पौधरोपण का रिकार्ड नहीं देने पर मंत्रियों ने अफसरों पर जताई नाराजगी

भोपाल। शिवराज सरकार में दो जुलाई 2017 को एक साथ रोपे गए सात करोड़ पौधों की जांच के लिए गठित मंत्रि समिति की बैठक शुक्रवार को वित्तमंत्री तरूण भनोट के कक्ष में हुई। बैठक में वित्तमंत्री के अलावा पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल और कृषि मंत्री सचिन यादव भी थे, जबकि समिति के सदस्य वन मंत्री उमंग सिंघार प्रदेश से बाहर होने के बैठक में शामिल नहीं हो सके। बैठक में समिति ने चार करोड़ पौधों का हिसाब नहीं मिलने पर नाराजगी जताई है।
मंत्रियों ने कहा कि वन विभाग के पास तीन करोड़ पौधों का हिसाब है, तो शेष चार करोड़ पौधों का हिसाब क्यों नहीं मिल रहा। मंत्रियों ने संबंधित विभागों के अफसरों से कुछ प्रश्नों के उत्तर दो दिसंबर तक मांगे हैं। उनसे प्रतिवेदन प्रस्तुत करने को कहा गया है।
मंत्री कमलेश्वर पटेल ने बताया कि मनरेगा के तहत साढ़े पांच सौ करोड़ के पौधे लगाए गए थे, जिसका अभी तक अधिकारियों ने कोई हिसाब और जानकारी नहीं दी है। उन्हें उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के पूर्व एसीएस राधेश्याम जुलानिया ने सभी अधिकारियों को यह निर्देश दिया था कि पौधरोपण का रिकार्ड रखने की जरूरत नहीं है। एससीएस जुलानिया के इस निर्देश पर भी मंत्रियों ने आपत्ति जताई है।
इसके अलावा योजना एवं आर्थिक सांख्यिकी विभाग द्वारा भी पौध रोपण किया है, जिसकी जानकारी विभाग ने अभी तक नहीं उपलब्ध कराई है।
विधानसभा में उठ सकता है मामला
पौधरोपण का मामला विधानसभा के अगले सत्र में भी उठ सकता है। इसी के चलते चार सदस्यीय मंत्री समूह ने सत्र से पहले पौधरोपण पर पहली बैठक की है। कमेटी ने पौधारोपण मामले से जुड़े सभी जांच दलों की अब तक आई रिपोर्ट के आधार पर अधिकारियों से चर्चा की।
सूत्र बताते हैं कि मंत्रियों ने इस बात पर नाराजगी जताई कि वन विभाग के अलावा दूसरे विभाग (पंचायत एवं ग्रामीण विकास, कृषि एवं अन्य) पौधारोपण का विधिवत रिकॉर्ड नहीं दे पाए। मंत्रियों का कहना था कि जब तीन करोड़ पौधों का रिकॉर्ड रखा जा सकता है, तो शेष चार करोड़ का भी होना चाहिए। इसे लेकर मंत्रियों ने पौधारोपण में बड़ी गड़बड़ी की आशंका भी जताई है।
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