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एम्स में क्षतिग्रस्त तंत्रिकाओं को ठीक करने ब्रेकियल प्लेक्सस सर्जरी शुरू

भोपाल। दुर्घटना के दौरान कई बार दिमाग से कंधे और हाथ की ओर आने वाली नसें टूट जाती हैं। इससे दिमाग के संदेश हाथ तक नहंीं पहुंच पाते। इससे हाथ में लकवा लगने का डर रहता है। इन नसों को ठीक करने के लिए एम्स भोपाल में अब ब्रेकियल प्लेक्सस सर्जरी शुरू हुई है। दिल्ली एम्स के साथ देश के चुनिंदा अस्पतालों में ही इस जटिल सर्जरी की सुविधा उपलब्ध है।
जानकारी के मुताबिक दिमाग से लेकर कंधों तक फैली तंत्रिकाओं के जाल को ब्रेकियल प्लेक्सस कहते हैं। इन महीन तंत्रिकाओं के टूटने या क्षतिग्रस्त होने से संदेश नीचे नहीं आ पाते। निजी अस्पतालों में इस सर्जरी में तीन से पांच लाख रुपए खर्च होते हैं लेकिन एम्स में यह सर्जरी न्यूनतम खर्च में हो जाती है।

कैसे होती है यह समस्या

चिकित्सकों के मुताबिक सामान्यतया सड़क दुर्घटनाओं में इस प्रकार की चोट ज्यादा लगती हैं। जन्म के समय बच्चों को ब्रेकियल प्लेक्सस इंजरी हो सकती है। लेकिन अधिकतर गंभीर ब्रेकियल प्लेक्सस इंजरी सड़क दुर्घटनाओं, गिरने या गोली लगने से होती हैं।
तुरंत नहीं होता ऑपरेशन

यह एक ऐसी चोट है, जिसमें तुरंत ऑपरेशन नहीं किया जाता। पहले फि जियोथेरेपी द्वारा मोशन एक्सरसाइज कराई जाती हैं, ताकि हाथों की शक्ति और लचीलेपन तथा तंत्रिकाओं की कार्यप्रणाली को सुधारा जा सके। अगर इससे बात नहीं बनती है तो सर्जरी की सलाह दी जाती है।
जटिल होती है यह सर्जरी

यह सर्जरी बेहद जटिल होती है। सर्जरी में क्षतिग्रस्त तंत्रिकाओं को निकालकर उनके खुले सिरों को जोड़ दिया जाता है। माइक्रोस्कोप के अंदर होने वाली इस सर्जरी में कई बार खराब तंत्रिकाओं को निकालकर शरीर के दूसरे भाग से तंत्रिकाएं लेकर क्षतिग्रस्त भाग में लगा दी जाती हैं, जिसे कैबल ग्राफ्ट कहते हैं। ऑपरेशन के तुरंत बाद रिकवरी नहीं आती। कुछ महीने तक फिजियोथेरेपी करानी पड़ती है।
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बर्न एवं प्लास्टिक सर्जरी विभाग में कई और प्रकार की सर्जरी जैसे माइक्रो वैस्कुलर सर्जरी, कॉस्मेटिक सर्जरी, सहित अन्य सर्जरी लंबे समय से की जा रही है। एम्स भोपाल में अब सुपर स्पेशिएलिटी उपचार मरीजों को मिल रहा है।
डॉ. सरमन सिंह, निदेशक एम्स भोपाल



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