रायफल शूटिंग का हब बन रहा मध्यप्रदेश, यहां से तैयार हो रहे नेशनल खिलाड़ी
भोपाल. मध्यप्रदेश में रायफल शूटिंग का क्रेज लगातार बढ़ता जा रहा है। जिसका मुख्य कारण अब प्रदेश में ही खिलाडिय़ों को बेहतर संसाधन और सुविधाएं मुहैया होने लगी है। ऐसे में खेल और युवा कल्याण विभाग द्वारा संचालित मध्यप्रदेश शूटिंग अकादमी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है। यहां से तैयार हुए खिलाड़ी देश-विदेश में प्रदर्शन कर भारत का नाम रोशन कर रहे हैं।
दरअसल, मध्यप्रदेश के भोपाल में वर्ष 2007 में मध्यप्रदेश शूटिंग अकादमी की स्थापना की गई थी। ताकि शूटिंग को खेल की मुख्यधारा में लाया जा सके, इसलिए प्रदेशभर से शूटिंग की प्रतिभाओं को खोजना प्रारंभ किया गया और पिस्टल, शॉटगन, रायफल आदि का फ्री में हाईटेक ट्रेनिंग देने शुरू किया, ताकि शूटिंग के प्रति खिलाडिय़ों का रूझान बढ़े, इसके लिए बेहतर शूटिंग कोचों को भी अकादमी में शामिल किया गया।
ऐश्वर्य प्रताप ने बनाए कई रिकार्ड
मध्यप्रदेश के 20 वर्षीय शूटिंग खिलाड़ी ऐश्वर्य प्रताप सिंह तोमर ने अब तक कई रिकार्ड बनाए हैं। उन्होंने दिल्ली में आयोजित हुई इंटरनेशनल शूटिंग स्पोर्टस फेडरेशन के तत्वावधान में आयोजित वल्र्ड कप शूटिंग में 50 मीटर रायफल थ्री पोजिशन में हंगरी के इस्तवान पेनी को हराया और गोल्ड मेडल हासिल किया था। वे मध्यप्रदेश के ओलंपिक में भाग लेने वाले पहले एथलीट बन गए, जब उन्होंने असाका शूटिंग रेंज में अपना कदम रखा था।
शॉटगन में भविष्य उज्जवल
नेशनल कोच मनशेर सिंह का मानना है कि युवा प्रतिभा के उभरने से खेल में देश का भविष्य उज्ज्वल नजर आ रहा है। डबल ट्रैप के निशानेबाज राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने एथेंस ओलंपिक 2004 में रजत पदक जीतकर भारत में निशानेबाजी को नई पहचान दिलायी थी लेकिन इसके बाद शॉटगन का प्रभाव फीका पड़ता गया, जबकि राइफल और पिस्टल निशानेबाजों ने अच्छी प्रगति की है। मनशेर का मानना है कि शॉटगन में भविष्य उज्ज्वल है इसका एक उदाहरण अंगद वीर सिंह बाजवा और मैराज अहमद खान का पुरुष स्कीट में टोक्यो ओलंपिक का कोटा हासिल करना है।
300 से अधिक पदक हासिल किए
इस अकादमी के खिलाडिय़ों ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए इंटरनेशनल लेवल पर 60 से अधिक पदक और नेशनल प्रतियोगिताओं में करीब 300 से अधिक पदक हासिल किए हैं। अकादमी की स्थापना के बाद से जुड़े शॉटगन कोच मनशेर सिंह का कहना है हम 14 से 18 वर्ष के आयु वर्ग के युवा प्रतिभाओं की तलाश करते हैं। फिर उन्हें कुछ शारीरिक योग्यता परीक्षण, हाथ से आंख समन्वय परीक्षण के माध्यम से रखा जाता है। जिसके माध्यम से हम यह पता लगाते हैं कि क्या वे शूटिंग में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए बेहतर स्थिति में हैं।
छोटे गांवों और जिलों से लाए प्रतिभाएं
एक कोच के रूप में अकादमी में शामिल होने के बाद सिंह ने एक मॉड्यूल तैयार किया, जहां शूटिंग को छोटे गांवों और जिलों में प्रतिभाएं लाने पर जोर दिया। यह अकादमी सरकार द्वारा प्रायोजित सभी आधुनिक सुविधाएं और उपकरण प्रदान करती है। यह उनके आवास, शिक्षा, पोषण, फिजियोथेरेपी और फाइकोलॉजिकल प्रशिक्षण का भी ख्याल रखा जाता है। अकादमी के अधिकांश निशानेबाज सामान्य पृष्ठभूमि से आते हैं और उन्होंने नेशनल लेवल पर अपनी जगह बनाने का बेहतर अवसर मिलता है।
भोपाल में तैयारी, अमेरिका के खिलाड़ी को हराया
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से ट्रेनिंग लेने वाले खिलाड़ी ऐश्वर्य और सुनिधि ने ब्रॉन्ज मेडल मैच में अमेरिका के टिमोथा शेरी-वर्जीनिया थ्रैशर की जोड़ी को 31-15 से हराया था, इस पूरे टूर्नामेंट में मध्यप्रदेश के शूटर्स ने लगातार बेहतर प्रदर्शन करते हुए मध्यप्रदेश का नाम रोशन किया था। यही कारण है कि आंकड़ों में भारतीय टीम पहले स्थान पर है वहीं अमेरिका दूसरे और डेनमार्क तीसरे स्थान पर काबिज हैं। ऐश्वर्य के साथ मिक्स्ड इवेंट में दिल्ली में 2021 आईएसएसएफ विश्व कप में कांस्य पदक जीतने वाली सुनिधि चौहान गोविंदपुरा औद्योगिक क्षेत्र के एक फैक्ट्री कर्मचारी की बेटी हैं।
64 वीं नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में निशाना साधेंगे देशभर के खिलाड़ी
चिंकी बनी वल्र्ड नंबर वन खिलाड़ी
रायफल शूटिंग में मध्यप्रदेश की चिंकी यादव ने विश्व में नंबर एक रैंक हासिल करने वाली पहली एथलीट बनी, उन्होंने दिल्ली में आयोजित विश्व चैंपियनशिप में लगातार दो गोल्ड मेडल हासिल किए, उन्होंने महिलाओं की 25 मीटर श्रेणी में 1,110 रेटिंग अंकों के साथ दुनिया की शीर्ष पिस्टल निशानेबाज बन गईं। चिंकी के पिता मेहताब यादव एकेडमी में इलेक्ट्रीशियन हैं। चिंकी 2012 में शूटिंग अकादमी में शामिल हुई थी।
अकादमी की शूटर उड़ती चिडिय़ा पर साधती है निशाना
देश की नंबर वन शूटर बनी मप्र राज्य शूटिंग अकादमी भोपाल की यंग शूटर मनीषा कीर ने पटियाला में ऐसा निशाना लगाया था कि उन्हें वल्र्ड कप के लिए भारतीय टीम में चुन लिया था। इसी के साथ वे नंबर वन शूटर भी बन गई। मनीषा भोपाल के नजदीक स्थित छोटे से गांव गोरेगांव में रहती हैं। उन्होंने अपने पिता कैलाश कीर के साथ काम में काफी हाथ बटाया उनके पिता बड़ी झील में मछली पकडऩे का व्यवसाय करते हैं। जिसमें वे मदद करती वे वह देश की इकलौती शूटर हैं जो जूनियर नंबर-वन होने के साथ सीनियर में भी नंबर वन है।
खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने खेलों को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, यही कारण है कि आज मध्यप्रदेश के खिलाड़ी न सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी देश का नाम रोशन कर रहे हैं। मध्य प्रदेश शूटिंग अकादमी जल्द ही विश्व कप आयोजनों की मेजबानी कर सकेगी। एमपी शूटिंग अकादमी के परिसर में एक नई अंतिम रेंज के लिए जगह निर्धारित की गई है, जो 25 नवंबर से राष्ट्रीय शूटिंग चैंपियनशिप की मेजबानी करने के लिए तैयार है।
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