रेल हादसाः आज भी सिहर जाते हैं लोग, ट्रेन से कट गए थे एक ही मोहल्ले के 10 युवक - Web India Live

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रेल हादसाः आज भी सिहर जाते हैं लोग, ट्रेन से कट गए थे एक ही मोहल्ले के 10 युवक

भोपाल। महाराष्ट्र में रेलवे ट्रैक पर हुई इस घटना ने सभी को झकझोर दिया है। यह सभी मध्यप्रदेश के रहने वाले थे। 2004 की उस घटना ने भी पूरे देश को हिला दिया था, जब रेलवे ट्रैक पर खड़े 12 युवक ट्रेन की चपेट में आ गए थे। इस घटना की याद कर आज भी लोग सिहर जाते हैं।

 

भोपाल के मैनिट चौराहे के पास राहुल नगर है। उसके पंपापुर के रहने वाले 10 युवक भी उन लोगों में शामिल थे जो रायसेन जिले के सांची में आयोजित मेले में शामिल होने गए थे। 2004 में नवंबर का अंतिम रविवार था। यह सभी ट्रेन से भोपाल से हंसी-खुशी रवाना हुए थे।

 

 

इनकी ट्रेन जब भोपाल सूखी सेवनिया स्टेशन के पास आउटर पर खड़ी थी, तभी मेले में जाने वाली भीड़ में शामिल कुछ युवक ट्रेन से उतरकर रेलवे ट्रेक पर खड़े हो गए थे। इस बीच तेज रफ्तार स्वर्ण जयंती एक्सप्रेस वहां से गुजर गई थी। उसकी चपेट में 12 लोग आ गए थे, जिनकी घटनास्थल पर ही मौत हो गई थी, जबकि कुछ अन्य लोग घायल भी हुए थे। इन 12 मृतकों में से 10 युवक एक ही मोहल्ले के थे।

राहुल नगर निवासी राजेंद्र ढिल्लार उस वक्त को याद कर आज भी सिहर जाते हैं और उनकी आंखें नम हो जाती हैं। पंपापुर में जब सभी की लाशें लाई गई थी, तब एक लाइन में 10 युवकों की लाशें देख हर कोई रो दिया था। ढिल्लार के भतीजे नीतेश की मौत भी इस दुर्घटना में हो गई थी।

 

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ढिल्लार बताते हैं कि 28 नवंबर 2004 को सांची में दो दिन का बौद्ध मेला लगा था। उसमें शामिल होने के लिए मैनिट चौराहा स्थित राहुल नगर और 74 बंगला स्थित शिवनगर से कई लोग सुबह भोपाल रेलवे स्टेशन पहुंचे थे। सभी सांची जाने के लिए पैसेंजर ट्रेन में सवार होकर गंतव्य के लिए रवाना हुए थे। एक्सप्रेस गाड़ियों की पास करने के लिए पैसेंजर ट्रेन को छोटे स्टेशन पर रोक दिया जाता है, इसी दौरान कई युवक ट्रेन से उतरकर ठंड में धूप सेंकने के लिए रेलवे ट्रेक पर खड़े हो गए थे। यह स्टेशन था सूखी सेवनिया।

 

विवाद में नहीं दे पाए थे ध्यान
जब कई युवक रेलवे ट्रेक पर खड़े थे, तो उनमें किसी बात पर विवाद हो गया था। सूखी सेवानिया पर बाहर भी विवाद के कारण अफरा-तफरी में किसी का ध्यान ही नहीं रहा कि खाली ट्रैक पर तेज रफ्तार स्वर्ण जयंती एक्सप्रेस को गुजरने का सिग्नल हो गया है। ट्रेन आ भी गई और तेजी से गुजर गई। पलक झपकते ही वहां पर 12 लाशें बिछ गई थी। कई घायल यहां -वहां गिर गए थे। ट्रेन का शोर थमने के बाद चीख-पुकार मच गई। खून से लथपथ शव पड़े थे, मानव अंग बिखरे पड़े थे। पूरा ट्रेक ही खून से सन गया था।

 

बाबूलाल गौर थे सीएम
उस समय बाबूलाल गौर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री थे। बताया जाता है कि वे घटना की खबर लगते ही एक घंटे में ही सुबह सूखी सेवनिया पहुंच गए थे और राहत कार्य शुरू करवाया दिया था। उन्होंने घायलों का इलाज करवाया था।

 



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