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फायदे वाली सड़कों का प्रीमियम लिया नहीं, घाटे की सड़कों को दिए करोड़ों

प्रदेश में टोल टैक्स की चमचमाती सड़के बनाने के नाम पर मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम के अफसरों के रहमोकरम से ठेका कंपनियां मालामाल हो गई। बीओटी आधार पर बनाई गई 104 सड़कों की जांच में खुलासा हुआ कि निगम के अधिकारियों ने 12 साल में ठेका कंपनियों से मिलने वाली 500 करोड़ से ज्यादा प्रीमियम राशि को वसूलने में कोई रुचि नहीं दिखाई, जबकि ये अधिकारी इसके उलट घाटे वाले सड़कों को 720 करोड़ रुपए की क्षतिपूर्ति राशि हर साल भुगतान करते रहे। यह क्षतिपूर्ति उन टोल सड़कों दी जा रही है, जिनका ट्रैफिक लोड कम है।
एमपीआरडीसी ने हैवी ट्रैफिक लोड वाली सड़कों को बनाओ और चलाओ (बीओटी) मॉडल पर दिया। इसमें सड़क बनाने वाली कंपनी को टोल टैक्स से होने वाली कमाई का एक हिस्सा हर साल प्रीमियम राशि के रुप में एमपीआरडीसी को देना था।

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जांच में पांच कंपनियां सामने आई हैं जिन्होंने 350 करोड़ से अधिक की प्रीमियम राशि सरकार को नहीं दी है। साथ में हजारों करोड़ रुपए का बैंक कर्ज भी वापस नहीं किया। भोपाल बायपास के साथ अन्य चार कंपनियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।


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इन 5 प्रमुख कंपनियों ने दबाए करोड़ों
- महू-घाटाबिल्लौद रोड, एस्सल महू घाटाबिल्लौद रोड रोडस प्राईवेट लिमिटेड ने 7 साल से प्रीमियम राशि125 करोड़ रुपए जमा नहीं कराए।
- इंदौर-उज्जैन रोड, महाकालेश्वर टोलवेयज प्राईवेट लिमिटेड ने 9 साल से 6 करोड़ रुपए प्रीमियम राशि जमा नहीं कराई।
- लेबड़-मानपुर रोड, वलेचा एलएम टोल्स प्राईवेट लिमिटेड ने पांच साल से 6 करोड़ रुपए प्रीमियम राशि जमा नहीं कराई।
- बीना-कुरवाई-सिरोंज रोड, टेलीकम्यूनिकेशन कंसल्टेंटस इंडिया लिमिटेड ने पांच साल से 6.15 करोड़ प्रीमियम राशि जमा नहीं कराई।
- भोपाल बायपास, ट्रांसट्राय भोपाल बायपास टोलवेज लिमिटेड ने 6 साल की प्रीमियम राशि 140.35 करोड़ जमा नहीं कराई।

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ओएमटी मॉडल में भी 100 करोड़ की चपत
सरकार ने ठेकेदारों को सड़क बनाकर 15 साल तक चलाने के लिए दी हैं। इनमें कई ओएमटी मॉडगलकी सड़कों से 100 करोड़ की वसूली नहीं की गई।

एमपीआरडीसी ने चार मॉडल पर बनाई सड़कें
- बीओटी मॉडल - इसमें ठेकेदार को सड़क बनाने और चलाने के लिए ठेका दिया। इसमें ज्यादा ट्रैफिक वाली सड़कों पर प्रीमियम लेने का प्रावधान है।
- बीओटी प्लस एन्यूटी मॉडल - कम ट्रैफिक वाली सड़के ठेकेदार को को दी गई। सड़क बनाने और उसे 15 साल तक मरम्मत करने पर होने वाले खर्च की भरपाई टोल से की गई। कम टोल टैक्स मिलने पर सरकार इसमें क्षतिपूर्ति देती है।
- ओएमटी मॉडल- सरकार ठेकेदार को बनी बनाई अच्छी सड़क 15 साल तक चलाने के लिए ठेके पर देती है। इसमें ठेकेदार टोल टैक्स के पैसों से सड़क की मरम्मत करता है और सरकार को कमाई का एक हिस्सा भी देता है।

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- टोल प्लस ग्रांट मॉडल - कम ट्रैफिक वाली सड़कों को बनाने और 15 साल तक उसकी मरम्मत करने के लिए सरकार इस मॉडल में ठेका देती है। इसमें ठेकेदार को एक मुश्त ग्रांट राशि देती है। इसके बाद ठेकेदार टोल की वसूली से ही सड़क निर्माण की लागत और उसकी मरम्मत का खर्च निकालता है।

वर्जन -
अभी टोल पर दी गई सड़कों की जांच की जा रही है। ये बात सही है कि एन्यूटी मॉडल में अफसरों ने जितनी इमानदारी कंपनियों को क्षतिपूर्ति राशि देने में दिखाई है उतनी कंपनियों से प्रीमियम राशि वसूलने में नहीं। इसमें जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारियों के कत्र्तव्यों की भी जांच की जाएगी। रिपोर्ट तैयार होने के बाद इसे सक्षम स्तर पर पेश किया जाएगा।
मलय श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग एवं एमडी एमपीआरडीसी



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