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गायों की नस्ल सुधार में अब निजी सेक्टर की एंट्री, सरकार बाटेंगी लायसेंस

भोपाल। कमलनाथ सरकार ने प्रदेश में नया प्रयोग लागू करना तय किया है। इसके तहत गायों की नस्ल सुधारने में अब निजी सेक्टर को एंट्री दी जा रही है। इसके तहत गौवंश नस्ल सुधार का राज्य स्तरीय प्राधिकरण बनाया जाएगा। यह प्राधिकरण निजी सेक्टर की एजेंसी को नस्ल सुधार का सेंटर खोलने के लिए लायसेंस देगा। इसके अलावा निजी सीमन बैंक भी खोले जा सकेंगे। इसके लिए अलग से गौवंश नस्ल सुधार नीति भी तैयार होगी।


दरअसल, कमलनाथ सरकार लगातार गौवंश पर काम कर रही है। इसके तहत पहले मॉब लिंचिंग पर कानून लाया गया। इसके अलावा अब गौवंश नस्ल सुधार के लिए बड़े पैमाने पर काम शुरू किया गया है। अभी तक केवल सरकारी कृत्रिम गर्भाधान सेंटर ही काम कर रहे हैं। लेकिन, अब इसमें कृत्रिम गर्भाधान सेंटर खोलने के लिए किसी भी निजी सेक्टर के व्यक्ति को निर्धारित पैमाने पर लायसेंस दिया जाएगा।

इसका एक निर्धारित शुल्क भी लिया जाएगा। इतना ही नहीं इन कृत्रिम गर्भाधान सेंटर के लिए सीमन बैंक खोलने में भी निजी सेक्टर आ सकेंगे। इसके लिए निजी सेक्टर को रजिस्ट्रेशन कराना होगा। यह सीमन बैंक निजी व सरकारी दोनों सेंटर को सीमन सप्लाई कर सकेंगे।

यूं पॉवरफुल होगा गौवंश नस्ल सुधार प्राधिकरण-

गौवंश नस्ल सुधार के लिए बनाए जाने वाले राज्य स्तरीय प्राधिकरण के प्रमुख पशुपालन विभाग के सचिव होंगे। नौ सदस्यों की एक परामर्शदात्री गठित होगी। पशुपालन आयुक्त सहित छह सदस्य होंगे। नस्ल सुधार के विशेषज्ञ निजी सदस्य होंगे। यह प्राधिकरण ही गौवंश नस्ल सुधार की राज्य स्तरीय नीति तैयार करेगा। इसके अलावा वीर्य उत्पादन, दूसरे राज्यों से नस्ल ब्रीड लेना, सीमन बैंक पॉलिसी और निजी सेक्टर की मानीटरिंग व कंट्रोलिंग करने का काम होगा। साल में एक बार प्राधिकरण प्रत्येक सेंटर-बैंक व संस्था की रिपोट्र तैयार करेगा।

एेसे होगा काम-

- नए नियमों के तहत अधिनियम में तय मापदंडों के मुताबिक निजी सेक्टर के व्यक्ति, कंपनी, एनजीओ या अन्य संस्था को सरकार से कृत्रिम गर्भाधान सेंटर, सीमन बैंक या ब्रीड सीमन आयात-निर्यात का लायसेंस लेना अनिवार्य होगा।
- लायसेंस लिए बिना नस्ल सुधार से संबंधित कोई भी काम नहीं हो सकेगा। बिना लायसेंस काम करने पर जुर्माने, सजा व सम्पत्ति जप्ती तक की कार्रवाई हो पाएगी। इसकी अलग नियमावली बनाई जाएगी।

- यदि कोई निजी सेक्टर का सेंटर, बैंक या संस्था अभी की स्थिति में संचालित है तो उसे अक्टूबर २०१९ तक अनिवार्य रूप से लायसेंस लेना होगा। इसके लिए अभी तक के काम, अमले, खर्च व स्टॉक का ब्यौरा देना होगा।
- निजी सेक्टर को सेंटर, बैंक या अन्य काम के लिए लायसेंस सिर्फ एक साल का मिलेगा। इसके बाद निरीक्षण व परफार्मेंस ऑडिट के बाद छह महीने या एक साल के लिए अवधि बढ़ाई जा सकेगी।

- गौवंश के लिए निर्धारित जमीन, सीमन के लिए निर्धारित पर्यावरण-मशीनरी भंडारण आदि की व्यवस्था अनिवार्य होगी। इसका भौतिक सत्यापन करने के बाद ही लायसेंस दिया जाएगा।
- गौवंश नस्ल सुधार के लिए नस्ल के निर्धारित मानक पूरे करने होंगे। निर्धारित नस्ल ही बढ़ाई जा सकेगी। प्राधिकरण की मंजूरी बिना कोई नस्ल-ब्रीड देश या विदेश से नहीं लाई जा सकेगी।

जरूरत इसलिए पड़ी-

कमलनाथ सरकार का मानना है कि पिछले पंद्रह सालों में भाजपा ने गायों का नाम तो खूब लिया, लेकिन काम कोई नहीं किया। इसलिए अब गौवंश को लेकर कमलनाथ सरकार काम कर रही है। सरकार का यह भी मानना है कि पिछले पंद्रह सालों में गायों की देसी नस्ल बेहद खराब हुई है। जो सरकारी नस्ल सुधार सेंटर काम कर रहे हैं, उनकी परफार्मेंस ठीक नहीं है। हरियाणा व पंजाब सहित दूसरे राज्यों की नस्ल लाकर नस्ल सुधार में भी काम खराब हुआ। इसलिए देसी-विदेशी नस्ल को लेकर एक नीति बनाना तय किया गया। इसमें मध्यप्रदेश और देसी नस्ल को लेकर विशेष तौर से काम होगा। अभी इसका विधेयक लागू किया गया है। इसके बाद अब नीति बनाकर काम होगा।

2009-10 में सीएजी बता चुका है नस्ल खराब-

गौवंश नस्ल सुधार को लेकर २००९-१० की केंद्र की सीएजी रिपोर्ट में मध्यप्रदेश की स्थिति बेहद खराब बताई गई थी। तब, प्रदेश के कृत्रिम गर्भाधान सेंटर को नस्ल सुधार की बजाए बिगाडऩे के लिए जिम्मेदार माना गया था। इसके खर्च को भी आर्थिक अनियमितता में रखा गया। सीएजी ने तब नस्ल सुधार के लिए दूसरे राज्यों से लाई जा रही ब्रीड को भी ठीक करार नहीं दिया था। हालांकि तत्कालीन भाजपा सरकार ने उसे खारिज किया था।

इनका कहना-

गौवंश नस्ल सुधार के लिए पिछली भाजपा सरकार ने कोई काम नहीं किया। गायों की नस्ल सुधरे इसलिए हमने निजी सेक्टर को भी गर्भाधान सेंटर व सीमन बैंक में लाना तय किया है। कोई किसान भी चाहेगा, तो वह इसके लिए काम कर सकेगा। - लाखन सिंह यादव, मंत्री, पशुपालन विभाग, मप्र

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