3600 स्व सहायता समूहों के दम पर खड़ी हो रही 'ग्राम सरकार पंचायत चुनावों में बन सकता है बदलाव का बड़ा चेहरा
भोपाल. नगर निगम की नगर सरकार के समानांतर अब जिला पंचायत की ग्राम सरकार भी धीरे-धीरे खड़ी होती जा रही है। मछली पालन, दूध सप्लाई, राशन दुकानें, अचार, पापड़, सोयाबीन के उत्पाद, हौजरी, गोबर के दीए, साड़ी कारोबार व अन्य व्यवसायों की मदद से 3600 स्व सहायता समूहों में काम करने वाली 36 हजार महिलाओं की आय तो बढ़ी है, नए रोजगार के अवसर भी खुले हैं। वे घर के चौके चूल्हे से निकल कर अपने पैरों पर खड़ी होती दिख रही हैं। पहली बार मछली पालन और पंचायतों की सौलह राशन दुकानें स्व सहायता समूहों को देकर एक नया प्रयोग किया जा रहा है। अगर ये सफल होता है कि नगर निगम सीमा में संचालित हो रही नगर सरकार को भी कुछ ऐसे ही अभिनव प्रयोगों की मदद से लोगों की आय और खुद का राजस्व बढ़ाने के प्रयास करने होंगे।
अभी निगम के पास कई स्त्रोत हैं, जिनसे राजस्व मिलता है, लेकिन कई लापरवाहियों की वजह से ये पूरा और समय पर नहीं मिल पाता। ग्राम सरकार की तरह यहां भी कुछ तेजी से काम करने होंगे। स्व सहायता समूहों की तरफ से किए जा रहे प्रयासों से जिले की 187 पंचायतों पर लोगों का तेजी से ध्यान आकर्षित हुआ है। आगामी दिनों में पंचायत चुनाव भी होने हैं, ऐसे में ये 36 हजार महिला वोटर बदलाव का बड़ा चेहरा भी बन सकते हैं।
हाल ही में शुरू हुए काम
- मछली पालन के लिए पंचायतों के 20 तालाब महिला स्व सहायता समूहों को दिए जा रहे।
- फंदा ब्लॉक में 14 राशन और बैरसिया ब्लॉक में 2 समूह को राशन दुकानें संचालन के लिए दीं।
- मजीदगढ़ के एक समूह ने एलइडी बल्ब बनाकर अपनी आय तो बढ़ाई, कई और समूहों की राह खोली।
- मिट्टी की जगह गोबर के तीन लाख से ज्यादा दिये बनाकर अयोध्या भेजे, 15 लाख बनाने हैं।
- कचरा प्रबंधन कर खुद ही अपने स्तर पर पुरस्कार किए वितरित, लगातार समीक्षा भी कर रहे
- पंचायतों में सूखा, गीला और प्लास्टिक का कचरा हो रहा अलग एकत्र, प्लास्टिक गलाने लगा रहे प्लांट
- कचरे से बनाया कंचन, गिफ्ट हैंपर, पुराने कपड़ों से तैयार कई प्रकार के बैग
- करवाचौथ पर खुद के संस्कार हैंपर बेचे, कपड़ों के बाजार में अपनी उपस्थिति पेश की
- स्वच्छता के लिए प्रतियोगिताएं करा लोगों को जागरुक कर रहे, इसके समूह अलग बने हैं।
पंचायतों से लिया जाएगा स्वच्छता, सम्पत्ति जलकर
पंचायतों में विकास के लिए तीन स्तर पर कर वसूली के बाद इसी रुपयों से गांव का विकास होगा। राजधानी की 187 पंचायतों में एक अक्टूबर से इसकी शुरूआत हो गई है। सम्पत्तिकर के लिए कलेक्टर गाइडलाइन में मौजूदा दरों से कर लिया जा रहा है। दुकान, होटल, गोदाम, चक्कियां, पानी व अन्य उत्पादन की फैक्ट्री से पहले कर लिया जाएगा। इसके बाद आवासीय से शुरू होगा। स्वच्छता और जलकर का फैसला पंचायतों को ही तय करना है। वर्जनहम महिला पंचायत समूहों को उनके पैरों पर खड़ा कर रहे हैं। इससे उनकी आय बढऩे के साथ रोजगार के नए अवसर खुले हैं। राशन दुकान, मछली पालन भी इन्हीं समूहों को करना है। विकास मिश्रा, सीईओ, जिला पंचायत
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