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तालाब में गहरी खाई बनाएं, कोलांस के मुहाने से खुदाई शुरू करें तो मिले पूरा लाभ

भोपाल. बड़ा तालाब में इस समय 10 फीट तक गाद जमा हो गई है। तालाब अपनी क्षमता से 30 फीसदी तक कम पानी सहेज पा रहा है। बीते सालों में इसका दायरा एक तिहाई तक सिकुड गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि तालाब को फिर से अपनी पुरानी स्थिति में लाने के लिए आसपास के अतिक्रमण हटाना, सीवेज रोकना तो चाहिए ही, गहरीकरण में भी तकनीकी तौर पर काम करने की जरूरत है।

तालाब में ऊपरी खुदाई की बजाय गहरी और लंबी खाईयां बनाई जाए ताकि पानी अंदर तक जा सके। इतना ही नहीं, तालाब में जिस स्थान पर कोलांस नदी मिलती है सबसे अधिक गाद वहीं है और उसे सबसे पहले हटाने की जरूरत है। एक्सपट्र्स का कहना है कि तालाब के किनारों पर गहरी खुदाई की जाना चाहिए, ताकि इसमें अंदर कोई घुसपैठ न कर सके, किनारों पर पानी हमेशा भरा रहे।

गौरतलब है कि बड़ा तालाब के कैचमेंट से लेकर एफटीएल तक सुनियोजित तरीके से खत्म किया जा रहा है। हाल में जिला प्रशासन द्वारा कराए सर्वे में एफटीएल से 50 मीटर दायरे में एक हजार के करीब पक्के निर्माण मिले थे। तालाब में पानी लाने वाली कोलांस और उलझावन नदियां भी अपना अस्तित्व खो चुकी है। इतना ही नहीं, कैचमेंट में लगातार रासायनिक खेती की जा रही है, जिससे हानिकारक तत्व तालाब में मिलकर इसके पानी को विषैला बना रहे हैं। समय-समय पर आई रिपोट्र्स में ये स्थितियां जाहिर भी हुई है। एक्सपट्र्स का कहना

अनट्रीटेड कैचमेंट से तालाब में मलीय जल आता है। पूरा क्षेत्र ट्रीट करना चाहिए जो एक स्थायी समाधान है। पानी के साथ सिल्ट और हानिकारक टॉक्सिन आएंगे ही नहीं। तालाब में गहरे ट्रेचेस बनाने चाहिए, ताकि पानी गहराई में उतरे। ऊपरी खुदाई से कोई लाभ नहीं है।
- डॉ. अरूण जोशी, एक्सपर्ट ऑर्गेनिक फॉर्मिंग गंगा कैंपेन


तालाब का दायरा एक तिहाई रह गया है। कैचमेंट भोपाल, सीहोर, रायसेन तक था, वह भी कम हो गया। तालाब में इस समय 10 फीट तक गाद जमा है। जो नदियां तालाब में पानी लाती हैं वे भी खत्म हो गई। तालाब किनारे कई तरह की गतिविधियां शुरू की जो नुकसानदायक है। ऐसे में विस्तृत प्लान बनाकर काम करने की जरूरत है।

- केएस तिवारी, लेखक नदी-जल संरक्षण

तालाब में जहां कोलांस नदी मिलती है, वहां सबसे अधिक वैलोसिटी जमा होती है। इस मुहाने पर ही सबसे पहले गहरीकरण शुरू करना चाहिए। तालाब के अंतिम छोर तक तो सिल्ट जाने में समय लगता है, लेकिन मुहाने पर सबसे अधिक गाद रहती है। यहां से शुरू कर बॉटम की और जाना चाहिए।
- डॉ.़ टीआर नायक, वैज्ञानिक व प्रमुख सेंट्रल इंडिया हाइड्रोलॉजी

फैक्ट फाइल

- 3 वर्गमील था शुरुआत में तालाब का दायरा

- 1908 में ब्रिटिश राज में गजट जारी कर एरिया जाहिर किया था
- 1935 में तालाब के एरिया में कुछ बढ़ोतरी की गई

- 1963 में पहली बार तालाब का सीमांकन हुआ, जिसमें ये 31 वर्ग किमी निकला।
- 10 फीट तक गाद थी 1963 में

- 45 साल बाद तक इसकी गाद और सीमा को लेकर कोई स्थिति स्पष्ट नहीं की
- 50 फीसदी गाद और दायरा कम होने की आशंका है एक्सपट्र्स की तालाब के मामले में

नोट- जैसा तालाब के मामलों के एक्सपट्र्स ने बताया।

सुबह आठ बजे से शुरू होगी खुदाई, दो पोकलेन, चार जेसीबी, 25 डंपर लगेंगे काम पर

बड़ा तालाब गहरीकरण का काम बुधवार सुबह आठ बजे भदभदा झुग्गी बस्ती के पीछे की ओर वाले क्षेत्र से शुरू होगा। नगर निगम ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है। सभी जोन से डंपर मंगाए गए हैं। 16 डंपर वर्कशॉप से आएंगे। करीब 25 डंपर एक समय में यहां रहेंगे। खुदाई के लिए दो पोकलेन मशीन के साथ चार जेसीबी मशीनों की व्यवस्था की गई है। निगम का दावा है कि बीते साल यहां से 30 हजार डंपर गाद निकाली थी, इसबार इससे अधिक गाद निकालना है।

इस काम में लोगों की सहभागिता बढ़ाने के लिए निगम ने झील प्रभारी संतोष गुप्ता के मोबाइल नंबर 9424499827 व जोन 19 के जलकार्य इंजीनियर का मोबाइल नंबर 9424499719 जारी किया है। यदि शहर के किसी संगठन या संस्थान, व्यक्ति को खुदाई में सहभागिता करना है तो इनसे संपर्क किया जा सकता है। इन नंबरों पर खुदाई को लेकर अपने सुझाव भी दिए जा सकते हैं। खुदाई के दूसरे चरण में खानूगांव एवं बैरागढ विसर्जन घाट के पास गहरीकरण का कार्य किया जायेगा।



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