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हर दूसरे दिन ढह रहा मकान, 176 लोग गंवा चुके जान

भोपाल. लापरवाही के कारण होने वाले हादसों के मामलों में मध्यप्रदेश की स्थिति देश में बेहतर नहीं है. हालात ये हैं कि वर्ष 2020 में कमजोर नींव की मकान, इमारतों के ढहने के 179 हादसे हुए. इस तरह लगभर हर दूसरे दिन मकान, इमारतों के ढहने की कोई न कोई घटना घटी. इन हादसों में 176 लोगों को जिंदगी से हाथ धोना पड़ा.

हादसों में मध्यप्रदेश देश में तीसरे नंबर पर
मकान ढहने से हुए हादसों के मामलों में मध्यप्रदेश देश में तीसरे नंबर पर है। इस तरह के सबसे ज्यादा 286 हादसे उत्तर प्रदेश में हुए, जिनमें 297 की मौत हुई। दूसरे नंबर पर राजस्थान है। यहां एक साल में 220 हादसों में 217 लोगों ने जान गंवाई है। ये खुलासा हाल ही में जारी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट से हुआ है।

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कार्रवाई नहीं
हर साल मानसून से पहले नगरीय निकायों द्वारा जर्जर मकानों को चिह्नित कर चेतावनी जारी करते हैं, पर प्रभावी कार्रवाई नहीं होने और समय रहते खाली नहीं कराने से हादसों पर अंकुश नहीं लग रहा। इधर सिंचाई और पेेयजल की जरूरत पूरी करने बनाए गए डैम पर हुए हादसे या कहें कि डैम ढहने की देश में हुईं 12 घटनाओं में से छह मप्र में हुईं। इनमें छह की मौत हुई।

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कमजोर नींव दरकी तो ढही बिल्डिंग
ऐसा नहीं है कि प्रदेश में केवल आवासीय मकान ही ढह रहे हैं. यहां कई कमर्शियल इमारतें भी ढह गई हैं जिनके कारण कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पडा है. वर्ष 2020 में ही मध्यप्रदेश में कमर्शियल इमारत ढहने की पांच घटनाएं हुईं. इमारत ढहने के इन पांच हादसों में चार लोगों की मौत भी हो गई. अधिकांश मामलों में नींव की कमजोरी की बात सामने आई.



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