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हमीदिया अस्पताल में अब तक 12 बच्चों की मौत, देखें लापरवाही की पूरी कहानी

भोपाल। हमीदिया अस्पताल में लगी आग में अब तक 12 बच्चों की मौत हो गई है। हालांकि आंकड़ों को लेकर अब तक अस्पताल प्रशासन ने चुप्पी साध रखी है। अभी तक इस हादसे का कोई जिम्मेदार तय नहीं किया गया है, जबकि पहली नजर में ही यहां पर अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही साफ नजर आई है। अस्पताल में फायर—फायटिंग सिस्टम काम नहीं कर रहे थे। इनका कई सालों से ऑडिट भी नहीं कराया गया था। इसके साथ ही अस्पताल के भीतर पुरानी वायरिंग, वार्ड के अंदर झूलते बिजली के तारों ने हादसे को और भीषण बना दिया। हालांकि आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बड़ी बैठक बुलाई है, जिसमें अफसरों की जिम्मेदारी तय हो सकती है।

 

 

क्या हुआ था उस रात
सोमवार रात 8.15

हमीदिया अस्पताल परिसर के कमला नेहरू अस्पताल के चाइल्ड वार्ड में शार्ट सर्किट से छोटा-सा ब्लास्ट हो गया था। इस कारण वार्ड में आग लगी और आग बढ़ती चली गई। वार्ड में काला धुआं भर गया था, चार बच्चों की मौत जिंदा जलने और दम घुटने के कारण हो गई थी। आनन-फानन में बाकी 36 बच्चों को अन्य वार्ड में शिफ्ट किया गया। पैरामेडिकल स्टाफ, हाउस कीपिंग स्टाफ, सिक्योरिटी स्टाफ अपनी जान की बाजी लगाते हुए बच्चों को बजाने में जुट गए थे। जिसके हाथ में जितने बच्चे आए वो उन्हें लेकर अन्य वार्ड में शिफ्ट करने में लगा रहा। अब तक 12 बच्चों की मौत हो चुकी है।

 

6 माह में तीसरी घटना

इससे बड़ी लापरवाही और क्या होगी कि इसी पीडियाट्रिक वार्ड में पिछले छह माह में यह तीसरी घटना है। इससे पहले भी दो बार इसी वार्ड में आग लग चुकी है।

 

राजधानी परियोजना करता है मेंटेनेंस

अस्पताल की जिस बिल्डिंग में आग लगी, उसके बिजली के मेंटेनेंस का काम केपिटल प्रोजेक्ट एडमिनिस्ट्रेशन (सीपीए) यानी राजधानी परियोजना करता है।

 

 

 

सीएम और मंत्री के दौरे भी बेअसर

अग्निकांड की खबर लगते मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जांच के आदेश दिए थे, यह जांच अपर मुख्य सचिव मो. सुलेमान कर रहे हैं। सीएम ने यह भी कहा है कि दोषियों पर सख्त एक्शन लिया जाएगा। गौरतलब है कि सीएम 9 माह में 3 बार हमीदिया गए हैं, वहीं स्वास्थ्य विभाग के एसीएस मोहम्मद सुलेमान लंबे समय से हमीदिया नहीं गए। जबकि जांच सौंपे जाने के बाद मंगलवार को वे दो बार हमीदिया पहुंचे थे। जबकि चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग अक्सर ही हमीदिया अस्पताल जाते हैं। इसके बावजूद भी किसी ने बच्चों के इस वार्ड की तरफ ध्यान नहीं दिया।

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यह हैं जिम्मेदार

  • निशांत बरवड़े, आयुक्त चिकित्सा शिक्षा
    हमीदिया-सुल्तानिया जैसे बड़े अस्पतालों में फायर सेफ्टी आडिट नहीं था, कभी ध्यान नहीं दिया गया।

 

  • डा. जितेन शुक्ला, डीन जीएमसी
    हमीदिया, सुल्तानिया और टीबी अस्पताल में कभी सुरक्षा इंतजामों को जांचने की कोशिश नहीं की।

 

  • डा. लोकेद्र दवे, अधीक्षक हमीदिया अस्पताल
    नगर निगम से नोटिस मिलने और अस्पताल में दो बार शार्ट सर्किट होने के बावजूद फायर सेफ्टी एनओसी नहीं ली।

 

  • रवि मित्तल, अधीक्षण यंत्री सीपीए
    अस्पताल भवन के रखरखाव की जिम्मेदारी है। समय-समय पर मरम्मत करानी थी, पर ठोस प्रयास नहीं।

 

जानलेवा लापरवाही

घटना के पीछे गांधी मेडिकल कालेज (जीएमसी), हमीदिया और कमला नेहरू अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही सामने आई है। पीडियाट्रिक विभाग में छह माह में दो बार शार्ट सर्किट हो चुका था। नगर निगम की फायर शाखा ने पांच बार नोटिस दिया, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने फायर एनओसी नहीं ली। नगर निगम के फायर आफिसर रामेश्वर नील ने कहा, पांच नोटिस भेजे, चार माह पहले एनओसी लेने का अनुरोध किया था, लेकिन ध्यान नहीं दिया। घटनास्थल पर आग बुझाने के इंतजाम पर्याप्त नहीं थे।

 

20 साल पुराने वेंटीलेटर

छह माह पहले अस्पताल के पीडियाट्रिक विभाग में वॉल फैन में शार्ट सर्किट केबाद वार्ड में धुआं भर गया था। तब 50 नवजात भर्ती थे। इससे 15 दिन पहले इसी जगह शार्ट सर्किट होने के बाद बच्चों को शिफ्ट करना पड़ा था।

अस्पतालों का होगा सेफ्टी आडिट

मुख्यमंत्री चौहान ने स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) मोहम्मद सुलेमान की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाई है, जो हादसे की रिपोर्ट देगी। जो दोषी होगा, उस पर कार्रवाई होगी। यह भी कहा गया है कि अब शासकीय और गैर शासकीय अस्पतालों का फायर सेफ्टी आडिट कराया जाएगा।

 

जिम्मेदारों से कराई जा रही जांच

इधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि जो घटना के लिए जिम्मेदार हैं, उन्हीं से जांच कराई जा रही है। जांच हाईकोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में करवाई जानी चाहिए।



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