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स्मार्ट मीटर लगाने पर बिजली विभाग का नया खेल

भोपाल. स्मार्ट मीटर को लगाने का मकसद बिजली चोरी में कमी करना और आपूर्ति सर्विस बेहतर करना होता है। लेकिन, प्रदेश में स्मार्ट मीटर लगाने के मामले में दोहरी नीति अपनाई गई है। जहां पर समय पर बिली भरने वाले उपभोक्ता हैं, उन्हीं इलाकों में स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे, जबकि जहां पर ज्यादा चोरी और खपत में गड़बडी हैं वहां ये मीटर नहीं लगेंगे। यानी ईमानदार उपभोक्ताओं पर ही सख्ती की जा रही है।

ये है मामला: दरअसल, सरकार प्रदेश में करीब साढ़े तीन लाख स्मार्ट मीटर लगा रही है। जबकि 23 लाख मीटर खरीदने के लिए केंद्र सरकार से मदद मांगी गई है। अभी करीब एक लाख मीटर लगाए गए हैं। खास बात ये कि शहरों में ये मीटर लगाना तय किया गया है। वह भी वहां, जहां पर पहले से डिजिटल मीटर लगे हैं।

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खेती या ग्रामीण इलाकों के फीडर पर स्मार्ट मीटर नहीं लगाए जा रहे, जबकि सबसे ज्यादा चोरी इन्हीं फीडर्स पर है। ऐसे में बिजली विभाग के अधिकारियों की मंशा पर सवाल उठ रहा है कि ईमानदार उपभोक्ता पर ही निगरानी क्यों, जबकि पहले उन जगहों पर मीटर लगना चाहिए जहां पर ज्यादा चोरी की आशंका है।

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बिजली महकमा मानकर चल रहा है कि जहां ज्यादा चोरी है या गड़बड़ी है, वहां पर काबू पाना आसान नहीं है। जबकि जो उपभोक्ता पहले से बिल दे रहा है, उस पर आसानी से स्मार्ट मीटर लगाकर वसूली की जा सकती है। इससे कंपनियों का राजस्व बढ़ेगा। इसलिए जहां मीटर से चोरी, तार चोरी या खेती सहित ग्रामीण अंचल में ज्यादा बिजली चोरी वाले फीडर हैं, उन्हें अभी स्मार्ट मीटर की प्राथमिकता से बाहर रखा है।



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