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शहरों के जलप्रदाय केन्द्रों के पास ही नदियों का पानी स्वच्छ नहीं

भोपाल. मध्यप्रदेश नदियों के मामले में समृद्ध है लेकिन इनके संरक्षण और सफाई पर काम नहीं हो रहा है। इससे नदियों की सेहत धीरे-धीरे खराब होती जा रही है। खास बात यह भी सामने आई है कि इन नदियों में जहां से विभिन्न शहरों को पेयजल सप्लाई के लिए पानी लिया जाता है वहीं पर पानी साफ नहीं है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जांच रिपोर्ट में कई नदियों के जलप्रदाय केन्द्रों के पास पानी बी और सी श्रेणी का पाया गया है। जबकि इसके आगे-पीछे वाले हिस्सों में पानी ए श्रेणी का पाया गया है। इसके लिए सबसे ज्यादा रहवासी क्षेत्रों में एसटीपी आदि की व्यवस्था नहीं हो पाने के कारण सीवेज मिश्रित पानी नदियों में मिलने को जिम्मेदार माना जा रहा है।

मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा हाल ही में वर्ष 2020 की नदियों के जल की गुणवत्ता संबंधी रिपोर्ट जारी की है। इसमें प्रदेश की 88 नदियों के जल की गुणवत्ता का परीक्षण कर उसकी रिपोर्ट शामिल की गई है। इसमें ही जलप्रदाय केन्द्रों के पास कई नदियों का पानी साफ नहीं पाया गया है। जबकि वर्ष 2020 में तो अधिकांश समय लॉकडाउन रहा। इससे इस वर्ष तो और खराब स्थिति होने की संभावना है। जारी रिपोर्ट के अनुसार बेतवा नदी से रायसेन के लिए सप्लाई वाले पॉइंट पर बी और विदिशा को जिस पॉइंट से पानी सप्लाई किया जाता है वहां पानी सी श्रेणी का है। नर्मदा नदी का पानी अधिकांश पॉइंट पर ए श्रेणी का मिला है। केवल सांडिया पिपरिया के जलप्रदाय केन्द्र पर बी श्रेणी का पाया गया। सबसे खराब गुणवत्ता का पानी इंदौर की खान नदी का ई श्रेणी का और क्षिप्रा नदी का डी श्रेणी का पाया गया है।

यह हैं कारण
एनजीटी ने रहवासी इलाकों का अनुपचारित पानी सीधे नदियों में नहीं मिलने देने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए एसटीपी बनवाने के लिए कहा है लेकिन अभी अधिकांश शहरों में एसटीपी नहीं बन पाए हैं। इससे सीवेज वाला पानी सीधे नदी में जा रहा है। पर्यावरणविद डॉ सुभाष सी पांडे के अनुसार सीवेज वाला पानी मिलने बीओडी बढ़ जाता है जिससे पानी में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और पानी की गुणवत्ता बिगड़ती है।

नदियों से अनियंत्रित रेत उत्खनन के कारण उनका प्राकृतिक तरीके से पानी का शुद्ध करने का सिस्टम भी बिगड़ रहा है। कई जगह नदियों के किनारे गौशालाएं और अन्य व्यवसायिक गतिविधियां चल रही हैं इनका गंदा पानी सीधे नदियों में डाल दिया जाता है। हालांकि एमपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी ब्रजेश शर्मा का कहना है कि नदियों के पानी की लगातार मॉनीटरिंग की जा रही है। सीवेज नहीं मिलने देने के लिए नगरीय निकायों को रिपोर्ट भेजी जाती है। उद्योगों का कचरा और पानी उपचार के बिना मिलने से रोकने की व्यवस्था की गई है।

नदियों के जलप्रदाय केन्द्रों पर यह मिली स्थिति
बेतवा नदी जलप्रदाय केन्द्र रायसेन- बी
बेतवा नदी जलप्रदाय केन्द्र विदिशा- सी
चंबल नदी- अपस्ट्रीम जलप्रदाय केन्द्र इंस्पेक्शन बंगला बिरलाग्राम- बी
हथनी नदी- जलप्रदाय केन्द्र ककराना अलीराजपुर धार - बी
कटनी नदी- अपस्ट्रीम ननि जलप्रदाय केन्द्र के पास कटनी- बी
क्षिप्रा नदी- जलप्रदाय केन्द्र एबी रोड देवास - बी
नर्मदा नदी- सांडिया घाट जलप्रदाय केन्द्र पिपरिया जिला होशंगाबाद- बी
निवज नदी- जलप्रदाय केन्द्र के पास शुजालपुर- बी
पार्वती नदी- जलप्रदाय केन्द्र के पास पीलूखेड़ी राजगढ़- बी
मंदाकिनी नदी- रामघाट चित्रकूट- सी

विभिन्न श्रेणियों के मायने
ए- पेयजल स्रोत रोगाणुरहित गैर पारंपरिक उपचार के बिना
बी- बाह्य स्नान के योग्य
सी- पेयजल रोगाणुरहित पारंपरिक उपचार के साथ
डी- वन्य जीव और मछलीपालन के लिए
ई- सिंचाई, औद्योगिक प्रशीतन या नियंत्रित दूषित अपवहन के लिए

फैक्ट फाइल
कुल नमूने एकत्रित किए गए- 6965
नदियों के नमूने- 2318
तालाबों के नमूने- 715
नालों के नमूने- 983
भूूजल स्रोतों के- 2659
अन्य जलस्रोतों के- 281



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