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सात माह में सिर्फ 32 गौशालाओं का निर्माण हुआ शुरू

भोपाल। मुख्यमंत्री कमलनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट गौशाला के निर्माण के काम में पंचायत अधिकारी रुचि नहीं ले रहे हैं। सात माह पहले स्वीकृत हुई एक हजार गौ-शालाओं में से मात्र 32 का ही निर्माण कार्य छत तक पहुंच पाया है। इसमें भी बाउंड्रीबाल, सड़क, टंकी सहित अन्य निर्माण कार्य अभी भी शुरू नहीं हो पाए हैं।

चारगाह सहित, बिजली- पानी सहित अन्य की सुविधा उलब्ध कराने और देख-रेख के लिए पूरा सेट अप जमाने में ६ महीने का समय और लग सकता है। सरकार के बार-बार निर्देश के बाद भी 794 गौशालाओं का निर्माण कार्य अभी तक शुरू नहीं किया गया है। इसके साथ ही लगभग डेढ़ सौ गौशालाएं बनाने के लिए जमीन ही उपलब्ध हो पाई है। पटवारी और पंचायत सचिव का आपस में समन्वय नहीं होने के कारण बार -बार प्रस्ताव बदलना पड़ता है।

कई ऐसी स्थिति बनी है कि जिस जमीन पंचायतों ने गौशाला के लिए आरक्षित की थी,उसे ग्रामीणों के विरोध के बाद उसे बदलना पड़ा है। इसके चलते गौशाला निर्माण कार्य पीछे हो रहा है। निर्माण कार्य में हो रही देरी को लेकर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने मैदानी अफसरों और इंजीनियरों को निर्देश दिए हैं कि इस कार्य में गति लाएं। किसी भी हालत में यह कार्य 30 दिसम्बर तक पूरा करें।

जनपद पंचायत अधिकारी गौ-शाला निर्माण कार्य के प्रगति के समीक्षा हर हफ्ते करें। मैदानी अधिकारियों को जहां भी दिक्कत आ रही है वहां अधिकारी खुद मौके पर जाकर समस्या का निराकण करें। निर्माण कार्य में लेन लतीफी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कर्रवाई भी करने के निर्देश दिए गए हैं।

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पांच पंचायत के बीच में बनेगी एक गौ-शाला

प्रदेश पांच पंचायतों के बीच में कम से कम एक गौ-शाला बनाई जाएगी। वर्तमान में एक हजार गौशालाएं बनाने के लिए राशि जारी कर दी गई है। तीन हजार गौ-शालाएं और बनाई जाएंगी।

दोनों चरणों की गौशालाएं बनने के बाद विभाग इस बात का आंकलन करेंगा कि पंचायतों को और कितनी गौ-शालाओं की जरूरत है। अगर दो से तीन पंचायत के बीच में एक गौ-शाला बनाने की जरूरी होती है तो पंचायतों को इसके लिए राशि उपलब्ध कराई जाएंगी, लेकिन उन्हें गौ-शालाओं की क्षमता और उसमें रखी गई गायों की संख्या उन्हें देना पड़ेगा।


3000 गौशाला बनाने तैयार हो रही डीपीआर

तीन हजार गौशालाएं बनाने के लिए डीपीआर तैयार की जा रही है। डीपीआर में इस बात का उल्लेख किया जाएगा कि पंचायतें गौ-शालाओं के लिए पानी, चारागाह, बिजली, जगह कहां से उपलब्ध कराएंगी। इसके लिए राजस्व, बंजर और पड़त भूमि तहसील स्तर पर तलाश की जा रहा है। स्थानीय स्तर पर दानदातारों, ट्रस्टों से जमीन देने के संबंध में भी पंचायत अधिकारी संपर्क कर रहे हैं।

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