मौसम का फल-सब्जी और फसल की कीमतों पर पड़ेगा बुरा असर
भोपाल। बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि ने जहां किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं, वहीं फल-सब्जियों और अन्य फसलों को भी बड़ा नुकसान होने का अंदेशा है। देश के साथ प्रदेश के कई हिस्सों में फसलों को भारी नुकसान हुआ है। इस समय हरी सब्जियों के अलावा आम, संतरा, अंगूर, तरबूज, खरबूज, पपीता, नीबू की फसल पीक पर है। फसलों में गेहूं, चना, अरहर की कटाई का काम चल रहा है।
उत्पादकों का कहना है कि बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से उत्पादन और आवक दोनों पर असर आएगा। क्वालिटी हलकी हो जाएगी। इस साल जनवरी में गेहूं की कीमत रेकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी। इसे काबू में करने के लिए सरकार ने 50 लाख टन गेहूं खुले बाजार में उतारने का फैसला किया था। समय से पहले तापमान बढऩे से गेहूं किसान पहले ही चिंता में थे और अब बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी है। इससे गेहूं, मक्का, दलहन और सब्जी की फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है।
गेहूं की कीमतों पर आएगा असर
इस साल जनवरी में गेहूं की कीमत रेकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी। इसे काबू में करने के लिए सरकार ने 50 लाख टन गेहूं खुले बाजार में उतारने का फैसला किया था। समय से पहले तापमान बढऩे से गेहूं किसान पहले ही चिंता में थे और अब बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी है। इससे गेहूं, मक्का, दलहन और सब्जी की फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है।
बिगड़े मौसम एवं ओलावृष्टि से करीब 25 प्रतिशत फसल खराब हो गई है। इनमें गेहूं, चना, सरसों, आम, संतरा, पपीता से लेकर हरी सब्जियां शामिल है। प्रदेश के मालवा-निमाड़ क्षेत्र में 60 प्रतिशत गेहूं की थ्रेसिंग हो चुकी है। राज्य में सरसों और चना, मसूर की कटाई चल रही है। जहां गेहूं की फसल खेतों में खड़ी है, उनको और कटकर खेतों में पड़ी हुई है, उन्हें ज्यादा नुकसान होने की संभावना है। हालांकि वर्ष 2018 में भी मार्च माह में ओलावृष्टि हुई थी, उसकी तुलना में ज्यादा ओलावृष्टि नहीं हुई, यह राहत की बात है लेकिन मौसम जल्द साफ होने पर ही नुकसान का आकलन सामने आएगा।
- आमरेन्द्र मिश्रा, कृषि एक्सपर्ट
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ये बोले फल कारोबारी
थोक फल कारोबारी संतोष गुप्ता ने बताया कि नवरात्रि के दौरान फलों की मांग तो बढ़ी है, लेकिन बारिश से फलों की आवक पर असर हो सकता है। उन्होंने बताया कि सीजनल फल अंगूर, पपीता, केला, पायनापल, संतरा के भावों में तेजी है।
ये कहते हैं कृषक और व्यापारी
पूर्व मंडी अध्यक्ष एवं कृषक भागीरथ पाटीदार कहते हैं कि मौसम में आए बदलाव से सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया। जिन क्षेत्रों में बारिश और ओलावृष्टि हुई है, वहां की फसल आड़ी हो गई है। गेहूं-चना, मसूर, सरसों की क्वालिटी पर भी असर देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि 25 मार्च से गेहूं की सरकारी खरीद शुरू हो रही है। भोपाल ग्रेन एंड ऑयल मर्चेन्ट एसोसिएशन के प्रवक्ता संजीव जैन बताते हैं कि गेहूं की कीमत करीब 30 से 35 फीसदी नीचे आ गई थी। अब बिगड़े मौसम से व्यापारी वर्ग को चिंता में डाल दिया है।
सब्जियों के दाम काबू में
फिलहाल हरी सब्जियों के दाम काबू में है। कारोबारियों का कहना है कि जल्दी मौसम साफ नहीं हुआ तो आगे सब्जियों के दाम पर असर देखने को मिल सकता है। थोक सब्जी कारोबारी हरिओम खटीक का कहना है कि गर्मी के मौसम में हरी सब्जियों की कमी हो जाती है। इस बार मार्च में कई उत्पादक क्षेत्रों में हो रही ओलावृष्टि से हरी सब्जियों की पैदावार घटने के आसार हैं।
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