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कॉलोनाइजर नियम में रियल एस्टेट पॉलिसी के 3 बड़े बदलाव भूली सरकार

भोपाल। कमलनाथ सरकार नए कॉलोनाइजर नियमों में रियल एस्टेट पॉलिसी को के तीन महत्वपूर्ण प्रावधानों को फिलहाल लागू नहीं किया गया है। इसमें कॉलोनाइजर के लिए एक राज्य एक लायसेंस, पंद्रह फीसदी ईडब्ल्यूएस की अनिवार्यता खत्म करना और कॉलोनी एरिया में पांच किमी तक ईडल्ब्यूएस बनाने की छूट देने के नियम को अभी सरकार ने लागू नहीं किया है। इन नियमों को लागू होने के लिए अभी इंतजार करना होगा।

कमलनाथ सरकार ने मैग्नीफिसेंट एमपी के पहले ही नई रियल एस्टेट पॉलिसी घोषित की थी। इसमें सरकार ने एेलान किया था कि अब पूरे प्रदेश में कॉलोनाइजर के लिए एक ही लायसेंस लगेगा। अभी हर जिले में अलग-अलग लायसेंस लेने का नियम लागू है। इसके अलावा ईडब्ल्यूएस के दोनों प्रावधानों को भी लागू करने का एेलान किया गया था। लेकिन, अब ६ नवंबर को सरकार ने कॉलोनाइजर के नए नियमों का गजट नोफिकेशन जारी कर दिया है।

इसमें मध्यप्रदेश नगर पालिका नियम १९८८ में संशेधन किया गया है। इसके तहत ६ नियम और उसमें दो दर्जन से अधिक उप-नियमों को बदला गया है। इसमें रियल एस्टेट पॉलिसी के तहत घोषित किए गए बदलावों को शामिल किया है, लेकिन तीन महत्वपूर्ण बदलावों को भूला दिया गया।

 

एक राज्य एक लायसेंस- वर्तमान में प्रदेश में हर जिले में कॉलोनाइजर को अलग लायसेंस लेना होता है। नई रियल एस्टेट पॉलिसी में घोषित किया गया था कि पूरे राज्य में एक ही लायसेंस से काम चल जाएगा। इससे कॉलोनाइजर को बड़ी राहत मिलना है। नए नियमों में सरकार ने इसका प्रावधान नहीं किया है।

ईडब्ल्यूएस स्वैच्छिक - अभी प्रत्येक कॉलोनाइजर को गरीबों के लिए १५ फीसदी ईडब्ल्यूएस बनाना अनिवार्य रहता है, लेकिन नई रियल एस्टेट पॉलिसी में सरकार ने इसे स्वैच्छिक कर दिया था। इसके तहत एक निश्चित शुल्क देकर इस अनिवार्यता से छूट मिल जाती, लेकिन नए नियमों में इस प्रावधान को शामिल नहीं किया गया है।

5 किमी में ईडब्ल्यूएस- नई रियल एस्टेट पॉलिसी में यह भी छूट दी गई थी कि कॉलोनाइजर चाहे तो अपनी कॉलोनी एरिया के पांच किमी के दायरे में ईडब्ल्यूएस बना सकता है। अभी एेसा नहीं है, लेकिन नए प्रकाशित नियमों में इस प्रावधान को भी लागू नहीं किया गया है। इस नए नियम से बिल्डर-लॉबी को काफी राहत मिलना थी।

इनका कहना-

रियल एस्टेट पॉलिसी में जो भी वादे किए हैं, वो सब पूरे होना है। इसके लिए अलग-अलग संशोधन की जरूरत है। एक-एक करके सभी नियमों में संशोधन कर रहे हैं। इसकी प्रक्रिया में समय लगता है। दो-तीन महीने में सभी संशोधन हो जाएंगे।

- संजय दुबे, प्रमुख सचिव, नगरीय प्रशासन, मप्र

क्रेडाई की अधिकतर मांगों को सरकार मान चुकी है। जो बची हुई मांगें हैं उनके लिए भी सरकार से फिर मिलेंगे।

- नितिन अग्रवाल, अध्यक्ष, क्रेडाई भोपाल

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