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मनमाने तरीके से बढ़ा लिया तीन गुना वेतन, अब होगी वसूली


भोपाल। प्रदेश में लगातार घाटे में चल रही जिला सहकारी बैंक के अफसरों ने मनमाने तरीके से बैंक प्रशासकों के वेतन में दो-तीन गुना बढ़ोतरी कर ली। मंगलवार को सहकारिता विभाग की समीक्षा के दौरान इसका खुलासा हुआ। सहकारिता मंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने अफसरों की मनमानी पर कड़ी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने सहकारिता आयुक्त को निर्देश दिए कि जिन सहायक पंजीयक और उप पंजीयकों ने वेतन बढ़ाने की मंजूरी दी है उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। इसके साथ ही बैंक प्रशासकों से बढ़े हुए वेतन की वसूली की जाए।
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बैठक में सहकारिता विभाग के अफसरों ने बताया कि नियम के अनुसार लाभ में चलने वाले बैंकों में वेतन वृद्धि हो सकती है, इसके लिए सहकारिता आयुक्त की मंजूरी जरूरी है। लेकिन इस मामले में इस नियम की अनदेखी की गई। साथ ही अफसरों की मिलीभगत भी उजागर हुई।
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प्राईवेट यश बैंक में जमा कर दिए 10 करोड़ -
समीक्षा में इस बात का भी खुलासा हुआ कि भोपाल कीसेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक के प्रबंधक संचालक आरपी हजारी ने कमीशन के फेर में मनमाने तरीके से निजी यश बैंक में 10 करोड़ रुपए फिक्स डिपॉजिट में जमा करवा दिए। सरकार का ेपैसा निजी बैंक में जमा नहीं कराया जा सकता। सहकारिता मंत्री ने प्रबंध संचालक के खिलाफ जांच करने के निर्देश दिए हैं। समीक्षा में यह बात भी सामने आई कि यहां संस्थागत जमा तो अधिक है लेकिन व्यक्तिगत जमा नहीं के बराबर है। मंत्री ने यहां व्यक्तिगत जमा बढ़ाए जाने के निर्देश दिए गए। साथ ही डूबत खाते की राशि वसूली करने को भी कहा गया।
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कर्ज अदला-बदली में करोड़ों का फटका -
चौंकाने वाली यह रही कि ज्यादातर बैंक कर्ज वसूली में पिछड़े, लेकिन इसमें कोई रूचि नहीं दिखाई। इसलिए डूबत खाते की रकम लगातार बढ़ती गई। बैंकों ने कर्ज की अदला-बदली का खेल कर बैंकों को करोड़ों की चपत भी लगाई है। नियमानुसार पुराना कर्ज चुकाने के बाद नया कर्ज दिया जाना चाहिए था, लेकिन बैंक के अफसरों ने मिली भगत कर नया कर्ज देकर इससे पुराना कर्ज चुकता कर दिया। अब ऐसे बैंकों की जांच के आदेश दिए गए हैं।
मंत्री ने दिए एफआईआर के निर्देश -
राजगढ़ जिले की समीक्षा में पाया गया कि कर्ज का असंतुलन तथा वित्तीय अनियमितता के चलते सहकारी बैंक की हालत खराब है। वहां 183 करोड़ रूपये डूबत खाते में है। इस पर मंत्री ने वित्तीय अनियमितताओं के प्रकरणों वसूली तथा एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई के निर्देश दिए। साथ ही उन्होंने कहा कि आगामी जून तक कम से कम 75 करोड़ ऋण राशि की वसूली कर ली जाए।
होशंगाबाद में मिली भगत उजागर, रुकेगी वेतन वृद्धि -
समीक्षा में होशंगाबाद जिले की स्थिति भी काफी खराब पाई गई, वहां 292 करोड़ रुपए डूबत खाते में है, जिसमें अधिकांश गैर कृषि ऋण है। कई कर्मचारियों के खिलाफ मामले भी चल रहे हैं। कई प्रकरणों में संबंधित सहायक और उप पंजीयक द्वारा स्टे भी दे दिया गया है। इसे गंभीरता से लेते हुए मंत्री ऐसे सहायक और उप पंजीयकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए उनकी वेतन वृद्धियां रोकने के निर्देश दिए।
सीहोर में डूबत खाते की रकम बढ़कर 280 करोड़ हुई -
सीहोर जिले की समीक्षा में पाया गया कि वहां जिला सहकारी बैंक का वर्ष 2016-17 में 38 करोड़ रुपए डूबत खाता में था। वर्ष 2018-19 में यह राशि बढ़कर 280 करोड़ रुपए हो गई। कर्ज वसूली को लेकर बैंक द्वारा कोई ठोस प्रयास नहीं किए गए। इस पर सहकारिता मंत्री द्वारा नाराजी व्यक्त करते हुए कहा कि यदि स्थिति नहीं सुधारी गई तो बोर्ड भंग करने की कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने निर्देश दिए कि ऋण वसूली की मासिक योजना बनाकर सघन कार्रवाई की जाए। जो लोग कार्य करना नहीं चाहते वे बैंकों से बाहर जाने की तैयारी कर लें।
यहां भी बढ़ी डूबत खाते की रकम -
बैतूल जिले में डूबत खाते की राशि 143 करोड़ रुपए है। 30 जून तक 100 करोड़ रूपये की वसूली करने की बात कही गई। रायसेन जिले में डूबत खाते की 148 करोड़ पाई गई। वहां के अधिकारियों ने भरोसा दिलाया कि जून तक 45 करोड़ की वसूली कर ली जाएगी। विदिशा जिले में 45 करोड़ डूबत खाते की राशि है। इसे जून तक वसूली करने के निर्देश दिए। बैठक में अपैक्स बैंक के प्रशासक अशोक सिंह, सहकारिता विभाग के प्रमुख सचिव अजीत केसरी, सहकारिता आयुक्त एमके अग्रवाल, अपैक्स बैंक के एमडी प्रदीप नीखरा सहित सहकारिता विभाग के अधिकारी मौजूद रहे।


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