Chhath Puja 2021 : उगते सूर्यदेव को प्रात:कालीन अर्घ्य के साथ संपन्न हुआ चार दिवसीय छठ पूजा महापर्व - Web India Live

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Chhath Puja 2021 : उगते सूर्यदेव को प्रात:कालीन अर्घ्य के साथ संपन्न हुआ चार दिवसीय छठ पूजा महापर्व

Chhath Puja 2021 : देश के विभिन्न राज्यों में आस्था का महापर्व छठ पूजा मनाया जा रहा है। छठ पूजा चार दिनों का पर्व है। 10 नवंबर को संध्या अर्ध्य यानी डूबते हुए सूर्य की पूजा की गई। वैसे तो ये उत्तर भारत में मनाया जाने वाला बड़े पर्वों में माना जाता है। वहीं, 11 नवंबर को प्रातः अर्ध्य यानी उगते हुए सूर्य की पूजा के साथ छठ पूजा संपन्न हो गया। चार दिन तक चलने वाला छठ महापर्व मुख्यत: बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और झारखंड में लोग मनाते हैं। महापर्व के तीसरे दिन शाम को व्रती निर्जला रहकर डूबते सूर्य को ‘अर्घ्य’ देते हैं जबकि चौथे दिन उगते सूर्य को ‘अर्घ्य’ देने के साथ इस महापर्व का समापन होता है।

दिल्ली से मुंबई तक सूर्यदेव को दिया गया अर्घ्य
बिहार में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पटना के पाटीपुल घाट पर गंगा किनारे छठ की पूजा कर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया। तो वहीं कुछ श्रद्धालु पटना कॉलेज घाट में सूर्यदेव की पूजा की। दिल्ली में श्रद्धालुओं ने छठ के आखिरी दिन शास्त्री पार्क में आर्टिफिशियल घाट बनाकर उगते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य दिया। महाराष्ट्र में छठ के मौके पर काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने चार दिवसीय छठ पूजा में हिस्सा लिया। मुंबई के कुर्ला इलाके में तालाब में उतरकर व्रती ने उगते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य देकर इस पूजा का समापन किया।

 

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36 घंटे तक निर्जला व्रत
चार दिवसीय छठ पूजा का आज चौथा और आखिरी दिन है। छठ का व्रत 36 घंटे तक निर्जला रखा जाता है। खरना के दिन शाम को गुड़ वाली खीर खाते हैं और फिर 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखा जाता है। खरना के दिन ही छठ पूजा की सारी तैयारी की जाती है। कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन सूर्य को संध्या अर्घ्य देते हैं और छठी मैय्या की पूजा करते हैं। इसके बाद प्रसाद बांटा जाता है।

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घाट पर गूंज रहे हैं गीत
बिहार के पटना, मुजफ्फरपुर सहित कई शहरों में घाट पर शाम होते ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचने लगे हैं। अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने से पहले छठी मइया के गीत गूंज रहे हैं। छठ पर्व के आखिरी दिन सुबह से ही पटना, दिल्ली, गाजियाबाद में लोग नदी के घाटों पर पहुंचना शुरू हो गए। कई जगहों पर व्रती और उनके परिवार के लोग नदी के किनारे बैठकर उगते सूरज का इंतज़ार करते हैं। सूर्य उगते ही अर्घ्य अर्पित किया गया, इसके बाद व्रतियों ने एक दूसरे को प्रसाद देकर बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया।

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सुख-समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद
मान्यता है कि शाम के समय भगवान सूर्य अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं। ऐसे में महिलाएं अपने सुहाग और संतान की मंगलकामना लिए सायंकाल सूर्य की अंतिम किरण प्रत्यूषा को अर्घ्य देकर सुख-समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद मांगेंगी।



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