अब जिला अस्पतालों में सेवा के बाद पीजी डिग्री
भोपाल. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) मप्र सहित देश के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी दूर करने नए नियम लागू करेगा। अगले सत्र से निजी व सरकारी मेडिकल कॉलेजों अब पीजी डॉक्टरों को पीजी के बाद तीन महीने तक जिला अस्पतालों में सेवा देनी होंगी। इसके बाद उनकी डिग्री को मान्यता मिलेगी। मालूम हो कि प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में जरूरत से आधे चिकित्सक भी नहीं हंै। नए नियम का सबसे बड़ा फायदा यह है कि जिला अस्पतालों में विशेषज्ञों की कमी काफी हद तक दूर हो जाएगी। इस नियम से मरीजों को भी काफी हद तक लाभ मिलेगा। अभी मरीजों को कई दिनों तक भटकना होता है। इससे उन्हें इलाज मिलने में आसानी होगी।
यह होगा फायदा
प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में पीजी डॉक्टर 3 से 6 महीने के लिए पदस्थ होंगे। इन सरकारी अस्पतालों को विशेषज्ञ चिकित्सक मिलेंगे। यहां जटिल ऑपरेशन हो पाएंगे। मेडिकल कॉलेजों के अस्पतालों से भी बोझ कम होगा।
हर बार भर्ती में एक तिहाई डॉक्टर ही मिल पा रहे
2010 में मेडिकल ऑफि सर्स के 1090 पदों के विरुद्ध 570 डॉक्टर ही मिले थे। इसमें से भी 200 डॉक्टर नौकरी छोड़ गए।
2013 में 1416 पदों पर भर्ती पर 65 डॉक्टरों का चयन, करीब 200 आए ही नहीं, उतने बाद में नौकरी छोड़ गए।
2015 में 1271 पदों में 874 डॉक्टर मिले हैं। इनमें भी 218 डॉक्टरों ने ज्वॉइन नहीं किया। कुछ ने नौकरी छोड़ दी।
2015 में 1871 पदों पर भर्ती शुरू हुई थी, जो बाद में अटक गई।
मार्च 2017 में साक्षात्कार के बाद रिजल्ट जारी किए गए। इसमें करीब 800 डॉक्टर मिल पाए हैं।
2018 में भी 1254 पदों के लिए सिर्फ 865 ही मिले। बाद में इनमें से 320 छोड़ गए।
अक्टूबर 2019 में भी 1165 पदों के लिए 547 कैंडिडेट की लिस्ट भेजी गई। इसमें से भी सिर्फ 416 आए।
पीजी छात्र जिला अस्पताल में काम करेंगे तो वहां डॉक्टरों की कमी दूर होगी। छात्र भी इलाज की परिस्थितियों से वाकिफ होंगे।
डॉ. वीके पॉल, चेयरमैन, बीओजी (एमसीआई)
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