कलेजे के टुकड़े को छोड़ गई बीमार मां, पत्र में लिखा- मेरे बेटे को चावल और कुरकुरे खिलाना
भोपाल. जो अपने कलेजे के टुकड़े को छोड़कर जाने पर मजबूर हो जाए, उस मां का दर्द भला कौन जान सकेगा! शहर में एक ऐसा ही मामला सामने आया जब एक मां अपने बच्चे को शिशुगृह मातृछाया के बाहर चिठ्ठी के साथ छोड़ गई। उसने अपने मर्मस्पर्शी पत्र में लिखा कि मैं अकेली हूं और बीमार भी रहती हूं, इसलिए बच्चे का पालन पोषण नहीं कर पा रही। मजबूर मां ने अपने बेटे की पसंदीदा डाइट भी बताई और ये अपेक्षा भी की कि उसका ख्याल रखा जाएगा।
एक मां अपने बच्चे को शिशुगृह मातृछाया के बाहर छोड़ गई। अगले दिन बच्चे की तबियत बिगडऩे पर उसे सिटी चाइल्डलाइन ने हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया जहां चले इलाज के बाद बच्चा अब पहले से बेहतर है। बच्चे के हेल्थ इश्यूज और आईक्यू संबंधी परेशानियों को देखते हुए बच्चे को बाल कल्याण समिति भोपाल के आदेश पर एसओएस बालग्राम में शिफ्ट किया गया है। बच्चा कुछ बोल भी नहीं पाता है। जानकारी के अनुसार एसओएस में अब बच्चे की आगे की समस्त जांचें और थेरेपी होगी।
मां ने अपने करीब सात साल के बच्चे को आधी रात में मातृछाया के बाहर छोड़ा और चली गई। मातृछाया ने सिटी चाइल्ड लाइन को इसकी जानकारी दी। इसके बाद से बच्चा बाल कल्याण समिति के संरक्षण में है। बच्चे की तबीयत बिगडऩे से सिटी चाइल्ड लाइन द्वारा उसे हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सिटी चाइल्ड लाइन के सदस्य बारी बारी से साथ रहकर उसकी देखभाल कर रहे हैं।
मातृछाया के बाहर बच्चे को छोड़नेवाली मां ने एक पत्र भी रख दिया था। इसमें उन्होंने लिखा- मैं खुद बीमार रहती हूं, पति नहीं रहे, बच्चे की देखभाल अब मुश्किल है... विश्वास है आप अच्छे से देखभाल करोगे...। मैं आप पर भरोसा करती हूं, इस छोटी सी चिठ्ठी में मां ने लिखा . मैं इस बच्चे की मां हूं, मेरे अलावा इसका कोई नहीं है। आपकी संस्था के बारे में मुझे पता चला, मैं आप पर भरोसा करती हूं। मैं बीमार रहती हूं। पति पांच साल पहले नहीं रहे। बच्चा बोलता नहीं है। ये खाने में चावल और कुरकुरे, थोड़ी सी रोटी खाता है। हर थोड़ी देर में पानी पीता है। अगर बच्चा रोए तो उसे मैदान में छोड़ देना, चुप हो जाएगा। मुझे विश्वास है कि आप इसकी अच्छी देखभाल करेंगे।
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