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शहर की बिजली, पानी, सफाई तक संकट में

भोपाल/ स्थिति एक- बिजली के 32 करोड़ रुपए बकाया पर बिजली कंपनी निगम के कार्यालयों के कनेक् शन काट चुकी है। चार करोड़ रुपए आनन फानन में जमा किए तब कुछ क्षेत्रों में कनेक् शन जोड़े गए। खतरा टला नहीं है, एक सप्ताह का समय है, राशि जमा नहीं करने पर पानी और स्ट्रीट लाइट के साथ निगम मुख्यालय के कनेक् शन भी काटे जा सकते हैं।

स्थिति दो- बारिश में खराब हुई निगम की सडक़ों की मरम्मत का काम लगभग थम गया है। बुधवार को डामर का काम करने वाले ठेकेदारों ने काम नहीं करने का कह दिया। ठेकेदारों के निगम पर 110 करोड़ रुपए बकाया है और ऐसे में काम रूक गए हैं। सफाई को लेकर होने वाले निर्माण कार्य भी नहीं हो रहे हैं। सभी भुगतान का इंतजार कर रहे, लेकिन निगम के पास पैसा नहीं है।

स्थिति तीन- नगर निगम के 6000 से अधिक कर्मचारियों को दिवाली के पहले वेतन के लिए मशक्कत करना पड़ी। नगर निगम ने भुगतान करने से इंकार कर दिया। शासन ने चुंगी की आधी राशि ही दी, जिससे आधा भुगतान हुआ। हालांकि बाद में जनप्रतिनिधियों व उच्चाधिकारियों के बीच बचाव से वेतन मिला। निगम को स्टांप ड्यूटी की राशि भी नहीं मिली है।

निगम का खजाना खाली है। बिजली के बिल के साथ ठेकेदारों के भुगतान नहीं हो पाए। करोड़ों रुपए बकाया है और आय बिल्कुल नहीं हो रही। लगातार खर्च, लेकिन आय नहीं। ऐसे में नागरिकों की स्ट्रीट लाइट, पानी की आपूर्ति से लेकर स्वच्छता में 2020 की लड़ाई लड़ रहे निगम की सफाई पर संकट है। नई सरकार के गठन के बाद बढ़ती दिक्कत शहरवासियों के लिए कठिन परिस्थिति में बदलती नजर आ रही है।

एक्सपट्र्स बोले, खर्च कम करने और राजस्व के लीकेज को बंद करने की जरूरत

- जब वित्तीय स्थिति बिगड़े तो निगम को खर्च में कटौती करने की जरूरत है। पेट्रोल डीजल के साथ ही अफसरों की सुविधाओं व बेवजह व दिखावटी निर्माणों पर रोक लगाना चाहिए। इसके साथ ही राजस्व की मॉनीटरिंग सख्त करने की जरूरत है।
- कोशिश हो कि वार्ड या जोन अधिकारी मिलीभगत से निगम के राजस्व का अपने निजी हित में नुकसान न करें। पूरी वसूली प्राथमिकता पर लाना चाहिए।

- वित्त में ऐसे अफसर हो जो शासन में उच्चस्तर पर अच्छी पकड़ और समझ हो। निगम के हक की राशि लाने में हर तरह से मशक्कत करने की जरूरत है।
नोट- सुझाव रिटायर्ड डिप्टी कलेक्टर एसबी सिंह के अनुसार।

निगम में अभी पूर्णकालिक वित्त अधिकारी नहीं

नगर निगम का वित्त, हिसाब किताब अभी प्रभार पर है। अपर आयुक्त वित्त डीएस हाड़ा के ट्रांसफर के बाद प्रभार पर काम दे रखा है। ऐसे में निगम स्तर पर शासन से अपने हक की राशि लेने या बकायादारों से सही चर्चा करने की कोई कोशिश नहीं की जा रही। इसका ही खामियाजा है कि निगम की वित्तीय स्थिति बिगड़ रही है और निगम से जुड़े सारे काम ठप्प पड़ते जा रहे हैं।

निगम की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है। बेहतर वसूली के लिए निगम की टीम काम कर रही है, लेकिन शासन से निगम के हक की राशि नहीं मिल रही। निगम से वसूली दुरूस्त करने और शासन से राशि लाने हम कोशिश कर रहे हैं।
- आलोक शर्मा, महापौर

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