सरकार का नया प्रयोग- बनाए 30 देसी गांव, जड़ी बूटियों से यहां होगा इलाज

डॉ. दीपेश अवस्थी की रिपोर्ट, भोपाल। सभी को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने की कड़ी में राज्य सरकार अब आयुष गांव तैयार कर रही है। इसके तहत प्रदेश भर में अभी तक 30 गांव तैयार हो चुके हैं। इन गांवों में देसी तरीके से इलाज के साथ जीवन जीने का कला भी सिखाई जा रही है। बेहतर स्वास्थ्य के टिप्स भी दिए जा रहे हैं। इसका सीधा लाभी इन गांवों एक लाख 52 हजार लोगों को मिल रहा है। राज्य सरकार के इस प्रयास में केन्द्र सरकार भी सहयोग कर रही है।
केन्द्र के आयुष मिशन के तहत मध्यप्रदेश सरकार ने इन गांवों के लिए चयन के पहले घर-घर सर्वे किया। इसके लिए आयुष कॉलेजों के विद्यार्थियों गांव-गांव भेजा गया। इन विद्यार्थियों ने घर-घर जाकर लोगों का चैकअप किया। गांव-गांव कैम्प लगाए गए। यह भी देखा कि किस गांव में किस प्रकार के अधिक मरीज हैं। सर्वे के आधार पर एकत्रित जानकारी के आधार पर इलाज का खाका तैयार किया गया।
इसके लिए गांव के प्रत्येक परिवार के स्वास्थ्य कार्ड बनाए गए। इसमें परिवार के मुखिया सहित उनके स्वास्थ्य की जानकारी भी दी गई। यदि कोई बीमारी है तो उसका उल्लेख भी इसमें किया गया है। इलाज कराने पहुंचने वाले का कार्ड अलग से बनाया जाता है। इसमें उसकी बीमारी और किए जा रहे इलाज का उल्लेख होता है। यह पूरा इलाज नि:शुल्क होता है।
कहां कैसी-कैसी बीमारी -
सर्वे के दौरान पाया गया कि जबलपुर के कुछ गांवों में किडनी रोग के अधिक मरीज मिले। इसका कारण खोजा गया तो पता चला कि यहां के पानी के कारण उन्हें यह रोग हो रहा है। इसके लिए उन्हें जागरूक किया गया। इसी प्रकार ग्वालियर के गांव में पेट की बीमारी के अधिक पाई गई। लोगों के पेट में की कीड़े पाए जाने के मामले मिले। मध्ुामेह, रक्तचाप, कैंसर इत्यादि के मरीज भी पाए। अनियमित खान-पान के कारण ज्यादातर गांवों विभिन्न प्रकार की बीमारियां होना पाया गया। बुखार इत्यादि से बचाव के लिए लोगों को मलेरिया की दवा वितरित की गई।
राज्य आयुष कॉलेज हैं नोडल सेंटर -
आयुष गांवों को चयन करने और इलाज की जिम्मेदारी आयुष कालेजों की है। इसलिए इन कालेजों को नोडल सेंटर बनाया गया है। इसमें भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, उज्जैन, जबलपुर, रीवा, देवास में आयुष के कॉलेज शामिल हैं। इन सेंटरों की जिम्मेदारी है कि ये अपने अधीन आने वाले आयुष गांवों में डॉक्टरों को भेजे, कैम्प लगाकर इलाज करें। जरूरत पडऩे पर उन्हेंं अस्पताल में शिफ्ट करें, जिससे उनका बेहतर इलाज हो सके।
औषधीय वनस्पति के प्रति जागरूकता का प्रयास -
यह सही है कि तमाम गंभीर बीमारियों का इलाज दुर्लभ जड़ी बूटियों से हो जाता है, लेकिन आमजन को न तो इसकी जानकारी है और न ही इनकी पहचान है। ऐसे में ये दुर्लभ जड़ी बूटियां और स्थानीय वनस्पति के पेड़-पौधे नष्ट हो रहे हैं। आयुष विभाग ग्रामीणों को इन जड़ी बूटियों और पौधों की पहचान भी करा रहा है। उन्हें यह भी बताया जा रहा है कि किस पौधे की जड़ या फिर पत्तियां किस बीमारी के काम आती हैं। इनके उपयोग का तरीका भी बताया जा रहा है। प्रयास यही है कि लोग छोटी-छोटी बीमारियों का इलाज घर बैठे स्वयं ही कर लें।
यह हो रहा है आयुष गांवों में -
- ग्रामीणों को आयुष जीवन शैली के तरीके अपनाने के टिप्स दिए जा रहे हैं।
- ग्रामीणों के स्वास्थ्य का रिकॉर्ड विभाग तैयार करता है। रिपोर्ट की एक कॉपी परिवार के पास तथा दूसरी विभाग के पास रहेगी।
- आयुष गांव में आयोजित योग शिविर में आयुर्वेद के अनुसार स्वास्थ्य रक्षा के उपाय, दिनचर्या और ऋतु चर्या का पालन करने की सलाह दी जाती है।
- शिविरों में शासकीय आयुर्वेद कॉलेज के पंचकर्म, सर्जरी, बाल रोग, स्त्री रोग विभाग सहित अन्य विभागों के डॉक्टर सेवाएं देते हैं।
- स्थानीय वनस्पति पौधों को बचाने के साथ औषधीय पौधे भी रोपे जा रहे हैं। इसमें ग्रामीणों को भी शामिल किया जा रहा है।
मंत्री बोलीं —
सरकार का उद्देश्य सभी को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना है। आयुष गांव तैयार किए जाना इसी की कड़ी है। इसके बेहतर परिणाम मिल रहे हैं। योजना का एक-दो दिन में रिव्यु किया जाएगा।
- विजयलक्ष्मी साधौ, मंत्री आयुष विभाग
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