एनीमिया पर नियंत्रण के लिए मुख्यमंत्री का मेगा प्लान, निगरानी के लिए लगाई स्वास्थ्य मंत्री की ड्यूटी
भोपाल : खून की कमी से पीडि़त मध्यप्रदेश की सेहत सुधारने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक साल का मेगा प्लान तैयार किया है। मुख्यमंत्री की कोशिश अगले एक साल में एनीमिया पर प्रभावी नियंत्रण लगाने की है। इसके लिए सीएम ने स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट की योजना की निगरानी की ड्यूटी लगाई है। केंद्र सरकार के एनीमिया मुक्त भारत अभियान से आगे बढ़ प्रदेश सरकार ने एनीमिया मुक्त मध्यप्रदेश अभियान पर काम शुरु किया है।
सरकार ने उन स्कूलों को भी चिन्हित कर लिया है जहां पर एनीमिया पीडि़त बच्चे बड़ी संख्या में हैं। इन स्कूलों में भी योजना की शुरुआत की गई है। सरकार ने एनीमिया के तहत पिछले एक साल में किए गए काम की रिपोर्ट भी तैयार की है। प्रदेश में 69 फीसदी बच्चे, हर दूसरी महिला और हर चौथे पुरुष को खून की कमी है। सरकार के मुताबिक एनीमिया में 40 फीसदी लोगों की स्थति गंभीर है।
प्रदेश में एनीमिया के आंकड़े :
प्रदेश में एनीमिया की गंभीर स्थिति है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक खून की कमी के मामले में 20 फीसदी सामान्य जबकि 40 फीसदी लोग गंभीर स्थिति में हैं। 6 से 60 महीने के बच्चों में 68.9 फीसदी एनीमिया है। प्रदेश की हर दूसरी महिला एनीमिया से पीडि़त है। आंकड़ों के मुताबिक 54.2 फीसदी गर्भवती महिलाएं एनीमिया से पीडि़त हैं जबकि 15 साल से 49 साल तक की 52.5 फीसदी महिलाओं में एनीमिया है। पुरुषों में भी ये बीमारी लगातार बढ़ रही है। 15 साल से 49 साल तक के पुरुषों में 25.5 फीसदी खून की कमी के शिकार हैं।
एनीमिया के खिलाफ मेगा प्लान :
6 महीने से 60 महीने के बच्चों को हर सप्ताह एक मिलीलीटर आयरन और फोलिक एडिस से भरपूर सीरप पिलाया जा रहा है। 05 साल से 10 साल तक के बच्चों को गुलाबी टैबलेट दी जा रही है। ये टैबलट हर सप्ताह एक साल तक दी जाएगी। 10 से 19 साल के बच्चों को नीली टैबलेट दी जा रही है। ये भी एक साल तक हर सप्ताह दी जाएगी। इसके अलावा फोर्टीफाइट आटा,चावल,तेल और दूध भी एनीमिक लोगों को दिया जा रहा है। आंगनबाड़ी के जरिए भी बच्चों, गर्भवती महिलाओं औ पुरुषों को दवाएं और पोषण दिया जा रहा है।
इतने स्कूलों में शुरु हुआ अभियान :
- प्राथमिक स्कूल - 81287
- माध्यमिक,हाई और हायर सेकंडरी स्कूल - 38780
- प्रायवेट स्कूल - 27937
- केंद्रीय विद्यालय,मदरसा और स्थानीय स्कूल - 1775
- आंगनबाड़ी केंद्र - 96882
- आदिवासी होस्टल - 130
- आशा कार्यकर्ता - 59341
- शहरों में काम कर रहीं आशा कार्यकर्ता - 3485
स्वास्थ्य के साथ शिक्षा और महिला एवं बाल विकास की जिम्मेदारी तय :
स्वास्थ्य विभाग जिला और ब्लॉक लेवल पर बनाई गई एडवायजरी कमेटी के जरिए कलेक्टर की अध्यक्षता में इस कार्यक्रम की समीक्षा और सुधार की कार्यवाही करेगा। स्कूल शिक्षा विभाग स्कूलों में चल रहे इस अभियान की मॉनिटरिंग के साथ उसकी प्रगति रिपोर्ट के साथ समीक्षा करेगा। महिला एवं बाल विकास विभाग आंगनबाड़ी में चल रहे इस अभियान की निगरानी करेगा। हर महीने समीक्षा भी की जाएगी। इन तीनों विभागों के साथ स्वास्थ्य मंत्री समन्वय कर पूरे कार्यक्रम की निगरानी करेंगे। स्वास्थ्य मंत्री हर महीने मुख्यमंत्री को भी इसकी रिपोर्ट भेजेंगे।
पिछले एक साल का रिपोर्ट कार्ड :
- 315 पोषण पुनर्वास केंद्रों में 73 हजार 609 गंभीर कुपोषित बच्चों का इलाज किया गया।
- रीवा और ग्वालियर में संचालित एसएमटीयू में चिकित्सकीय जटिलता वाले 1031 बच्चों का इलाज।
- एम्स के स्मार्ट सेंटर में 278 नॉन रिस्पांडर गंभीर कुपोषित बच्चों का इलाज।
- एनीमिया मुक्त अभियान के तहत छह माह से 19 साल के कुल 1 करोड़ 13 लाख 38 हजार 986 हितग्राहियों को आयरन की टैबलेट दी गईं।
- दस्तक अभियान के तहत 78 लाख बच्चों की जांच की गई।
- 19547 गंभीर कुपोषित बच्चों को चिन्हित कर पोषण पुनर्वास केंद्रों में भर्ती किया गया।
- 19972 गंभीर एनीमिक बच्चों को खून चढ़ाया गया।
- 68 लाख बच्चों को विटामिन ए सीरप की खुराक दी गई।
- जन्मजात विकृति से पीडि़त 18299 बच्चों का इलाज किया जा रहा है।
- प्रदेश में एनीमिया की बहुत गंभीर स्थिति है। पिछले 15 साल में इस पर कोई काम नहीं हुआ। हमने पूरी कार्ययोजना तैयार की है। अगले एक साल में इसका असर दिखाई देने लगेगा। हम एनीमिया मुक्त मध्यप्रदेश बनाने के लिए संकल्पित हैं।
- कमलनाथ मुख्यमंत्री -
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