महाराष्ट्र में जाली नोट छापकर भोपाल आते थे खपाने, साढ़े पांच लाख रुपए के जाली नोट पकड़ाए
भोपाल. राजधानी की रातीबड़ थाना पुलिस ने जाली नोट छापने और शहर में खपाने वाले तीन जालसाजों को गिरफ्तार किया है। इनके कब्जे से पांच लाख 51 हजार 620 रुपए के जाली नोट जब्त किए हैं। नोटों की छपाई महाराष्ट्र में करते थे, फिर खपाने के लिए दीगर शहरों में जाते। जालसाज नकली नोटों को फुटकर में चलाने के बजाए कमीशन पर थोक में नोट सप्लाई करते थे। जैसे किसी को एक लाख रुपए के नकली नोटों की आवश्यकता है, तो उससे पचास से साठ हजार रुपए असली नोट नकदी अथवा सीधे बैंक एकाउंट में जमा करवा लिए जाते थे।
डीआईजी इरशाद वली ने बताया कि पिछले दिनों मुखबिर से सूचना मिली कि ग्राम बरखेडृी खुर्द रातीबड़ में रहने वाला मोहम्मद वसीम नकली नोट के कारोबार में लिप्त हो सकता है। सूचना के बाद पुलिस लगातार वसीम की रैकी कर रही थी। इसी बीच पता चला कि वह किसी को साक्षी चौराहे पर नोट सप्लाई के लिए पहुंचने वाला है। मौके पर पहुंची पुलिस ने इलाके की घेराबंदी कर संदेही को दबोच लिया। तलाशी लेने पर उसके पास एक लिफाफा मिला, जिसके अंदर 45 हजार 570 रुपए रखे हुए थे। चैक करने पर यह सारे नोट नकली निकले, जिसके बाद पुलिस ने वसीम को हिरासत में ले लिया।
जलगांव महाराष्ट्र से दबोचे गए दो आरोपी
वसीम से पूछताछ के बाद पुलिस की एक टीम महाराष्ट्र के जलगांव जिला स्थित ग्राम पाचोर पहुंची और उसके रिश्तेदार सद्दाम को पकड़ा। सद्दाम भी बरखेड़ी खुर्द में रहता है, लेकिन परिवार के बाकी लोग जलगांव में रहने के कारण उसका आना-जाना लगा रहता है। सद्दाम के पास से पुलिस ने एक लाख 40 हजार रुपए के नकली नोट जब्त किए। सद्दाम के इशारे पर पुलिस ने तीसरे आरोपी भूपेंद्र पाटिल उर्फ भाऊ को पकड़ा। उसके पास से पहले 900 रुपए मिले। उसके ऑफिस जेके फायनेंस कंपनी की तलाशी लेने पर तीन लाख 65 हजार 200 रुपए के नकली नोट, नोट छापने वाला कलर प्रिंटर, कागज समेत अन्य सामान जब्त किया गया।
नोट छापने के बाद चिपका देते थे आरबीआई की थ्रेड लाइन
आरोपी भूपेंद्र ने जलगांव में एक मकान किराए पर लेकर फायनेंस कंपनी का कार्यालय खोला था। वहीं पर नई करेंसी के दो हजार, 500, 50 और 20 रुपए के नोट छापे जाते थे। इसके लिए साधारण ए-4 कागज का इस्तेमाल किया जाता था। नोट छापने के बाद आरोपी भारतीय रिजर्व बैंक जैसी थ्रेड लाइन का कई बार नोट पर टेप से चिपका देते थे। उसके बाद भीड़भाड़ वाले इलाकों में इस प्रकार के नकली नोट चलाए जाते थे। नोटों की क्वालिटी काफी अच्छी होने के कारण इसे पहली बार में नकली होने की शंका नहीं होती है, जिससे वह आसानी से बाजार में चल जाते हैं।
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal http://bit.ly/2XP38Rx
via
No comments