एस्सेल इंफ्रा कंपनी ने बगैर सूचना बंद किया शहर में काम, डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन ठप - Web India Live

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एस्सेल इंफ्रा कंपनी ने बगैर सूचना बंद किया शहर में काम, डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन ठप

भोपाल. राजधानी के गली-मोहल्लों में सफाई बंद है, नुक्कड़ कचरे से पटे हैं। यह स्थिति एक-दो दिन से नहीं, बल्कि स्वच्छता सर्वे में पिछडऩे के बाद से है। पत्रिका ने हकीकत जानने के लिए पड़ताल की तो पाया कि निगम और ठेका कंपनी दोनों ने शहर को कचराघर बना रखा है। दरअसल, कचरे से बिजली बनाने एस्सेल इंफ्रा कंपनी को ठेका दिया गया था, जिसने बगैर सूचना के काम बंद कर दिया है। वजह कमीशनबाजी और पावर परचेस एग्रीमेंट नहीं होना बताए जा रहे हैं। कंपनी के पास प्रदेश के कई शहरों का ठेका है। भोपाल नगर निगम ने दूसरे शहरों के मुकाबले सर्वाधिक 1710 रुपए प्रति टन कचरा कलेक्शन की दर पर डोर-टू-डोर कलेक्शन का एग्रीमेंट किया था। कंपनी दो साल से आदमपुर साइट पर कचरा डंप करवा रही थी। दिसंबर 2019 तक बिजली उत्पादन शुरू करने का दावा था। आदमपुर खंती में आग लगने की जांच में सामने आया कि कंपनी दो माह से मौके पर ही नहीं है। बगैर सूचना कचरा उठाने का काम बंद कर दिया, जिससे शहर में गंदगी का अंबार लगा है। बारिश में हालात बिगड़ेंगे। लापरवाही का आलम यह है कि कमिश्नर दत्ता को निरीक्षण में पता चला कि कंपनी भाग गई है।

पूर्व डायरेक्टर के गंभीर आरोप
एस्सेल इंफ्रा के पूर्व प्रोजेक्ट डायरेक्टर रणंजय सिंह का कहना है कि नगर निगम एस्सेल इंफ्रा को 1710 रुपए प्रति टन कचरे के हिसाब से मासिक भुगतान करता रहा है। कचरा आदमपुर खंती में तौला जाता था, जिसका बिल अपर आयुक्त पास करते थे। भुगतान के बदले कमीशनबाजी हुई और बिजली उत्पादन में रुचि नहीं ली। 10 करोड़ खर्च करने के बावजूद काम बंद करना पड़ा।
शहर से रोजाना उठ रहा सिर्फ 30त्न कचरा
एस्सेल इंफ्रा दो साल से कचरा कलेक्शन करवा रही थी। शहर से प्रतिदिन निकलने वाले 850 टन कचरे में से 40 प्रतिशत कलेक्शन कंपनी कराती थी, जबकि बीएमसी 30 प्रतिशत तक। नगर निगम परिषद की बैठक में पेश आंकड़ों के मुताबिक शहर में 30 प्रतिशत कचरा छूट जाता था। एस्सेल कंपनी के काम बंद कर देने से कचरा कलेक्शन दर घटकर 30 प्रतिशत पर आ गई है।

पावर परचेस एग्रीमेंट पूरा नहीं हुआ है। कचरा कलेक्शन निगम अपने स्तर पर करवा रहा है। ज्यादा जानकारी कमिश्नर दे सकेंगे।
मयंक वर्मा, अपर आयुक्त, निगम


तकनीकी पहलुओं का परीक्षण कराया जा रहा है। पीपीए को मंजूरी देने की प्रक्रिया विद्युत नियामक आयोग में चल रही है।
बी. विजय दत्ता, निगमायुक्त

आदमपुर खंती बीएमसी संचालित कर रहा है। पीपीए को विद्युत नियामक आयोग से मंजूरी नहीं मिलती, काम चालू नहीं कर सकते।
नारायण राव, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, एस्सेल इंफ्रा कंपनी



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