Haridwar kumbha mela 2021 : यदि आप भी जा रहे हैं इस बार स्नान के लिए तो याद रखें ये नियम
हिंदुओं का सबसे बड़ा मेला और दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन कुम्भ इस साल हरिद्वार में आयोजित होगा। पावन नदी गंगा में आस्था और मोक्ष की डुबकी लगाने लाखों करोड़ों श्रद्धालु और साधु संत हरिद्वार के घाट पर इकट्ठे होंगे।
कुम्भ हिंदुओं का सबसे बड़ा धार्मिक मेला है। हर 6 साल में अर्ध कुम्भ और हर 12 वर्ष में महा कुम्भ का आयोजन होता है। इस साल हरिद्वार का महाकुम्भ 11 साल पर ही हो रहा है। 82 साल बाद इस बार हरिद्वार कुंभ बारह की बजाय 11 वर्ष बाद पड़ रहा है। इससे पहले 1938 में यह कुंभ ग्यारह वर्ष बाद पड़ा था। कहते हैं ग्रहों के राजा बृहस्पति कुंभ राशि में हर बारह वर्ष बाद प्रवेश करते हैं।
कुंभ महापर्वों का संबंध देवगुरु बृहस्पति और जगत आत्मा सूर्य के राशि परिवर्तन से जुड़ा है। लेकिन जिस कुंभ राशि से कुंभ पर्व मुख्य रूप से जुड़ा है उस राशि में बृहस्पति केवल हरिद्वार कुंभ में ही प्रवेश करते हैं। प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में बृहस्पति कुंभस्थ नहीं होते।
हरिद्वार में गुरु के कुंभस्थ होने के कारण माना जाता है कि चारों कुंभ नगरों में कुंभ का पहला महापर्व हरिद्वार में पड़ा था। उसी के बाद अन्य कुंभ नगरों में कुंभ शुरू हुए।
इसलिए लग रहा 11वें साल में महा कुम्भ -
जानकारों के अनुसार कुंभ का मेला केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं बल्कि एक विश्वास है... हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है। 12वर्षों में लगने वाला कुंभ का मेला इस बार ग्यारहवें वर्ष में ही लग गया है.... इसका कारण अगले साल यानि 2022 में बृहस्पति देव के कुंभ राशि में प्रवेश ना करना है। यह हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा उत्सव है... जिसमें देश-विदेश से आए श्रद्धालु भाग लेते हैं। कुंभ का मेला देश के चार मुख्य स्थानों, उज्जैन,हरिद्वार, प्रयागराज और नासिक में लगता है...
इस बार हरिद्वार कुंभ 2021 शुरू होने जा रहा है, यदि आप भी इस बार कुम्भ स्नान की तैयारी में हैं तो आज हम आपको कुछ खास बताने जा रहे हैं -
: हर कोई अपने जीवन में चारों कुंभ ना सही एक एक कुंभ का स्नान अवश्य करना चाहता है । विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में कुंभ स्नान को पाप नाशक माना जाता है... ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति कुंभ मेले के दौरान पवित्र नदी में स्नान करता है उसके सभी पाप उस नदी में विसर्जित हो जाते हैं।
लेकिन क्या आप इस बात से अवगत हैं कि कुंभ का स्नान सामान्य स्नान की तरह नहीं है... जो व्यक्ति इसमें भाग लेता है उसे कुछ विशेष नियमों का पालन करना पड़ता है।
: हिन्दू धर्म में त्याग और दान का महत्व अत्याधिक है। कुंभ मेले के साथ भी त्याग की अवधारणा जुड़ी है...। ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति कुंभ मेले में स्नान करने के लिए जाता है उसे किसी ना किसी चीज का त्याग अवश्य करना चाहिए। यह त्याग किसी बुरी आदत या शौक... किसी भी चीज का हो सकता है। कुछ लोग कुंभ मेले में अपने केश त्यागकर भी आते हैं।
: यदि आप कुंभ में स्नान करने जा रहे हैं तो आपको नदी में प्रवेश करने से पूर्व अपनाए जाने वाले नियमों के विषय में भी ज्ञान होना चाहिए। सर्वप्रथम नदी को प्रणाम करें और फिर अपनी इच्छानुसार नदी में मुद्रा का दान कर स्नान करने के लिए बढ़ें। स्नान करने के बाद किसी पुरोहित या कर्मकांडी को वस्त्रों का दान दें।
: कुंभ स्नान पवित्र नदी में किया जाता है... अगर आप स्नान करने जा रहे हैं तो उस नदी की पवित्रता को बनाए रखें। नदी में या उसके समीप शौच, कुल्ला, बाल संवारना, थूकना, वस्त्र धोना, आदि कार्य नहीं करने चाहिए....क्योंकि अगर आप ऐसा करते हैं तो एक तो आपको कुंभ स्नान का फल नहीं मिलता दूसरा आप ईश्वरीय कोप के भी भागी बनते हैं।
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