद के विभिन्न कार्यों की समीक्षा की जाएगी। इस दौरान यह देखा जाएगा कि जिला और ब्लाक स्तर पर जो समन्वयक तैनात किए गए हैं, उन्होंने पिछले सालों में क्या काम किया है।
उनकी योग्यता और क्षमताओं के आधार पर ही आगे की सेवाओं का निर्धारण किया जाएगा। इसके कार्यों की रिपोर्ट कलेक्टर और जिला पंचायत अधिकारियों से बुलाई जाएगी।
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जन अभियान परिषद के भूमिका में बदलाव किया जाएगा। साथ ही इनके कार्यों का ऑकलन किया जाएगा। इसके बाद परिषद की दशा और दिशा तय की जाएगी।
चितरंजन त्यागी
कमिश्रर, आर्थिक सांख्यकीय विभाग
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