अलविदा 2020 : दुनिया के हर इंसान को जीवनभर याद रहेगा 'लॉकडाउन', हमने जाना किसे कहते हैं बंद - Web India Live

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अलविदा 2020 : दुनिया के हर इंसान को जीवनभर याद रहेगा 'लॉकडाउन', हमने जाना किसे कहते हैं बंद

भोपाल/ साल 2020 के गुजरने में अब कुछ ही दिन शेष हैं। हर बार की तरह इस बार भी लोग अपने अलग-अलग अंदाज में साल की विदाई और नए साल के स्वागत की तैयारियां कर रहे हैं। हालांकि, अगर इस साल के फीडबैक पर लोगों से चर्चा की जाए, तो प्रदेश ही नहीं बल्कि दुनिया भर के लोग साल की याद के तौर पर लॉकडाउन का ही जिक्र करेंगे। फिलहाल, मध्य प्रदेश स्वास्थ विभाग के अलावा वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने भी इस बात का दावा किया है कि, अब कोरोना वायरस की रफ्तार में कमी आ चुकी है। लेकिन, जब कोरोना संक्रमण अपने चरम पर था तो, विश्व के लगभग सभी देशों के साथ भारत में भी लॉकडाउन किया गया था। इस लॉकडाउन ने हर एक व्यक्ति को 'बंद' का सही अर्थ बता दिया, जो इस दौर से गुजरे हर एक व्यक्ति को जीवनभर याद रहेगा।

 

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चीन के वुहान शहर से दुनिया में मचा तांडव

कोरोना वायरस का पहला मरीज साल 2019 में ही चीन के वुहान शहर में मिला था। इसके बाद से ही इस संक्रमण ने तेजी से महामारी का रूप ले लिया था। चीन से ये वायरस तेजी से भारत समेत दुनियाभर में फैल गया था। हालांकि, बीते एक साल में अब तक भी संक्रमण के इलाज स्वरूप के वैक्सीन या दवा नहीं बन सकी है। ऐसे में बचाव के लिए वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की से सभी देशों को कई नियम बताए थे। इनमें से ही एक था लॉकडाउन। यानी लोगों में पर्याप्त दूरी बनाए रखने के लिए किया जाने वाला बंद। ये बंद भारत में तीन महीने से अधिक समय लगा रहा। इस दौरान सभी लोगों को अपने घरों में ही रहना था। ताकि, अन्य किसी कोरोना के संदिग्ध शख्स के संबंध में आने से बच सकें।


प्रशासन ने की थी जरूरी सामान की व्यवस्था

बंद के दौरान प्रशासन की ओर से जरूरी सामानों की खरीदी के लिये व्यवस्था की गई थी। जो समय के अनुसार घर के नजदीक ही मिल जाती थी। इनमें मुख्य रूप से खाने पीने का सामान ही शामिल था। प्रशासन की ओर से हर इलाके के हिसाब से वाहन नियुक्त किये गए थे। जो तय समय पर इलाके के एक स्थान पर आकर लोगों को खाने पीने से संबंधित सब्जी या अन्य चीजों की व्यवस्था करते थे। इसके अलावा, सभी तरह के बाजार बंद थे और जिला स्तर पर मार्गों को बंद कर दिया गया था। साथ ही, हर गली-मौहल्ले के रा्तों को भी बैरिकेट लगाकर बंद कर दिया गया था। ताकि, किसी भी इलाके से गुजरा न जा सके।


संक्रमण स्तर के अनुसार चयनित किये गए थे इलाके

इलाको को संक्रमण के स्तर के अनुसार इलाकों का चयन किया गया था। इनमें रेड, येलो और ग्रीन जोन बनाए गए थे। रेड जोन वो इलाके थे, जहां से संक्रमण के अधिक मामले सामने आ रहे थे। ऐसे इलाकों को पूरी तरह से सील कर उन्हें प्रशासन ने कंटेंटमेंट जोन घोषित किया था। ताकि, वहां के लोगों से संक्रमण अधिक लोगों में न फैल सकें। वहीं, येलों जोन में उन इलाकों को रखा गया था, जहां संक्रमण के मामले तो थे, लेकिन उन इलाकों में संक्रमण की रफ्तार तेज नहीं थी। इसके अलावा ग्रीन जोन में वो इलाके थे, जहां संक्रमण के मामले नहीं थे। ऐसे इलाकों को कुछ हद तक ढील जरूर थी, लेकिन वो भी अपने घरों से बाहर नहीं निकल सकते थे।


नियम तोड़ने वालों को मिलती थी सजा

लॉकडाउन के साथ साथ सरकार और प्रशासन की ओर से कोरोना संक्रमण को लेकर जागरुकता अभियान भी चलाए जा रहे थे, जिसमें संक्रमण की गंभीरता और नियम तोड़ने पर होने वाली बीमारी के बारे में बताया जाता रहा था। बावजूद इसके कई लोग ऐसे भी थे, जो इन नियमों को गंभीरता से नहीं लेते हुए सुनसान सड़कों पर ही घूमने निकल पड़ते थे। ऐसे लोगों के खिलाफ पुलिस प्रशासन का सख्त रवैय्या भी देखने को मिला। कई लोग नियम तोड़ने पर सजा भुगतते नजर आते थे, तो कई से जुर्माना वसूला जाता था, ताकि वो दोबारा कोरोना नियमों को न तोड़ें। क्योंकि, मध्य प्रदेश स्वास्थ विभाग ने बीच बीच में कोरोना नियमों के तोड़ने को ही संक्रमण के तेजी से फैलाव का बड़ा कारण बताया था।

 

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जागरूकता सबसे बड़ी जिम्मेदारी

हालांकि, मौजूदा समय में कोरोना की रफ्तार धीमी जरूर हो गई है। लेकिन, अब भी हमारी एक छोटी सी चूक एक बार फिर इसकी रफ्तार बढ़ा सकती है। हालांकि, लॉकडाउन के कारण देश-प्रदेश को भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ा था। बावजूद इसके, लॉकडाउन के दौरान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने एक बयान में कहा था कि, आर्थिक संकट से तो किसी तरह निपटा जा सकता है, लेकिन इस वजह से किसी की भी प्रदेशवासी की जान को जोखिम में नहीं डाला जा सकता। हालांकि, सरकार ने अभी लॉकडाउन जैसे फैसला लेने से तो इंकार किया है, लेकिन हमारी किसी चूक के चलते अगर एक बार फिर संक्रमण ने रफ्तार पकड़ ली, तो पर्याप्त दवा न होने के चलते लॉकडाउन ही विकल्प बचेगा। ऐसे में संक्रमण के प्रति जागरूकता ही हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी होगी।

 

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