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इंदौर के पेंशन घोटाले में भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय पर कार्रवाई की तैयारी

भोपाल. इंदौर के पेंशन घोटाले में भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय पर शिकंजा कसने सरकार के कदम और आगे बढ़ गए हैं। मामले की जांच के लिए गठित मंत्रियों की कमेटी ने पिछली रिपोर्ट का अध्ययन करके प्रारंभिक फाइंडिंग निकाल ली है। आगामी बैठक में इस पर मुहर लग सकती है। इससे तत्कालीन निगम कर्मचारियों से लेकर विजयवर्गीय तक पर कार्रवाई का रास्ता खुल जाएगा। जांच कमेटी की अगली बैठक 8 नवंबर को संभावित है।
कमलनाथ सरकार ने पेंशन घोटाले की जांच के लिए मंत्री तरुण भनोत, कमलेश्वर पटेल और महेंद्र सिंह सिसौदिया की कमेटी बनाई है। कमेटी की दूसरी बैठक 31 अक्टूबर को होना थी, लेकिन मंत्री कमलेश्वर पटेल और महेंद्र सिंह सिसौदिया के प्रभार वाले जिलों में प्रदेश के स्थापना दिवस समारोह में जाने के कारण बैठक स्थगित कर दी गई। तीनों मंत्री इस मुद्दे पर मिले, लेकिन चर्चा करने के बाद बैठक स्थगित कर दी। सूत्रों के मुताबिक, अभी तक तीनों मंत्री इस घोटाले पर बने जस्टिस जैन आयोग की रिपोर्ट और तत्कालीन इंदौर कमिश्नर अशोक दास की रिपोर्ट का अध्ययन करके फाइंडिंग निकाल चुके हैं। इस फाइंडिंग के आधार पर कमेटी अपनी अंतिम रिपोर्ट बनाकर मुख्यमंत्री कमलनाथ को सौंपेगी। इस फाइंडिंग में घोटाला पाया गया है, लेकिन अफसरों और विजयवर्गीय को बचाने की बात सामने आई है। यह कमेटी इस प्रकरण को जांच और कार्रवाई के लिए ईओडब्ल्यू या लोकायुक्त को सौंपने की रिपोर्ट सीएम कमलनाथ को दे सकती है।

फाइंडिंग में ये तीन बिंदु बनेंगे रिपोर्ट के आधार
1. सहकारी समितियों की ओर से जारी पैसा वापस जमा कराया गया। यह करीब 16 लाख था। यह राशि फर्जी और मृत हितग्राहियों के नाम पर दी। जांच होने पर यह राशि वापस जमा कराई, जबकि पूर्व में बांटी जा चुकी थी। कमेटी ने माना है कि पैसा वापस आना ही अपराध साबित करता है।
2. तत्कालीन महापौर कैलाश विजयवर्गीय के सहयोगी रमेश मेंदोला की नंदानगर सहकारी साख संस्था को पेंशन बांटने का काम दिया गया। कमेटी ने प्रारंभिक रूप से माना है कि यह गलत था, इसमें दबाव-प्रभाव में काम हुआ। 26 संस्थाओं के जरिए गलत पैसा बांटा गया।
3. दास रिपोर्ट और जैन आयोग की रिपोर्ट को दबाया गया। इस पर कार्रवाई नहीं की गई, जबकि मृत और फर्जी नाम पर पैसा देना व राशि वापस जमा होना साबित हुआ। इसमें रिपोर्ट दबाने वाले जिम्मेदार चयनित किए जाएं। 44 हजार लोगों के आवंटन में आधे फर्जी, मृत और दोहराव वाले साबित हुए थे।

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