ज्योतिरादित्य सिंधिया: कहानी सियासी सफर से सत्ता परिवर्तन की, एक इशारे 19 विधायकों ने दिया था इस्तीफा
भोपाल. 1 जनवरी 2020 को ज्योतिरादित्य सिंधिया 50 साल के हो गए हैं। सुबह से ही देश के नेता उन्हें जन्मदिन की बधाई दे रहे हैं। मध्यप्रदेश की सियासत में अगर किसी राजघराने का सबसे ज्यादा प्रभाव रहा है तो ग्वालियर रियासत के सिंधिया खानदान का। ग्वालियर के महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया का जन्म 1 जनवरी, 1971 में मुबंई में हुआ। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से सियासत शुरू की लेकिन 2020 में उन्होंने मध्यप्रदेश की सियासत में सबसे बड़ा सत्ता परिवर्तन किया।
अपने जन्मदिन के अवसर पर ज्योतिरादित्य सिंधिया दिल्ली में हैं। 2021 में उन्हें अपनी सियासी करियर से काफी उम्मीदें हैं। 2019 में ज्योतिरादित्य सिंधिया को सियासी रूप से बड़ा झटका लगा था। इस झटके से उबरने के लिए 2020 में उन्होंने कठोर फैसले लिए लेकिन उन पर कोरोना का ग्रहण लग गया था। 2021 में उम्मीद है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया का कद बीजेपी में बढ़ेगा।
पिता के निधन के बाद सियासत में आए
ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया का 30 सितंबर 2001 को एक प्लेन हादसे में निधन हो गया। उसके बाद 2002 में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस की सदस्यता ली और राजनीति में उतरे। सिंधिया 2002 में गुना शिवपुरी संसदीय सीट में उपचुनाव में पहली बार चुनाव के मैदान में उतरे और जीत हासिल की। 2004 में केन्द्र में यूपीए की सरकार आई और डॉ मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने।
सिंधिया डॉ मनमोहन सिंह की कैबिनेट में राज्य मंत्री रहे। सिंधिया मनमोहन सिंह के दोनों कार्यकाल में मंत्री रहे। इस दौरान 2018 तक वो लगातार मध्यप्रदेश की गुना-शिवपुरी संसदीय सीट से कांग्रेस के सांसद रहे।
एमपी में कांग्रेस का चेहरा
धीरे-धीरे ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्यप्रदेश में कांग्रेस का बड़ा चेहरा बन गए। 2018 के विधानसभा चुनाव ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ के नेतृत्व में हुए। मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने 15 साल बाद सत्ता में वापसी की लेकिन कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व ने सिंधिया की जगह कमलनाथ को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बढ़ने लगी।
पहली हार
2019 के लोकसभा चुनाव में पहली बार ज्योतिरादित्य सिंधिया को हार का सामना करना पड़ा। ये गुना-शिवपुरी संसदीय सीट से सिंधिया खानदान के किसी नेता की पहली हार थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया 2019 में लोकसभा का चुनाव हार गए।
कांग्रेस में बढ़ती गई दूरियां
ज्योतिरादित्य सिंधिया और मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार के बीच दूरियां बढ़ती गई। इसी बीच राज्यसभी चुनाव को लेकर भी सिंधिया का नाम सामने आया पर कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह की दावेदारी को ज्यादा मजबूत माना। इसके बाद से कांग्रेस और सिंधिया के बीच दूरियां बढ़ने लगीं। इसी बीच सिंधिया ने अपनी ही सरकार को हिदायत देते हुए कहा कि अगर वादे पूरे नहीं किए गए तो वो सड़कों में उतर आएंगे।
भाजपा में शामिल
मध्यप्रदेश में मार्च 2019 में सियासी ड्रामाा शुरू हुआ। हालांकि इस दौरान सिंधिया खमोश रहे। सिंधिया समर्थक विधायकों ने पार्टी को आगाह किया कि अगर सिंधिया का अपमान हुआ तो मध्यप्रदेश में सत्ता परिवर्तन तय है। इसी बीच सिंधिया समर्थक 19 विधायक जिसमें से 6 मंत्री कर्नाटक के बंगलूरु में एक रिसोर्ट में पहुंच गए और सिंधिया ने सबसे बड़ा झटका देते हुए 10 मार्च को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और वो भाजपा में शामिल हो गए जिसके उनके समर्थक विधायकों ने भी विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और राज्य से कमलनाथ की सरकार गिर गई औऱ शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
राज्यसभा सांसद बने
भाजपा में शामिल होने के बाद ही भाजपा ने उन्हें राज्यसभा का टिकट दिया। सिंधिया अभी राज्यसभा सांसद हैं। सूत्रों का कहना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया 2021 में जल्द ही मोदी कैबिनेट में शामिल हो सकते हैं।
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/382naQw
via
No comments