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इम्युनिटी बूस्टर से बढ़ रही ये बीमारी, बिगड़ रहा हार्मोनल बैलेंस

सुनील मिश्रा
भोपाल. कोरोना काल और उसके बाद मनमाने तरीके से लिए जा रहे इम्युनिटी बूस्टर डायबिटीज के मरीज बढ़ा रहे हैं। इसके कारण शरीर में हार्मोनल बैलेंस बिगड़ रहा है इससे जो पहले से शुगर के मरीज हैं, उनमें कई प्रकार की अनियमितताएं पैदा हो रही हैं। दरअसल, यह सीधे पेंक्रियाज की बीटा सैल्स के काम को प्रभावित कर रहे हैं जो इंसुलिन स्रावित करती हैं। हालांकि कई आधुनिक तकनीकों ने डायबिटीज मरीजों को राहत दी है। राजधानी में भी अब इंसुलिन पंप और लगातार ग्लूकोज मॉनीटरिंग सिस्टम जैसे उपकरणों का उपयोग किया जा रहा है।


हर सप्ताह 25 से 30 नए मरीज पहुंच रहे


हमीदिया अस्पताल की ओपीडी में हर सप्ताह 25 से 30 नए डायबिटीज मरीज पहुंच रहे हैं। पहले यह संख्या 10 से 15 होती थी। विशेषज्ञों के अनुसार दरअसल, जो लोग कोरोना से पीडि़त हुए उन्हें स्टीरॉयड दिए गए। इससे इंसुलिन का स्राव प्रभावित हुआ और उनकी ब्लड शुगर का लेवल बढ़ा। वहीं जिन्हें कोरोना नहीं हुआ वे अपनी इम्युनिटी बढ़ाने मनमाने तरीके से इम्यूनिटी बूस्टर दवाएं खा रहे हैं। इससे भी डायबिटीज के मरीज बढ़ रहे हैं।


यह तकनीकें दिला रही राहत


इंसुलिन पंप: यह पेजर की तरह एक एेसा उपकरण है जो शरीर में एक बार लगवाने पर यह अपने आप रोज इंसुलिन ब्लड में छोड़ता रहता है। इससे रोज इंसुलिन के इंजेक्शन लेने की जरूरत नहीं होती है।


खासतौर पर टाइप-1: डायबिटीज से पीडि़त बच्चों के लिए यह बहुत अच्छा उपकरण है। इसकी कीमत ढाई से तीन लाख रुपए है। इसके साथ हर सप्ताह इसकी ट्यूब आदि बदलने के लिए भी करीब 3 हजार रुपए का खर्च करना पड़ता है। इसलिए अभी आम लोग इसे नहीं लगवा पा रहे हैं।


सीजीएमएस: कंटीनुअस ग्लूकोज मॉनीटरिंग सिस्टम एक एेसा उपकरण है जिससे सेंसर के माध्यम से शरीर में पल-पल के शुगर लेवल का आकलन किया जाता है। इसमें हर पांच सेकंड में ग्लूकोज लेवल दर्ज होता है उसकी का प्रति घंटा और प्रतिदिन शुगर का औसत यह उपकरण रिकॉर्ड कर बताता है।
इसकी कीमत 5 से 10 हजार रुपए है।

बिना सलाह नहीं लें इम्युनिटी बूस्टर


गांधी मेडिकल कॉलेज के एंडोक्राइनोलोजिस्ट और डायबिटीज विशेषज्ञ डॉ. मनुज शर्मा के अनुसार कोरोना संक्रमण के दौर में स्टीरॉयड और वायरस के असर के कारण डायबिटीज के मरीज बढ़े थे। उनमें से कुछ की शुगर तो नियंत्रित हो गई, लेकिन कुछ डायबिटिक हो गए। बिना डॉक्टर की सलाह के लिए गए इम्युनिटी बूस्टर सीधे पेंक्रियाज की बीटा सैल्स को प्रभावित कर रहे हैं जिनसे शुगर को नियंत्रित करने वाला इंसुलिन स्रावित होता है। इससे डायबिटीज की बीमारी बढ़ रही है। इसलिए बिना सलाह के अनावश्यक इम्युनिटी बूस्टर नहीं लें। खानपान और लाइफस्टाइल में थोड़ा सा बदलाव कर भी इम्युनिटी बढ़ सकती है। डायबिटीज से बच सकते हैं।

हफ्ते में एक बार इंसुलिन


डॉक्टरों के अनुसार अब एेसा इंसुलिन भी आ गया है जिसे सप्ताह में केवल एक ही बार लेना पड़ता है, रोज-रोज इंजेक्शन नहीं लगाना पड़ता है। लेकिन यह कुछ विशेष केस में ही दिया जाता है। हर मरीज को यह नहीं दिया जाता है।


जल्द आ रहा है स्मार्ट इंसुलिन


एंडोक्राइन विशेषज्ञों के अनुसार जल्द ही स्मार्ट इंसुलिन आने वाला है। इस पर अभी शोध, प्रयोग और टेस्ट चल रहे हैं। इसकी खास बात यह है कि यह ब्लड सर्कुलेशन में पहुंचने के बाद जब जैसी जरूरत होती उतना ही इंसुलिन रिलीज करेगा। इसमें शुगर लेवल का आकलन करने की भी क्षमता रहेगी।



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