दमोह में दिग्विजय,अरुण और अजय सिंह नहीं आ रहे नजर
भोपाल : दमोह में एक बार फिर कांग्रेस बिखरी-बिखरी सी नजर आ रही है। कांग्रेस के उम्मीदवार अजय टंडन अभी तक सिर्फ प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के सहारे ही हैं। दमोह में कमलनाथ और उनकी टीम ही सक्रिय नजर आ रही है जबकि प्रदेश के बड़े चेहरे अभी तक दमोह में नजर नहीं आए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह समेत वरिष्ठ नेता अरुण यादव, अजय सिंह, सुरेश पचौरी और कांतिलाल भूरिया दमोह में दम दिखाते नहीं दिख रहे। कमलनाथ दमोह जीतकर अपनी धमक प्रदेश में दिखाना चाहते हैं। इस लिहाज से यह चुनाव उनके लिए अहम माना जा सकता है। लेकिन चुनाव में पार्टी की एकजुटता पर फिर सवाल खड़े होने लगे हैं।
नजर आने लगी गुटबाजी :
एक बार फिर कांग्रेस में गुटबाजी का पुराना मर्ज उभर कर आने लगा है। यही कारण है कि पार्टी में बिखराव दिखाई दे रहा है। कमलनाथ की कम मौजूदगी के कारण यही हाल कांग्रेस का विधानसभा में नजर आया था। दमोह में भी कांग्रेस पूरी तरह कमलनाथ के कंधों पर है। कमलनाथ दमोह में सभा भी ले चुके हैं लेकिन उम्मीदवार का नाम भूलना और नामांकन दाखिल कराने में साथ न जाना जरुर कांग्रेस की अंदरुनी राजनीति को गरमाए हुए है। कमलनाथ ने अपनी टीम को दमोह में लगाया है। विधायक जीतू पटवारी, सज्ज्र सिंह वर्मा, बृजेंद्र सिंह राठौर, रवि जोशी और संजय यादव जैसे नेता मोर्चा संभाले हुए हैं। लेकिन अभी तक दिग्विजय सिंह, अरुण यादव, सुरेश पचौरी, अजय सिंह और कांतिलाल भूरिया जैसे दिग्गज नेताओं की भूमिका स्पष्ट नहीं हो पाई है।
भाजपा नेताओं के संपर्क का दावा :
कांग्रेस के संगठन प्रभारी चंद्रप्रभाष शेखर कहते हैं कि कांग्रेस एकजुट है और सभी नेता दमोह में कांग्रेस की जीत में अहम भूमिका निभाएंगे। शेखर ने ये भी दावा किया कि भाजपा के कई असंतुष्ट नेता कांग्रेस के संपर्क में है। और ये चुनाव भाजपा को ये अहसास करा देगा कि जनता कांग्रेस के साथ है और वो जनता के वोट खरीद नहीं सकती है।
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