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10 बच्चों के जले हुए शव आए सामने, कई बच्चों को कपड़े में लपेटकर कोने में रखा

भोपाल. हमीदिया अस्पताल परिसर के कमला नेहरू अस्पताल में आग लगने से 10 बच्चों की मौत हुई है जबकि सरकार केवल 4 मौतों की बात ही कह रही है. हादसे के बाद 8 बच्चों के शवों का पोस्टमॉर्टम हो चुका है जबकि दो बच्चों के शव बिना पीएम के ही परिजनों को सौंप दिए गए. बच्चों के माता—पिता बिलख रहे हैं और बेरहम जिम्मेदार मौन बने हुए हैं.

अस्पताल मैनेजमेंट ने हादसे में अब तक 4 बच्चों की मौत की ही पुष्टि की है. हादसे में शिवानी, इरफाना, शाजमा, रचना के बच्चों की मौतों की ही पुष्टि हुई है। इसके अलावा प्रभा, महरू, तरन्नुम, राहुल प्रजापति, रीना व ऊषा के बच्चों के शव भी सामने आ चुके हैं लेकिन मैनेजमेंट ने इनकी मौतों को हादसे में हुई मौत मानने से इंकार किया है।

मौके पर मौजूद लोगों का स्पष्ट कहना है कि मौत का आंकड़ा बहुत ज्यादा है। भानपुर की किशोरी विश्वकर्मा ने बताया कि जले हुए बच्चों को कोने में कपड़े में लपेटकर रखा गया है। कई बच्चे जल चुके हैं। उन्होंने बताया कि उनके पोता को हमारे सुपुर्द नहीं किया जा रहा. हमने खुद देखा है कि जला हुआ बच्चा कोने में कपड़े में लपेटकर रखा गया था। उसमें सील लगी थी। वो हमारा ही बच्चा है।

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किशोरी विश्वकर्मा की बहू ज्योति को 4 नवंबर को बच्चा हुआ था। नवजात को सांस लेने में दिक्कत थी इसलिए उसे कमला नेहरू हॉस्पिटल में वेंटिलेटर पर रखा गया था। सोमवार सुबह डॉक्टरों ने बताया था बच्चा ठीक है। रात में आग लगने की जानकारी मिलने पर अस्पताल पहुंचे तो हमें अंदर ही नहीं जाने दिया गया। कहा जा रहा है कि उनका बच्चा ठीक है। अपने बच्चों के लिए ऐसे अनेक परिजन परेशान हो रहे हैं.

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इधर हमीदिया हादसे पर बयान देते हुए पूर्व सीएम उमा भारती ने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह को राजधर्म निभाकर कार्रवाई करने को कहा है. मध्यप्रदेश मानवाधिकार आयोग ने भी हादसे पर संज्ञान लेते हुए प्रदेश के मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य तथा हमीदिया अस्पताल अधीक्षक से एक जांच रिपोर्ट मांगी है।



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