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एक किस्सा: जब इंदिरा गांधी के एक बयान से मच गई थी हलचल, जानिए क्या थी वो बात

भोपाल। प्रधानमंत्री रहते हुए इंदिरा गांधी जब भोपाल आई थीं, तो उनके एक बयान से दिल्ली तक हलचल मच गी थी। राजनेताओं में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया था और हर दिन अखबारों की सुर्खियों में यही बयान होता था। हम बात कर रहे हैं इंदिरा गांधी के उस बयान की जो उन्होंने भोपाल में भारत भवन के उद्घाटन अवसर पर दिया था।

 

तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी की पुण्य तिथि पर patrika.com आप को बता रहा है एक दिलचस्प किस्सा...।

 

 

39 साल पहले भोपाल में भारत भवन का उद्घाटन हो रहा था। दिन था 13 फरवरी 1982 का। भोपाल के श्यामला हिल्स पर बनकर तैयार हुए भारत भवन का उद्घाटन करने के लिए देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी आई हुई थी। तब मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह थे। मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह मध्यप्रदेश को देश की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में स्थापित करना चाहते थे। उनके विज़न को लेकर ही भोपाल को देश की सांस्कृतिक राजधानी कहा जाने लगा था।

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डिजाइन देख हैरान हो गई थीं इंदिरा

भारत भवन का डिजाइन चार्ल्स कोरिया ने बनाया था। इसके उद्घाटन के मौके पर ही जब इसकी डिजाइन इंदिरा ने देखी तो वे हैरान रह गईं। भारत भवन को इस ढंग से बनाया गया था कि वो कभी भी एक इमारत जैसी न लगे। आज भी इसे देख हर कोई चौक जाता है। यह एक इमारत लगती है नहीं है। यह पहाड़ को काटकर अंडरग्राउंड बनाया गया है।

 

तो इंदिरा ने दिया था यह बयान

देश की विभिन्न कला-संस्कृति और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को एक ही जगह देख वे काफी प्रभावित हो गईं और उन्हें यह कहना पड़ गया कि 'जो दिल्ली में नहीं हो रहा है वो भोपाल में हो रहा है।'

इंदिरा की बातों से यह अनुमान लगाया गया कि वे चाहती थीं कि कला और संस्कृति का यह भवन दिल्ली में स्थापित हो। इसके बाद कई लोग इंदिरा गांधी के वक्तव्य से घबरा गए थे। तरह-तरह की बयान और सफाई दी जाने लगी। यह बात काफी दिनों तक सुर्खियों में रही।

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ऐसा है भारत भवन

  • भारत भवन की स्थापना 1982 में हुई थी।
  • यह भवन बड़े तालाब किनारे बनाया गया था।
  • इसे मुख्य रूप से प्रदर्शन कला और दृश्य कला का केंद्र माना जाता है।
  • यह विभिन्न पारंपरिक शास्त्रीय कलाओं के संरक्षण का यह प्रमुख केन्द्र है।
  • भारत भवन चार्ल्स कोरेया द्वारा डिजाइन किया गया है।
  • चार्ल्‍स ने कहा था कि यह पानी पर झुका हुआ एक पठार जहां से तालाब और ऐतिहासिक शहर दिखाई देता है।
  • यहां अनेक रचनात्मक कलाओं का प्रदर्शन किया जाता है।
  • भारत भवन में आर्ट गैलरी, इनडोर या आउटडोर ओडिटोरियम, रिहर्सल रूम, म्यूजियम ऑफ आर्ट, ललित कला संग्रह, भारतीय काव्य से भरा पुस्तकालय आदि कई चीजें शामिल हैं।


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