उत्पन्ना एकादशी व्रत पूजा आज : व्रती ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा

आज शुक्रवार 22 नवंब को उत्पन्ना एकादशी व्रत तिथि है। आज के दिन व्रत उपवास रखने से जीवन में पूर्णता की प्राप्ति होती है। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार उत्पन्ना एकादशी को सर्व मनोकामना पूर्ति एवं फलदायनी एकादशी माना जाता है। समस्त एकादशी व्रत करने की शुरूआत आज ही के दिन मार्गशीर्ष माह में हुई थी, तभी से इसे उत्पन्ना एकादशी तिथि कहा जाने लगा। आज के दिन व्रत रखकर ऐसे करें भगवान विष्णुजी की पूजा करें। भगवान श्री नारायण की कृपा से एक साथ अनेक मनोकामना पूरी होने लगेगी। की जाती है। जानें उत्पन्ना एकादशी तिथि व्रत पूजा विधि एवं मुहूर्त।
उत्पन्ना एकादशी पर जरूर करें यह काम, पूरी होगी मनोकामना
उत्पन्ना एकादशी पूजा विधि
मार्गशीर्ष माह की उत्पन्ना एकादशी तिथि के दिन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक व्रत रखकर भगवान विष्णु जी का विधिवत षोडशोपचार पूजन करने से से अनेक कामनाएं पूरी होने लगती है, इसलिए इसे फलदायी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन एकादशी व्रत कथा एवं सत्यनारायण कथा का पाठ करना चाहिए।
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उत्पन्ना एकादशी मुहूर्त
एकादशी तिथि का आरंभ 22 नवंबर शुक्रवार को सुबह 9 बजकर 1 मिनट पर होगा। एवं एकादशी तिथि का समापन 23 नवंबर को सुबह 6 बजकर 24 मिनट पर होगा।
मनोकामना पूर्ति के उत्पन्ना एकादशी पर इन श्री विष्णु मंत्रों का जप सुबह एवं शाम को तुलसी की माला से 108 बार करें-
- ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान, यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।
- ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम:।।
- ॐ श्रीं, ऊं ह्रीं श्रीं, ऊं ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नमः।।
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बंधनों से मिलती है मुक्ति
हिन्दू धर्म शास्त्रों में कथा आती है कि एकादशी व्रत शुरू करने का संकल्प केवल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की उत्पन्ना एकादशी से ही लेना चाहिए, तभी यह पूर्णतः फलदायी सिद्ध होती है। इस दिन व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति एवं अश्वमेघ यज्ञ के जैसे पुण्य फल मिलने के साथ सभी मनोकामनाएं पूरी होने लगती है। उत्पन्ना एकादशी के दिन व्रत रखकर विधिवत भगवान विष्णु की पूजा करना चाहिए। इस दिन व्रती को बुरे कर्म करने वाले, पापी, दुष्ट व्यक्तियों से दूरी बनाये रखना चाहिए। रात्रि में भजन-कीर्तन करते हुए ज्ञात-अज्ञात गलतियों के लिये भगवान श्री विष्णुजी से क्षमा मांगना चाहिए।
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