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पिंजरे में भी खड़ी नहीं हो पा रही बाघिन, वन विहार में होगा इलाज

भोपाल. बाड़ी रेंज के रहवासी क्षेत्र से शुक्रवार को रेस्क्यू कर पकड़ी गई बाघिन को सतपुड़ा टाइगर रिजर्व ( एसटीआर) में चूरना के जंगलों की बजाय भोपाल वन विहार भेजा है। रविवार सुबह एसटीआर अधिकारियों ने बाघिन को छोडऩे का प्रयास किया था, लेकिन बीमार और कमजोरी के कारण वह पिंजरे में खड़ी नहीं हो सकी। विशेषज्ञों की टीम ने उसे दोपहर एक बजे वन विहार में शिफ्ट किया। अधिकारियों के अनुसार बाड़ी रेंज में बाघिन ने जो पानी पिया है, उसमें कीटनाशक हो सकते हैं। इस कारण बाघिन बीमार और सुस्त है। बाघिन शाम को 5.30 बजे एसटीआर के चिकित्सक गुरुदत्त शर्मा व टीम की निगरानी में वन विहार में शिफ्ट कर दी गई है।
चार माह बाद चूरना के जंगल में करेंगे शिफ्ट
चार महीने बाद बाघिन को फिर से चूरना में शिफ्ट किया जा सकता है। तब तक वह शिकार करना भी सीख जाएगी। एसटीआर को बाघों का कुनबा बढ़ाने में मदद मिलेगी, इसलिए भी बाघिन को छोडऩा बेहतर विकल्प है। बाघिन को वन विहार के अस्पताल में एक सप्ताह तक चिकित्सकों की देखरेख में रखा जाएगा। एक सप्ताह बाद बाघिन के स्वास्थ्य के अनुसार उसकी शिफ्टिंग को लेकर निर्णय लिया जाएगा।
दो दिनों में खाए
सिर्फ चार अंडे
शनिवार से रविवार दोपहर तक बाघिन ने सिर्फ चार अंडे ही खाए। उसे दो बार चिकन दिया गया जिसे बाघिन ने नहीं खाया। ऐसे में बाघिन काफी कमजोर हो गई थी।
&बाघिन का स्वास्थ्य ठीक नहीं था, वह ठीक से खड़ी भी नहीं हो पा रही थी। उसे गहन चिकित्सा की जरूरत है, जो भोपाल वन विहार में संभव है। उसे वन विहार भेजा है।
अनिल शुक्ला, डिप्टी डायरेक्टर एसटीआर
& बाघिन शाम छह बजे वन विहार आई, उसकी हालात खराब है। उसने कई दिनों से खाना नहीं खाया है, साथ ही बेहद डरी हुई है। बाघिन डिहाइड्रेट भी है, अभी ड्रिप लगाकर इलाज किया जा रहा है। उसे वन विहार के अस्पताल में रखा गया है और अभी उपचार देकर शांति से सोने दिया जा रहा है। सोमवार को हालत में कुछ सुधार आने पर आगे की जांच और उपचार की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी।
एके जैन,
डिप्टी डायरेक्टर, वन विहार

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