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इस कुंड में लगातार 200 साल से जल रही आग, आज तक नहीं बुझी

भोपाल. मध्‍यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में आंचलकुंड धाम है जिसका एक अद्भुत रहस्‍य है। यहां के कुंड में लगातार 200 सालों से धूनी जल रही है। यहां की आग आज तक नहीं बुझी। जिले के अमरवाड़ा ब्लाक में यह आंचलकुंड दादाजी दरबार स्थित है जोकि आदिवासियों की आस्‍था का केंद्र है। बताया जाता है कि आंचलकुंड धाम में दादाजी धूनीवाले ने यह धूनी जलाई थी जोकि सालों से जल रही है।

25 मार्च को केंद्रीय मंत्री अमित शाह छिंदवाड़ा आ रहे हैं और वे भी यहां पहुंचेंगे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के छिंदवाड़ा दौरे को लेकर बीजेपी कार्यकर्ता बहुत उत्साहित हैं। छिंदवाड़ा में कमलनाथ के कारण कई दशकों से कांग्रेस का वर्चस्व बना हुआ है और बीजेपी इसे खत्म करना चाहती है। छिंदवाड़ा आदिवासी बाहुल्य जिला है और आंचलकुंड आदिवासियों के लिए पवित्र स्थल है। इस कारण अमित शाह का यहां का दौरा रखा गया है।

आदिवासी समाज की आस्था का प्रमुख केंद्र बिंदु आंचल कुंड धाम हर्रई विकासखंड के ग्राम बटकाखापा के पास है। यहां दो मंजिला ऊंचा मंदिर है जिसमें दादाजी का दरबार सजा हुआ है। मंदिर में ही पावन कुंड है जिसमें 200 सालों से अखंड धूनी जल रही है। मान्यता है कि इसकी भभूति से लोगों के कष्ट दूर होते हैं, उनकी पीड़ा और समस्याओं का अंत होता है। आंचल कुंड में 1 जनवरी को मेला लगता है। 14 जनवरी यानि मकर सक्रांति पर्व और 30 जनवरी को शिष्य सम्मेलन आयोजित किया जाता है। महाशिवरात्रि पर्व के साथ ही यहां नौतपा साधना कार्यक्रम होता है जोकि कई दिनों तक चलता है। गुरु पूर्णिमा, गंगा पंचमी आदि विशेष दिनों में भी यहां कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

आंचलकुंड धाम की स्थापना करीब 200 साल पूर्व कंगाल दास बाबा जी ने की थी। श्रद्धालुओं के अनुसार धूनीवाले दादाजी ने धूनी जलाते हुए यहां रह रहे कंगाली बाबा से कहा कि हम यहीं पर रहेंगे, उन्होंने यह वरदान भी दिया कि इसी धूनी से सभी लोगों के संकट और कष्ट भी दूर होंगे। आज तक यही धूनी जल रही है। कंगाली बाबा की चौथी पीढ़ी के गणेश बाबा बताते हैं कि कंगाल दासजी बाबा आदिवासी सिंगरामी इनवाती के परिवार में जन्मे थे। उन्होंने दादाजी धूनीवाले को गुरु बनाया था और उन्हें अपने साथ आंचल धाम बुलाया था। उनकी जिद पर धूनीवाले दादाजी आंचलकुंड धाम पहुंचे और यह अखंड धूनी जलाई थी।



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