पांच विभागों ने दांव पर रख दी 18 बाघों की जान !
भोपाल. एक तरफ सरकार बाघों को लेकर सरकार चिंतित है, वहीं राजधानी में पांच जिम्मेदार विभागों ने केरवा के बैक वॉटर में जंगल मद की भूमि में 4 हैक्टेयर में मुरम खनन की अनुमति जारी कर दी। खनन हुआ, हंगामा मचा तब कलेक्टर ने खनन का पट्टा निरस्त कर दिया। लेकिन वे पांच विभाग के जिम्मेदार जिनकी कलम से एनओसी जारी हुई उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। जबकि इनकी लापरवाही की वजह से आसपास सक्रिय 18 बाघों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती थी। जानकारों के अनुसार यहां पर वन अधिनियम 1980 का उल्लंघन हुआ।
पत्रिका पड़ताल में ये भी सामने आया कि यहां की एनओसी जारी करने के लिए कोई अफसर मौके पर ही नहीं पहुंचा। क्योंकि जिस खदान से मुरम निकालने की अनुमति जारी की गई उसमें 30 फीट तक खुदाई कर पहले ही लाल पत्थर निकाला जा चुका था। यहां पर पट्टा धारक यश कंस्ट्रक्शन एंड प्रॉपर्टी डेवलपमेंट के प्रदीप सिंह निवासी नेहरू नगर को शासकीय भूमि के खसरा नंबर 295 में रकबा चार हेक्टेयर में दस वर्ष मुरम खनिज की अनुमति दे दी। वन क्षेत्र की सुरक्षा में यह सेंध है।
लाल पत्थर भी निकल गया
इस चार हेक्टेयर जमीन में से लाल पत्थर का उत्खनन भी हो गया। जब शिकायतें हुई तो इस बात का भी उल्लेख हुआ। लेकिन किसी जिम्मेदार ने इसे रोकने की कोशिश ये गतिविधियां बाघों के लिए बड़ा खतरा
बन सकती हैं।
सीधी बात
एचपी सिंह, जिला खनिज अधिकारी
खदान को एनओसी जारी करने की क्या प्रक्रिया होती है?
आवेदन आने के बाद तहसील, फॉरेस्ट, ग्राम पंचायत को पत्र लिखते हैं। फिर प्रदूषण विभाग सिया के माध्यम से अनुमति देते हैं, इसके बाद विभाग अनुमति देता है।
केरवा के बैक वॉटर में, जंगल मद की भूमि पर खदान आवंटित कर दी गई, विभाग को पता नहीं चला?
हमारे पास सभी जगह की अनुमति थी, फिर सिया ने भी अनुमति दी, तब पट्टा जारी किया।
बाघ मूवमेंट एरिया में विभाग एनओसी जारी करते रहे, अंतिम कार्य आपका था?
हां, हमारा विभाग लीज देता है, लेकिन अन्य विभागों की एनओसी थी तो हमने
भी दे दी।
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