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मार्गशीर्ष मास में ध्यान में रखें ये जरुरी बातें, वरना नही मिलेगा पूजा का फल

हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के समाप्त होने पर मार्गशीर्ष का महीना शुरु होता है। यह हिंदू पंचांग का नौंवा महीना होता है, जो की शास्त्रों के अनुसार श्री कृष्ण को प्रिय होता है। इस मास को अगहन के नाम से भी जाना जाता है।

 

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श्री कृष्ण को प्रिय इस मास में नदी, तालाब या सरोवर में कुंड में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। लेकिन इस मास में कुछ चीजों का विशेष ध्यान रखने की जरुरत होती है। जिनसे आपकी भक्ति में कोई बाधा उत्पन्न ना हो और मनोकामनायें जल्द पूरी है। तो आइये जानते हैं किन बातों का रखें ध्यान....

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मार्गशीर्ष मास में क्या करें

मार्गशीर्ष मास में करें इस मंत्र का जप-
मार्गशीर्ष मास में अपने गुरु को प्रणाम करते हुये ओम दामोदराय नमः मंत्र का जप करें, आपकी प्रगति के मार्ग खुलने लगेंगे और आपको शुभ फलों की प्राप्ति होगी।

मनोकामनाओं की पूर्ति के लिये-
मार्गशीर्ष मास में विष्णुसहस्त्रनाम और भगवत गीता का पाठ करना बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसा करने से व्यक्ति के समस्त पापों का नाश हो जाता है और उसकी सभी मनोकामनाये पूरी हो जाती है।

मार्गशीर्ष मास में करें शंख की पूजा-
मार्गशीर्ष के पवित्र महीने में शंख की पूजा करने का विधान माना गया है। शंख बहुत ही पवित्र होता है और इसकी पूजा करने के लिये शंख में पवित्र जल भरें और भगवान के चारों ओर घुमायें। माना जाता है कि घर में शंख का पानी छिड़कने से शांति बनी रहती है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा का अधिक महत्व-
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन चंद्र देव की आराधना करनी चाहिए। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन ही चंद्र देव को औषधीय गुण प्राप्त हुए थे।

नदी में स्नान कर करें श्री कृष्ण का स्मरण-
अगर संभव होतो मार्गशीर्ष मास में यमुना नदी या आसपास किसी नदी में स्नान करें। स्नान करते समय श्री कृष्ण का स्मरण करें। इस मास में ऐसा करने से श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है और सभी ईच्छायें भी पूरी होती है।

शाम के समय करें भजन-किर्तन-
मार्गशीर्ष मास में प्रतिदिन स्नान के बाद भगवान श्रीकृष्ण की पूजा आराधना करें, संध्या के समय भजन कीर्तन भी विशेष फलदायी होता है।

तुलसी का पत्ता करें अर्पित-
मार्गशीर्ष मास में में पूजा के दौरान भगवान विष्णु को तुलसी का पत्र जरूर अर्पित करें। उसे प्रसाद स्वरूप स्वयं ग्रहण करें और परिजनों को भी दें।

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