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Astrology : ग्रहण काल में इन मंत्रों का करें जाप, हर समस्या का हो जायेगा निदान

विज्ञान में जहां ग्रहण एक खगोलीय अवस्था है, जिसमें कोई खगोलिय पिंड सूर्य और दूसरे खगोलिय पिंड जैसे पृथ्वी के बीच आ जाता है, जिससे प्रकाश का कुछ समय के लिये अवरोध हो जाता है। वहीं दूसरी और हिन्दू धर्म में सूर्य और चंद्र ग्रहण को क्रमशः राहु और केतु द्वारा इनका ग्रास किया जाना मन जाता है।

हज़ारों साल पहले से जहां हिन्दू धर्म में ग्रहण को कई कार्यो को करने से अच्छा नहीं माना जाता, वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मंत्र सिद्धि के लिए सर्वश्रेष्ठ समय ग्रहण (Grahan) को माना गया है। ग्रहण काल में किसी भी एक मंत्र को, जिसकी सिद्धि करना हो या किसी विशेष प्रयोजन हेतु सिद्धि करना हो, जप सकते है।

ग्रहण काल (Surya Garahan) में मंत्र जपने के लिए माला की संख्या की आवश्यकता नहीं होती बल्कि समय का ही महत्व होता है। ऐसे में साल 2021 में पहला सूर्य ग्रहण वर्ष के मध्य में, यानि 10 जून 2021 को घटित होगा तो वहीं साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 4 दिसंबर 2021 को घटित होगा। धार्मिक और ज्योतिष शास्त्र में इस दिन से जुड़ी कई हिदायतें भी दी गई हैं ।

पहला सूर्य ग्रहण 2021
यह ग्रहण 10 जून 2021 को 13:42 बजे से शुरु होकर 18:41 बजे तक रहेगा। इसका दृश्य क्षेत्र उत्तरी अमेरिका के उत्तरी भाग, यूरोप और एशिया में आंशिक व उत्तरी कनाडा, ग्रीनलैंड और रुस में पूर्ण रहेगा।

ये सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। इसलिए भारत में इस सूर्य ग्रहण का धार्मिक प्रभाव और सूतक मान्य नहीं होगा।

10 जून 2021 को लगने वाला सूर्य ग्रहण वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा। वलयाकार सूर्य ग्रहण उस घटना को कहते हैं, जब चंद्र पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए, सामान्य की तुलना में उससे दूर हो जाता है। इस दौरान चंद्र सूर्य और पृथ्वी के बीच होता है, लेकिन उसका आकार पृथ्वी से देखने पर इतना नज़र नहीं आता कि वह पूरी तरह सूर्य की रोशनी को ढक सके। इस स्थिति में चंद्र के बाहरी किनारे पर सूर्य काफ़ी चमकदार रूप से रिंग यानि एक अंगूठी की तरह प्रतीत होता है। इस घटना को ही वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते है।

दूसरा सूर्य ग्रहण 2021
वर्ष 2021 का दूसरा व अंतिम सूर्य ग्रहण शनिवार,04 दिसंबर 2021 को 10:59 बजे से शुरु होकर 15:07 बजे तक रहेगा। यह ग्रहण अंटार्कटिका, दक्षिण अफ्रीका, अटलांटिक के दक्षिणी भाग, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अमेरिका में दिखाई देगा।

ये सूर्य ग्रहण भी भारत में नहीं दिखाई देगा। इसलिए भारत में इस सूर्य ग्रहण का धार्मिक प्रभाव और सूतक मान्य नहीं होगा।
यह एक पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा। पूर्ण सूर्य ग्रहण उस स्थिति में होता है जब चंद्र,सूर्य और पृथ्वी के बीच में आकर सूर्य को ढक लेता है जिससे सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाता है।

ग्रहण अवधि में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव...
मान्यता के अनुसार ग्रहण अवधि में मानव जीवन पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव हावी होने की अधिक संभावना होती है। यही कारण है ग्रहण के दौरान कुछ भी करने से पहले कई बार सोचते हैं। बताया जाता है इस दौरान सबसे ज्यादा डर प्रेग्नेंट महिलाओं को होता है। उनके लिए इस दिन से जुड़ी कई मान्यताएं प्रचलित हैं।

परंतु इसका मतलब ये नहीं कि अन्य लोग ग्रहण के प्रभाव से आज़ाद माने जाते हैं। सभी पर इसका पूरा प्रभाव पड़ता है। तो वहीं ग्रहण काल के दौरान किए जाने वाले कुछ ऐसे काम बताए गए हैं जिन्हें इस दौरान करने से अच्छे व शुभ फल प्राप्त होते हैं। जी हां, इतना ही नहीं ये काम करने से हर इच्छित कामना भी पूरी होती है।

ग्रहण नक्षत्रों, ग्रहों की स्थिति से जुड़ी एक खगोलीय घटना है। इसका ज्योतिषीय धार्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व है। ग्रहण के समय भूतल पर और आकाशमंडल में एक विशेष वातावरण का निर्माण होता है जो हर प्राणी को प्रभावित करता है। शास्त्रों के अनुसार ऐसे समय में मंत्र सिद्धि शीघ्र होती है। यंत्र-तंत्र के क्षेत्र में भी ग्रहण का बहुत महत्व है। साधक लोग इस अवसर के इंतजार में रहते हैं। जानिए ग्रहण काल में किए जाने वाले उपायों के बारे में :-

ग्रहण काल में ऐसे करें इन मंत्रों को सिद्ध
बता दें धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन यानि ग्रहण के दिन किसी भी मंत्र का का जप किया जाए तो कई गुना फल प्राप्त होता है। कहा जाता है इस अवधि में जिस भी मंत्र का जप किया जाए, वह शीघ्र सिद्ध हो जाता जिसके प्रभाव स्वरूप जपकर्ता की सभी इच्छित कामनाएं पूरी हो जाती हैं।

मान्यता है कि सूर्यग्रहण काल में भये जा रहे मंत्रों में से किसी भी एक मंत्र का 1000 बार जप करें, सभी मनोकामनाएं पूरी हों जाती हैं।

- परिवार में आएगी खुशहाली
घर परिवार में चल रही समस्याएं तथा अन्य बाधाओं को दूर करने के लिए इस मंत्र का जाप करें ...

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं दह दह।

- कार्य में मिलेगी सफलता
माना जाता है कि इस मंत्र का जप करने से एक साथ अनेक कार्यों में सफलता मिलने लगती हैं। जिस कार्य में सफलता नहीं मिल रही हो तो मंत्र सिद्ध होने से बाद सिंद्ध मंत्र का उच्चारण करते हुए अपने ही दाएं हाथ पर तीन बार फूंक मारे, कार्य बनने लगेगा।

ॐ काली घाटे काली माँ, पतित-पावनी काली माँ, जवा फूले-स्थुरी जले।
सई जवा फूल में सीआ बेड़ाए। देवीर अनुर्बले। एहि होत करिवजा होइबे।
ताही काली धर्मेर। बले काहार आज्ञे राठे। कालिका चण्डीर आसे।।

- रोग मुक्ति के लिए करे इस मंत्र का जाप
बड़े से बड़े रोग से मुक्ति पाने के लिए इस मंत्र को खास माना गया है, ऐसे में इससे लाभ के लिए ये मंत्र सिद्ध कर लें ।माना जाता है कि इसके लिए रोगी एक गिलास पानी के साथ मंत्र को अभिमंत्रित कर 7 दिनों तक रोज़ ये पानी पिए। हमेशा के लिए रोग मुक्त हो जाएगा।

ॐ मां भयात् सर्वतो रक्ष, श्रियं वर्धय सर्वदा। शरीरारोग्यं मे देहि, देव-देव नमोऽस्तु ते।।

- दुश्मनी को मित्रता में करे तव्दील
ग्रहण काल के दौरान इस मंत्र का जप करने से यह तुरंत सिद्ध हो जाता है। जातक के जो भी शत्रु उसे परेशान करते हैं, माना जाता है कि अगर उसका नाम लेकर 11 बार ये मंत्र पढ़ा जाए तो वे दुश्मन मित्र में तबदील हो जाता है।

ॐ नमः वज्र का कोठा, जिसमें पिंड हमारा बैठा।
ईश्वर कुंजी ब्रह्मा का ताला, मेरे आठों धाम का यती हनुमन्त रखवाला।।



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