Patrika Positive News : ये हैं वो IAS जिन्होंने कोरोना संक्रमित मां की सेवा के लिए छोड़ा दिया कलेक्टर का पद
भोपाल/ किसी बीमारी में जूझ रही मां की सेवा के लिये बेटा किसी निजी दफ्तर से छुट्टी ले या नौकरी भी छोड़ दे, यह तो समझ आता है। लेकिन मां की सेवा के लिए ज़िला कलेक्टर का पद ठुकरा देना, ये बात सुनना कोई आम बात नहीं है। लेकिन, मध्य प्रदेश में 2013 बैच के कैडर रहे प्रशासनिक अधिकारी अनूप कुमार सिंह की इन दिनों इसलिये चर्चा जोरों पर है, क्योंकि पिछले दिनों उन्होंने अपनी कोरोना ग्रस्त मां की सेवा करने के लिये दमोह का कलेक्टर पद ठुकरा दिया था। हालांकि, तमाम कोशिशों के बावजूद उनकी मां को तो नहीं बचाया जा सका, लेकिन उनके इस फैसले के बाद ये बात तो सिद्ध हो गई कि, मां से सच्चा प्यार करने वाले बेटे के सामने आने वाली दुनिया की कोई भी सफलता मायने नहीं रखती।
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तमाम कोशिशों के बावजूद नहीं बच सकी मां की जान
अनूप कुमार सिंह की तमाम कोशिशें उनकी बीमार मां की जान नहीं बचा सकीं। 35 दिनों तक ग्वालियर के अस्पताल में जीवन का संघर्ष करने के बाद उनकी मां रामदेवी बाई का निधन हो गया। अनूप कुमार सिंह की मां बीते 13 अप्रैल को ग्वालियर के एक निजी अस्पताल में भर्ती हुईं थीं। एक से ज़्यादा बार हुए कोविड टेस्ट में पहले उनकी रिपोर्ट निगेटिव, फिर पॉज़िटिव आई और फिर निगेटिव आई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंगलवार को अनुप कुमार की मां ने इलाज के दौरान आखिरी सांस ली। इलाज के दौरान वो 9 दिन वेंटिलेटर पर भी रहीं, इसी दौरान उनका डायलिसिस भी हुआ।
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जबलपुर अपर कलेक्टर हैं अनुप कुमार सिंह
जबलपुर में अपर कलेक्टर के तौर पर अनुप कुमार सिंह को इसी महीने की 7 तारीख को राज्य सरकार की ओर से दमोह का कलेक्टर पद संभालने की जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन मां की बीमारी के चलते उन्होंने ये पद स्वीकार नहीं किया था। सिंह के आवेदन के बाद उन्हें जबलपुर में ही पदस्थ रखा गया। गौरतलब है कि दमोह उपचुनाव में भाजपा की हार के बाद ज़िले के एसपी और कलेक्टर के साथ अन्य अधिकारियों का तबादला किया गया था।
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कौन हैं सिंह और कैसा रहा करियर?
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के कानपुर के रहने वाले 2013 बेच के IAS अफसर अनुप कुमार 1987 में जन्मे थे। उन्हें शांत और सरल स्वभाव का आईएएस माना जाता है। फिलहाल, उनकी तैनाती जबलपुर में अपर कलेक्टर के पद इसी साल फरवरी में की गई थी। इससे पहले सिंह जबलपुर में ही नगर निगम कमिश्नर और उससे पहले ग्वालियर में अपर कलेक्टर रह चुके हैं।मूल रूप से कानपुर के रहने वाले अनुप की माता के शांत होने के बाद अब उनके घर में पिता और तीन बहनें हैं। निधन के बाद अनुप की मां रामदेवी का शव कानपुर उनके गृह नगर ले जाया गया। वहीं उनका अंतिम संस्कार किया गया।
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