छह हजार की रिश्वत लेते धरा गया क्राइम ब्रांच का प्रधान आरक्षक, सड़क पर बनाया पंचनामा

भोपाल. लोकायुक्त की विशेष स्थापना पुलिस टीम ने बुधवार को क्राइम ब्रांच में पदस्थ प्रधान आरक्षक महेंद्र सिंह हरदा को छह हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा है। महेंद्र ने शिकायतकर्ता खालिद कुरैशी निवासी बिस्मिल्लाह कॉलोनी ऐशबाग से 10 हजार रुपए की मांग की थी। लेकिन तोड़ 6 हजार रुपए में हुआ। महेंद्र ने खालिद को पेट्रोल पंप के पास बुलाया था, लेकिन चौराहे पर कैमरा देखकर उसने ठंडी सड़क पर आकर पैसे का लेनदेन किया। इसी बीच लोकायुक्त पुलिस ने पीछाकर महेंद्र को पकड़ लिया। यहां खास बात ये रही कि टीम ने सड़क पर ही आरोपी पर पूरी कार्रवाई की।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि महेंद्र उसे पूर्व से रिकॉर्डधारी होने के कारण फर्जी केस में फंसाने की धमकी दे रहा था। खालिद ने लोकायुक्त को इसकी दो दिसंबर को शिकायत की और बुधवार को उसे रंगे हाथ पकड़ लिया है। गौरतलब है कि महेंद्र के फोन में क्राइम ब्रांच के अधिकारियों के लेनदेन पैसे वसूली की रिकॉर्डिंग लोकायुक्त पुलिस को हाथ लगी है।
जुए के मामले में फंसाने की धमकी दे रहा था
फरार जुआरी को दूसरे मामले में न फंसाने के एवज में 10 हजार रुपए की रिश्वत मांगी जा रही थी। मौके पर हाथ धुलवाए और गिरफ्तारी पंचनामा के बाद प्रधान आरक्षक को निजी मुचलके पर छोड़ दिया। लोकायुक्त पुलिस के अनुसार खालिद कुरैशी चिकन शॉप में काम करता है। 11 नवंबर को क्राइम ब्रांच ने अशोका गार्डन इलाके में जुए की फड़ से 15 जुआरियों पकड़ा था। जुआरियों ने पुलिस को बताया था कि जुएं की यह फड़ खालिद की है, लेकिन क्राइम ब्रांच को खालिद मौके पर नहीं मिला। इस कार्रवाई में महेंद्र सिंह भी था।
वरिष्ठ अधिकारियों की शह पर वसूली
लोकायुक्त पुलिस ने बीते दिनों कृषि विभाग के संयुक्त संचालक उत्तम सिंह जादौन को पकड़ा तो उन्होंने भी सीनियर अधिकारियों की मांग पर रिश्वत की बात कही। वहीं, बुधवार शाम को महेंद्र ने भी लोकायुक्त पुलिस को यही बताया और उसके मोबाइल फोन से जब्त रिकॉर्डिंग व व्हाट्सऐप मैसेज में भी वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा रिश्वत का हिसाब किताब मिला है।
अधिकारियों का करीबी होने से दबा दी जा जाती थी शिकायतें
महेंद्र हमेशा से पुलिस अधिकारियों का चहेता रहा है। भोपाल से बाहर पदस्थ एक आईजी स्तर के पुलिस अधिकारी के बेहद करीबी होने का लाभ हमेशा मिला। पूर्व में भी महेंद्र को रिटायर्ड सीएसपी का करीबी होने का लाभ मिला। जहांगीराबाद और ऐशबाग थाना क्षेत्र में पदस्थी के दौरान महेंद्र की वसूली संबंधी कई शिकायतें हुई, लेकिन हमेशा दबा दी जाती थी। वहीं, कुछ महीने पहले महेंद्र को क्राइम ब्रांच में पदस्थ किया तो यहां भी अपने उच्च अधिकारी का खास बन कर काम करने लगा। महेंद्र को अधिकारियों का संरक्षण मिला। जो क्वॉर्टर थाना प्रभारियों को आवंटित होता है, उस श्रेणी का शासकीय आवास पुलिस लाइन नेहरूनगर में महेंद्र को आवंटित है। जिसे एनजीओ क्वॉर्टर बोला जाता है।
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