Akshay tritiya: अक्षय तृतीया के दिन ना करें ये गलती वरना, हर जन्म में भुगतना पड़ेगा इसका पाप - Web India Live

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Akshay tritiya: अक्षय तृतीया के दिन ना करें ये गलती वरना, हर जन्म में भुगतना पड़ेगा इसका पाप


अक्षय तृतीया का दिन क्षय पुण्य की प्राप्ति का दिन होता है। माना जाता है की इस दिन जो भी पुण्य दान किया जाता है उसका कभी खत्म ना होने वाला फल आपको मिलता है। इसके साथ ही अक्षय तृतीया के दिन आभूषण खरीदने की परंपरा भी है। कहा जाता है इस दिन सोना चांदी खरीदना बहुत ही शुभ होता है। हर साल वैशाख मास की शुक्लपक्ष तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया यानी आखा तीज मनाई जाती है। तृतीया तिथि को माता पार्वती ने मानव कल्याण हेतु अमोघ फल देने वाली बनाया है। मां के आशीर्वाद स्वरूप इस तिथि के मध्य किया गया है। इस तिथि पर किया गया कोई भी कार्य निष्फल नहीं होता...
akshay tritiya 2019
जन्मों तक पीछा नहीं छोड़ता इस दिन किया पाप
अक्षय तृतीया के दिन अच्छे कर्मों को करने से उसका पुण्य कर्म कभी क्षय नहीं होता। उसका फल व्यक्ति को मिलता ही है। लेकिन ये बात भी सही है कि इस दिन जिस प्रकार पुण्य फल कभी खत्म नहीं होता उसी प्रकार इस दिन किए गए बुरे कर्मों का पाप भी कभी खत्म नहीं होता। जी हां, पंडित रमाकांत मिश्रा के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन यदि आप किसी के साथ दुर्व्यवहार, अत्याचार या किसी का अनादर व धूर्तता करते हैं तो इसका परिणाम भी आपको मिलता है और इस दिन किया कोई भी पाप आपका जन्मों तक पीछा नहीं छोड़ता है। इसलिए शास्त्रों के अनुसार बताया गया है की इस दिन जीवात्माओं को बहुत सावधानी बरतनी चाहिए।
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इस दिन पुण्य पाने के लिए लगाएं पेड़
अक्षय तृतीया के दिन पीपल, आम, पाकड़, गूलर, बरगद, आंवला, बेल, जामुन अथवा अन्य फलदार वृक्ष लगाने से प्राणी सभी कष्टों से मुक्त होकर ऐश्वर्य भोगता है।
माता पार्वती ने बताया है व्रत का महात्मय
स्वयं माता पार्वती ने धर्मराज को समझाते हुए कहा है कि यही व्रत करके मैं भगवान शिव के साथ आनंदित रहती हूं। ऐसे में कन्याओं को भी उत्तम पति की प्राप्ति के लिए यह व्रत पूरी श्रद्धा-भाव के साथ करना चाहिए। जिस महिला को अभी तक संतान सुख की प्राप्ति नहीं हुआ है, उसे भी इस व्रत को करके माता के आशीर्वाद से इस सुख की प्राप्ति हो सकती है। देवी इंद्राणी ने इसी अक्षय तृतीया का व्रत करके जयंत नामक पुत्र प्राप्त किया था। इसी व्रत को करके देवी अरुंधती अपने पति महर्षि वशिष्ट के साथ आकाश में सबसे ऊपर का स्थान प्राप्त कर सकी थी।


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