पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट की तरफ से बैंकों को लोन की वसूली के लिए कार्रवाई की छूट
चंडीगढ़। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने मंगलवार 24 अगस्त को यह साफ कर दिया है कि बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को ऐसे लोग जो कार लोन या गोल्ड लोन लेने के बाद लोन का पैसा नहीं चुका रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई करके लोन की वसूली करने के लिए ज़रूरी कदम उठाने की पूरी तरह से छूट है। इसके लिए हाई कोर्ट ने बैंकों और वित्तीय संस्थाओं पर रोक नहीं लगाई है। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रवि शंकर झा और न्यायमूर्ति अरुण पल्ली की बेंच से मंगलवार को यह ऑर्डर बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के एक एप्लिकेशन फाइल करने के बाद आया।
बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के एप्लिकेशन फाइल करने का कारण
बैंकों और वित्तीय संस्थाओं ने यह एप्लिकेशन इसलिए फाइल की क्योंकि पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने 28 अप्रैल 2021 को एक अंतरिम ऑर्डर दिया था। इस ऑर्डर के कारण लोन की वसूली (Loan Recovery) नहीं हो पा रही थी।
बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के अनुसार पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने यह निर्देश दिया गया था कि वो लोन की वसूली के लिए किसी भी देनदार की सम्पत्ति की नीलामी नहीं कर सकते। ऐसे में बैंकों और वित्तीय संस्थाओं का कहना है कि कई देनदार इस ऑर्डर का गलत फायदा उठा रहे हैं, जिससे लोन की वसूली नहीं हो पा रही है।
हाई कोर्ट बेंच का स्पष्टीकरण
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रवि शंकर झा और न्यायमूर्ति अरुण पल्ली की बेंच ने यह साफ किया है कि हाई कोर्ट की तरह से बैंकों और वित्तीय संस्थाओं पर लोन की वसूली के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर कोई रोक नहीं लगाई गई हैं। अंतरिम ऑर्डर जारी करने का उद्देश्य सिर्फ घरों और अन्य आवासीय सम्पत्तियों की नीलामी पर रोक लगाना था, जिससे कोरोना के इस मुश्किल समय में किसी भी नागरिक को बेघर ना होना पड़े।
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