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30 फीसदी महंगा हुआ इलाज, दवाओं से लेकर ओपीडी की फीस बढ़ी

भोपाल. कोराना के बाद से एलोपैथी के जरिए बीमारियों का इलाज 30 फीसदी तक महंगा हो गया है। डॉक्टरों की फीस, लैब की जांच और दवाओं की कीमत बढ़ने से ऐसा हुआ है। एक साल में दवाओं की कीमत में 30 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो गई। फार्मासिस्ट उमेश साहू बताते हैं कि दवा के दाम बढने से इलाज का खर्च बढ़ा है। पीलिया, मलेरिया, टाइफाइड, डेंगू, निमोनिया, टीबी और उल्टी-दस्त में भी बुखार आता है, लेकिन इलाज से पहले कोरोना जांच करना जरूरी है, इससे जांच का खर्च भी बढ़ गया।

 

डॉक्टरों की फीस भी बढ़ी
कोरोना काल में निजी डॉक्टरों और अस्पतालों की ओपीडी फीस भी बढ़ गई। हालांकि कुछ जगह कोरोना के नियंत्रण में आने के बाद इस फीस को यथावत कर दिया है। दूसरी लहर से पहले आमतौर पर प्रदेश के सभी जिलों में निजी डॉक्टरों की औसतन फीस 200 रुपए के आसपास थी, जो अब 300-500 रुपए के बीच हो गई। इनमें स्त्री रोग विशेषज्ञ भी शामिल हैं। फीस 200 रुपए से बढ़ाकर 300 से 500 रुपए तक कर दी।

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ऐसे समझें कितना महंगा हुआ इलाज

(सभी आंकड़े रुपए में)

मलेरिया का इलाज खर्च पहले अब
जांच 500 600
डॉक्टर की फीस 200 300
पलंग चार्ज 300 500
दवाई खर्च 600 800

दवा के दाम 10 से 30 प्रतिशत बढ़े

(सभी आंकड़े रुपए में)

दवा पहले अब
एंटीबायोटिक 8-10 12-15
पेरासिटामॉल 1 2
कफ सिरप 50-70 80-120
सर्दी दवा 5-7 10-12
एसिडीटी 5-7 8-10
विटामिन 2-3 3-3.5
इम्युनिटी वर्धक 7-10 15
ब्लॅड प्रेशर 2.5-3 4-5
शुगर 6-7 9-12

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ज्यादा काम में आने वाली कुछ दवाएं और उनके दाम

(सभी आंकड़े रुपए में)

दवा का नाम एक साल पहले अब
ग्लाइनेस एमएफ शुगर 14.50 18.52
लैंटस इंसुलिन शुगर 620 730
सिरप क्रीमाफिन प्लस गैस पेट दर्द 184.92 246
प्लूमोसेफ 250 एंटीबायोटिक 185 200
डोलो 650 बुखार 28.50 30.91
आरएल आईवी पानी की कमी 39.77 50.95
रोजडे 10 कलेस्ट्रॉल 89.87 104.40
बीकासूल कैप्सूल 37.76 104.40
लिम्सी टैबलेट विटामिन 14.25 23.05
विक्स वेपोरब 50 एमएल सर्दी जुकाम 120 145
सेंसोडाइन पेस्ट दांतों के लिए 100 115

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550 रुपए प्रतिमाह बढ़ा डायबिटिक रोगी का खर्च
विदिशा निवासी 55 वर्ष डायबिटिक रोगी का एक साल में ही एक इंजेक्शन और दो दवाओं पर मासिक खर्च 1940 रुपए से 2490 रुपए हो गया। इंसुलिन के लगने वाला लेंटस इंजेक्शन एक माह के दो इंजेक्शन (16 यूनिट) 1240 रुपए से बढ़कर 1460 रुपए हो गया। इसी तरह प्रतिदिन ली जाने वाली टेबलेट हर माह की 30 गोली एजुलिक्स 2 एमएफ 240 रुपए थी, जो अब 380 रुपए हो गई। दूसरी टेबलेट जालरा-एम 460 रुपए से बढ़कर 650 रुपए हो गई।

 

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शुगर बीपी और थाइराइड में 400 रु. प्रतिमाह बढ़ा खर्च
इटारसी निवासी 70 वर्षीय सरोज दुबे को शुगर, ब्लड प्रेशर एवं थाइराइड की परेशानी है। एक से ज्यादा बीमारियों और अधिक उम्र के चलते उनके कूल्हे के जोड़ भी खराब हो गए है। चलने फिरने में असमर्थ होने से उन्हें थायरोक्सिन 100 एमजी, ग्लूफॉर्मिंग 500, फोलिजोन, ऑक्सीस्पास, सिलाहार्ट टी, इकोस्प्रिन एबी 150 दवा खानी पड़ती हैं। कोरोनाकाल के पहले तक उनकी एक माह की दवा का खर्च करीब 1100 रुपए था, उनकी यही दवाएं 1500 रुपए की आती है।

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प्वाइंटर
- मध्यप्रदेश में 11000 करोड़ रुपए का सालाना का कारोबार दवाओं का।
- कोरोना के कारण और इसके बाद दवा व्यापार में और इजाफा हुआ।
- देश का करीब आठ फीसदी दवा का व्यापार मध्यप्रदेश में।
- प्रदेश में कुल 20500 रिटेल और थोक दवा कारोबारी।
- कोरोना के बाद प्रदेश में दवा के फुटकर और थोक विक्रेताओं की संख्या में 30 फीसदी की बढ़ोत्तरी
- डेढ़ साल में प्रदेश भर में 2785 थोक दवा विक्रेता और 614 फुटकर दवा विक्रेता बढ़ गए।
- प्रदेश में 61 नई दवा कंपनियों ने भी लाइसेंस लिए हैं, जो पिछले सालों की अपेक्षा दो गुने हैं।

 

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हमने फीस-दवाओं के दाम नहीं बढ़ाए
दवाओं के दाम कंपनियों के स्तर पर ही बढ़कर आ रहे हैं। क्यों बढ़ाए गए, यह जानकारी नहीं है। हमने कोविड के दौरान ही फीस बढ़ाई थी, अब यथावत कर दी है। वैसे निजी डॉक्टरों की फीस पर किसी संस्था का कोई नियंत्रण नहीं होता है।
-डॉ. अतुल सेठा, संचालक, केशव हॉस्पिटल, होशंगाबाद


वर्जन
देश में कंटेनर की उपलब्धता कम है, डिमांड ज्यादा है। कोयले की कमी से चीन में प्रोडक्शन दर गिराने से दवाओं के साल्ट की कीमतों में लगातार वृद्धि हुई है। डीजल की कीमतों से स्थानीय ट्रांसपोर्ट महंगा हुआ है। दवा का पैंकिंग मैटेरियल में भी आश्चर्यजनक रूप से बढ़ा है इसका सम्मिलित असर दवाओं की कीमत पर पड़ा है।
गौतम चंद धींग, अध्यक्ष, मध्यप्रदेश कैमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन (एमपीसीडीए)



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