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किसी ने प्रदेशाध्यक्ष तो किसी ने पार्टी पर साधा था निशाना, वही नेता अब स्पीकर की रेस में

भोपाल. मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार बने 10 महीने का वक्त हो गया है। उसके बाद भी अभी तक विधानसभा अध्यक्ष का चयन नहीं हो सका है। वहीं, अब माना जा रहा है कि बजट सत्र के पहले दिन विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव हो जाएगा। विधानसभा अध्यक्ष कौन होगा इसे लेकर अभी भाजपा में स्थिति स्पष्ट नहीं है लेकिन ये माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल में रीवा जिले को प्रतिनिधित्व नहीं मिलने के बाद अब अगला विधानसभा अध्यक्ष रीवा जिले या विंध्य क्षेत्र से हो सकता है।

17 साल बाद मिल सकता है पद
अगर रीवा जिले के किसी नेता को विधानसभा अध्यक्ष का पद मिलता है तो ऐसा 17 साल बाद होगा जब रीवा जिले के किसी नेता को विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी मिलेगी। इससे पहले दिग्विजय सिंह के दोनों कार्यकाल में रीवा जिले के कद्दावर नेता श्रीनिवास तिवारी विधानसभा अध्यक्ष थे। श्रीनिवास तिवारी 24 दिसंबर 1993 से 11 दिसंबर 2003 तक मप्र के विधानसभा अध्यक्ष थे। उसके बाद से रीवा जिले या विंध्य के किसी नेता को ये पद नहीं मिला।

किसी ने प्रदेशाध्यक्ष तो किसी ने पार्टी पर साधा था निशाना, वही नेता अब स्पीकर की रेस में

ये हैं दावेदार
भाजपा के वरिष्ठ विधायक गिरीश गौतम और केदारनाथ शुक्ला विधानसभा अध्यक्ष की रेस में शामिल हैं। सूत्रों का कहना है कि इनमें से किसी एक नेता को विधानसभा अध्यक्ष बनाया जा सकता है। वहीं, भाजपा अध्यक्ष पद के साथ ही उपाध्यक्ष पद भी अपने पास रखने की योजना बना रही है पार्टी में इसके लिए भी कई नामों पर मंथन चल रहा है।

केदारनाथ शुक्ला ने उठाए थे सवाल
गिरीश गौतम रीवा जिले की देवतालाब विधानसभा सीट से विधायक हैं। इस सीट से वो लगातार तीन बार चुनाव जीत चुके हैं और मंत्री पद की रेस में भी शामिल थे। वहीं, केदारनाथ शुक्ला सीधी विधानसभा सीट से विधायक हैं। केदारनाथ शुक्ला शुक्ला पार्टी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह के नेतृत्व पर सवाल भी उठा चुके थे, जिस कारण पार्टी ने उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था।

क्या कहा था केदार शुक्ल ने
दरअसल, सीधी जिल से बीजेपी विधायक केदारनाथ शुक्ला ने बीजेपी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह पर आरोप लगाए थे। झाबुआ विधानसभा उपचुनाव में हार के बाद उन्होंने कहा था- राकेश सिंह सही तरीके से अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं कर रहे हैं। उन्होंने केन्द्रीय नेतृत्व से प्रदेश अध्यक्ष को हटाने की मांग की थी। केदार शुक्ल ने कहा था- राकेश सिंह अध्यक्ष पद पर रहने लायक नहीं हैं। राकेश सिंह के कारण पार्टी मध्यप्रदेश में चौपट हो रही है।

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विंध्य से ही क्यों
2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने विंध्य क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन किया था। रीवा जिले में 8 विधानसभा सीटें हैं और इन सभी 8 सीट पर भाजपा ने जीत हासिल की थी। लेकिन मार्च 2020 में हुए सत्ता परिवर्तन के कारण रीवा जिले का कोई नेता मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हो सका। अब ऐसे में अब ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र को साधने के लिए भाजपा यहां से विधानसभा अध्यक्ष बना सकती है।

महाकौशल को भी मिल सकता है मौका
वहीं, शिवराज मंत्रिमंडल में महाकौशल क्षेत्र के किसी भी नेता को जगह नहीं मिली है। ऐसे में माना जा रहा है कि महाकौशल से अजय विश्नोई का नाम भी स्पीकर के लिए आगे बढ़ाया जा सकता है। हालांकि मध्यप्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद ही ही अजय विश्नोई अपनी पार्टी के खिलाफ कई बार बयान दे चुके हैं। वो लगातार पार्टी नेताओं के खिलाफ भी टिप्पणी कर चुके हैं।

इन नेताओं के लिए होगी मुश्किल
अगर विंध्य में अध्यक्ष पद जाता है तो यहां से मंत्री पद के दावेदार राजेंद्र शुक्ला, नागेंद्र सिंह नागोद, नागेंद्र सिंह गुढ़ की राह मुश्किल हो जाएगी।



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