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10 दिन में भाजपा को दो बड़े झटके, दूसरी बार नियम के कारण बीजेपी को मिली करारी हार

भोपाल. मध्यप्रदेश में भाजपा को बड़ा झटका लगा है। पन्ना जिले की पवई विधानसभा सीट से विधायक प्रहलाद सिंह लोधी की विधानसभा सदस्यता खत्म कर दी गई है। विधानसभा सचिवालय ने शनिवार को विधायक की सदस्यता रद्द करने का आदेश जारी किया है। सदस्यता रद्द होने के साथ ही भाजपा को बड़ा झटका लगा है। 10 दिनों के भीतर भाजपा को ये दूसरा बड़ा झटका है वहीं, प्रदेश में दूसरी बार ऐसा हुआ है जब नियम के कारण भाजपा विधायक की सदस्यता गई है।

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24 अक्टूबर को मिली थी झाबुआ में हार
झाबुआ विधानसभा के लिए उपचुनाव हुए थे। 24 अक्टूबर को उपचुनाव के नतीजे आए थे। जहां भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। यहां से कांतिलाल भूरिया ने भाजपा के भानू भूरिया को करारी शिकस्त दी थी। ये सीट पहले भाजपा के पास थी लेकिन विधायक जीएस डामोर के सांसद बनने के बाद उन्होंने विधानसभा सदस्य से इतीफा दे दिया था और यहां उपचुनाव हुए थे। इस चुनाव में भाजपा की सीट उसके हाथ से निकल गई थी।

2 नवंबर को विधायक की सदस्यता खत्म
2 नवंबर को विधानसभा सदस्य प्रहलाद सिंह लोधी की सदस्यता को समाप्त कर दिया गया। लोधी के खिलाफ एक आपराधिक मामले में भोपाल की विशेष अदालत ने उन्हें दो साल की सजा सुनाई थी। जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने विधायक की सदस्यता समाप्त कर दी।

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किस मामले में हुई है विधायक को सजा
भाजपा विधायक प्रहलाद सिंह लोधी समेत 12 लोगों पर आरोप था कि उन्होंने रेत खनन के खिलाफ कार्रवाई करने वाले रैपुरा तहसीलदार को बीच रोड पर रोककर मारपीट करते हुए बलवा किया था। मामला 28 अगस्त 2014 को सिमरिया थाना अंतर्गत का था।

दूसरी बार भजापा विधायक की गई सदस्यता
प्रलहाद सिंह लोधी की सदस्यता जाना प्रदेश में कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी इस नियम के तहत भाजपा के एक विधायक की सदस्यता जा चुकी है। 2013 में भाजपा विधायक आशारानी की सदस्यता हुई थी। 2013 में अदालत ने बड़ा मलहरा से भाजपा विधायक आशारानी और उनके पति पूर्व विधायक भैयाराजा को 10-10 साल की सजा सुनाई थी। इसी के बाद आशारानी की सदस्यता समाप्त कर दी गई थी।

किस नियम के कारण गई सदस्यता
सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के अऩुसार अगर किसी जनप्रतिनिधि को दो साल या उससे अधिक की सजा होती है तो सदस्यता खत्म हो जाएगी। साथ ही वह अगले छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकता है। यह फैसला जस्टिस एके पटनायक और जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की पीठ ने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(4) को असंवैधानिक करार देते हुए कहा था कि दोषी ठहराए जाने की तारीख से ही अयोग्यता प्रभावी होती है। क्योंकि इसी धारा के तहत आपराधिक रिकॉर्ड वाले जनप्रतिनिधियों को अयोग्यता से संरक्षण हासिल है।



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